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आइसक्रीम बेचने को मजबूर गोल्ड मेडलिस्ट बॉक्सर, सरकार की कोई योजना नहीं उतार पा रही इसका लोन

भारतीय इंटरनेशनल बॉक्सर दिनेश कुमार आज कल भिवानी में दो वक्त की रोटी और लोन चुकाने के लिए सड़कों पर आइसक्रीम का ठेला लगाते हैं। दिनेश ने भारत के लिए 23 पदक जीते हैं जिनमें 17 स्वर्ण, 1 रजत और 5 कांस्य शामिल हैं।

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Arjuna Awardee boxer sells kulfis to repay debt

आइसक्रीम बेचने को मजबूर गोल्ड मेडलिस्ट बॉक्सर, सरकार की कोई योजना नहीं उतार पा रही इसका लोन

नई दिल्ली। भारत में क्रिकेट के अलावा अन्य खेल के खिलाड़ियों की हालत बेहद ख़राब है। न ही उन खिलाड़ियों का नाम कोई जनता है ना ही किसी को उनकी आर्थिक स्थिति के बारे पता है। कहने को तो सरकार इन खिलाड़ियों के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं बनती है लेकिन ये योजनाएं इन खिलाड़ियों तक कितनी पहुंचती हैं इस बात का अंदाज़ा देश को 17 गोल्ड जिताने वाला बॉक्सर दिनेश कुमार की आर्थिक स्थिति को देख कर लगया जा सकता है।

लोन चुकाने के लिए बेचते हैं आइसक्रीम -

भारतीय इंटरनेशनल बॉक्सर दिनेश कुमार आज कल भिवानी में दो वक्त की रोटी और लोन चुकाने के लिए सड़कों पर आइसक्रीम का ठेला लगाते हैं। दिनेश ने भारत के लिए 23 पदक जीते हैं जिनमें 17 स्वर्ण, 1 रजत और 5 कांस्य शामिल हैं। अर्जुन अवार्ड जीतने वाले दिनेश के हालात दिन ब दिन खराब होते जा रहे ऐसे में उन्होंने सरकार से मदद मांगी है। दिनेश के ऊपर बहुत बड़ा लोन है जिसे चुकाने के लिए वो पिता के साथ आइसक्रीम बेचते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिनेश ने कहा- ''मेरे पिता ने लोन लिया ताकी मैं इंटरनेशनल टूर्नामेंट खेल पाऊं। उनका लोन चुकाने के लिए मैं आइसक्रीम बेचता हूं। में पिछली और अभी की सरकार से मदद मांगी। लेकिन किसी ने भी मेरी मदद नहीं की। मैं चाहता हूं कि सरकार मुझे जॉब दे जिससे मेरी मदद हो सके।''
वुशु चैंपियन संजय की हालत भी ख़राब -

ये पहला मामला नहीं है। वुशु में सात बार स्टेट और नौ बार राष्ट्रीय चैंपियन बनने वाले संजय इस वक़्त दिहाड़ी मजदूरी कर रहे हैं। संजय हालात से इस कदर हारे कि उन्हें अब वुशु नहीं, सिर्फ रोटी की चिंता सताती रहती है। संजय के पास रहने के लिए न घर है न ही कोई ढंग का काम। इतना ही नहीं इस खेल के लिए उन्होंने पिता का अंतिम संस्कार भी छोड़ दिया था। आज न उनकी राज्य सरकार मदद कर रही है ना ही केंद्रीय सरकार।