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एशियाड से पदक जीत भारत लौटा यह एथलीट फिर भी चाय बेचने को है मजबूर

एशियाई खेलों में पदक जीत चाय बेचने वाले हरीश ने बढ़ाया देश का मान, क्या मदद करेगी राज्य-केंद्र सरकारें।

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Akashdeep Singh

Sep 04, 2018

HARISH KUMAR

एशियाड से पदक जीत भारत लौटा यह एथलीट फिर भी चाय बेचने को है मजबूर

नई दिल्ली। भारत ने एशियाई खेल 2018 में कुल 67 पदक जीते हैं जिसमे 15 स्वर्ण, 24 रजत और 30 कांस्य पदक जीते हैं। इन पदकों में से एक पदक 25 साल के हरीश कुमार का भी है । वह अभी-अभी इंडोनेशिया के जकार्ता से शुक्रवार को ही पदक जीतकर भारत लौटे हैं। उनको खूब तारीफें मिली, आखिर मिले भी क्यों न उन्होंने देश को सेपक टाकरा में एशियाड का पहला पदक जो दिलाया है। खुशियों का यह समय जल्द ही बीता और यह खिलाड़ी एक बार फिर अपनी असल जिंदगी में लौटने को मजबूर हो गया। यह पदक विजेता छोटे से ढाबे पर चाय बेचता है, पर किसी भी ग्राहक को शायद ही यह भनक होगी कि यह एशियाड में पदक जीत कर आया है। भारत ने सेपक टाकरा में एशियाड इतिहास का पहला पदक इन एशियाई खेलों में ही जीता है।


पदक विजेता का संघर्ष-
दिल्ली के मजनू के टीला में हरीश चाय की दूकान में काम करते है जहां ग्राहक उसे छोटू कहकर बुलाते हैं। हरीश के लिए संघर्ष से पहले एक अच्छा समय भी था जब उन्होंने देश के लिए सेपक टाकरा में देश के लिए पहला पदक जीता था। जब वह देश लौटे तो उनको लेने उनके पड़ोसी पूरी बस लेकर पहुंचे थे। उनको इस मुकाम तक पहुंचने में दो लोगों का बड़ा साथ मिला, एक उनके कोच हेमराज और दूसरे उनके बड़े भाई नवीन। कोच हेमराज उन्हें स्टेडियम आने-जानें का किराया तक देते थे। लड़के ने दोनों को निराश नहीं किया और भारतीय टीम में अपनी जगह बनाई।


पदक विजेता को क्या मदद मिली?
पदक विजेता हरीश से को अभी तक सरकार से कोई मदद नहीं मिल सकी है। सरकार से क्या मदद मिली पूछे जानें पर उनका जवाब था कि अभी तो कुछ भी साफ़ नहीं है। उनका कहना है कि वह अभी अपनी 12वीं की पढाई पूरी करना चाहेंगे। बता दें कि हरीश की टीम में 12 सदस्य थे। अब देखना ये है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार से इस खिलाड़ी को क्या मदद मिलती है।

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जीता था कांस्य पदक-
भारतीय टीम ने 18वें एशियाई खेल में सेपक ताक्रा की टीम स्पर्धा का कांस्य अपने नाम किया था। यह भारत द्वारा इस स्पर्धा में जीता गया पहला एशियाई खेलों का पदक है। भारत को ग्रुप-बी सेमीफाइनल में थाईलैंड के खिलाफ 0-2 से हार का सामना करना पड़ा था लेकिन इस हार के बावजूद वह कांस्य पदक जीतने में कामयाब रही थी।