
नई दिल्ली।
पाकिस्तान ने पहले अफगानिस्तान की सेना में प्रवेश किया। फिर सरकार गठन की प्रक्रिया में हिस्सा लेकर कठपुतली तालिबानी सरकार बनवाई और अब वहां की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करना चाहता है। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के लिए अपनी आर्थिक योजनाओं का ऐलान किया। पाकिस्तान ने तालिबान के साथ पाकिस्तानी रुपए में द्विपक्षीय कारोबार करने का फैसला किया है।
पाकिस्तान के केंद्रीय वित्त मंत्री शौकत तारिन ने बताया कि उनकी सरकार ने अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तानी मुद्रा में व्यापार करने का फैसला किया है। तारिन ने कहा कि अफगानिस्तान के पास डॉलर की कमी है, इसलिए पाकिस्तान अपनी मुद्रा में ही व्यापार करेगा। शौकत ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति पर लगातार नजर बनी हुई है। पाकिस्तान अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद करने के लिए वहां अपनी टीम भेज सकता है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष समेत कई संस्थाओं ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है। साथ ही, उसकी संपत्तियों को भी फ्रीज कर दिया है। ऐसे में सरकार बनाने के बाद भी तालिबान की हालत काफी खराब है। पाकिस्तान से पहले चीन ने तालिबान सरकार के लिए 310 लाख डॉलर की मदद का ऐलान किया है।
इससे पहले, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार अमरीकी डॉलर में था। अफगान मुद्रा शक्तिशाली थी, लेकिन पाकिस्तान के इस कदम से पाकिस्तानी करेंसी का अफगान व्यापारियों और व्यापारिक समुदाय पर कब्जा हो जाएगा। तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान फिलहाल अफरा-तफरी और अस्थिरता के माहौल से गुजर रहा है।
अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार को किसी भी कीमत पर आर्थिक मंदी से बचना है। इसलिए तालिबान भी संभवत: इस फैसले को मंजूर कर लें। अफगानिस्तान के बजट का 80 प्रतिशत बजट अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आता है, जो बंद हो चुकी है। इसकी वजह से हाल के महीनों में एक लंबे समय से चल रहा आर्थिक संकट और बढ़ गया है। तालिबान संभवत: यह अलगाव बर्दाश्त नहीं करे।
Published on:
10 Sept 2021 02:48 pm
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