
नई दिल्ली।
काबुल में तालिबान के आने के बाद गत 31 अगस्त तक वहां के नागरिकों ने विभिन्न देशों में शरण ली। कुछ शरण लेने के लिए पाकिस्तान भी पहुंचे, मगर अब पाकिस्तान सरकार ने अफगानिस्तान के शरणार्थियों को अपने देश में जगह देने से साफ इनकार कर दिया है।
पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद अहमद ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि अफगानिस्तान से भागने की कोशिश कर रहे अफगानिस्तान के शरणार्थियों को अपने देश में बसाने के लिए उनकी कोई योजना नहीं है और न ही वह इस बारे कोई नया कैंप बना रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रशीद ने बताया कि सीमा पर कोई अफगानी शरणार्थी नहीं है। सरकार ने उस इलाके में कोई शिविर स्थापित नहीं किया है।
रशीद ने तोरखाम सीमा का दौरा करने के बाद कहा कि देश में पहले से ही लगभग 30 लाख अफगानी शरणार्थी हैं। बताया जा रहा था कि सीमा पर लोग एकत्रित होकर एकसाथ पाकिस्तान में आने का प्रयास कर रहे हैं। पाकिस्तानी अधिकारियों की मानें तो देश में रह रहे शरणार्थियों में से लगभग आधे लोग अवैध तौर पर रह रहे हैं, क्योंकि उन्होंने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है।
रशीद के मुताबिक, करीब 15 लाख शरणार्थियों ने ही अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। उनके पास रहने, रोजगार करने और सीमा पार जाने के लिए दस्तावेज हैं। अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के बाद से ही पाकिस्तान कह रहा है कि वह और शरणार्थियों को अपने देश में स्वीकार नहीं करेगा, लेकिन मंत्री इस समय पर अलग बयान दे रहे हैं।
गृह मंत्री शेख रशीद ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है। वहीं, सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने पिछले हफ्ते कहा था कि महिलाओं और बच्चों को लेकर नरमी जाएगी, अभी तक इस बारे में कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया गया है। तालिबान को लेकर अफगानिस्तान के लोगों में काफी डर है। वहां के नागरिक किसी भी हाल में देश छोडऩा चाहते हैं। इसके लिए वह अपनी जान की परवाह भी नहीं कर रहे।
15 अगस्त को काबुल पर काबिज होने के बाद से ही वहां से लोगों ने भागना शुरू कर दिया था। काबुल एयरपोर्ट पर काफी संख्या में लोग एकत्रित हो गए, उनमें कुछ विमानों के छत और टायरों में छिप गए, मगर दुर्र्भाग्य से उनकी मौत हो गई। अब भी हजारों लोग पाकिस्तान-अफगानिस्तान की सीमा पर जुटे हुए हैं।
Published on:
08 Sept 2021 09:59 am
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