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पाकिस्तान के रक्षा बजट में नहीं हुआ कोई बदलाव, आर्थिक तंगी पर भारी पड़ी सेना की डिमांड

आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है पाकिस्तान। पाक सेना ने स्वेच्छा से रक्षा बजट में कटौती का फैसला किया था। विपक्षी दलों ने सदन में सरकार के खिलाफ की नारेबाजी।

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पाकिस्तानी सेना

इस्लामाबाद। आर्थिक तंगहाली से गुजर रहे पाकिस्तान ( Pakistan ) को बचाने के लिए सरकार की ओर से कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। पाकिस्तान ने मंगलवार को घोषणा की है कि अगले वित्तीय वर्ष (2019-20) के लिए उसका रक्षा बजट पिछले साल के 1,150 अरब रुपये के बराबर रहेगा। दरअसल कुछ दिन पहले यह बात सामने आई थी कि इमरान खान ( Imran Khan ) ने नकदी-संकट से निपटने के लिए पाकिस्तान के रक्षा बजट ( pakistan defence budget ) में कटौती करने का फैसला किया है। पाकिस्तानी सेना ने एक दुर्लभ कदम बढ़ाते हुए इस महीने की शुरुआत में अगले वित्तीय वर्ष के लिए स्वेच्छा से रक्षा बजट में कटौती करने का फैसला किया था और राष्ट्र को आश्वासन दिया कि बजट में स्वैच्छिक कटौती के कारण इसकी 'प्रतिक्रिया क्षमता' पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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सदन में पेश किया गया बजट

पाकिस्तान के राजस्व राज्य मंत्री हम्माद अजहर ने मंगलवार को संसद में वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए बजट पेश किया, जो 1 जुलाई से शुरू हो रहा है। सरकार ने वर्ष 2019-20 के लिए 7,022 बिलियन रुपये का बजट पेश किया और 4 प्रतिशत का विकास लक्ष्य रखा गया। बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि रक्षा बजट पिछले साल के 1,150 अरब रुपये के स्तर पर अपरिवर्तित रहेगा। हालांकि, मंत्री ने कहा कि यह किसी भी तरह से देश की रक्षा क्षमता को प्रभावित नहीं करेगा क्योंकि देश की रक्षा सरकार के लिए बेहद पवित्र कार्य है।

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विपक्ष ने जताया विरोध

सरकार के बजट को लेकर विपक्षी दलों ने विरोध जताया है। जब राजस्व राज्य मंत्री हम्माद अजहर बजट पेश कर रहे थे तब विपक्षी दलों ने उनके भाषण को प्रभावित करने की कोशिश की। विपक्षी दलों के सदस्य ट्रेजरी बेंचों के आसपास इकट्ठा हो गए और सरकार विरोधी नारेबाजी करने लगे। विरोधियों ने पीएम इमरान खान को चिढ़ाने के लिए उनके उपनाम को लेकर 'Go Niazi GO’ के नारे लगाए। हालांकि इस उपनाम को कभी इमरान अपने नाम के साथ इस्तेमाल नहीं करते हैं। सदन में विरोधी दलों ने बजट दस्तावेजों की प्रतियां भी फाड़ दीं। बता दें कि इससे पहले, विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध के रूप में विपक्षी सांसदों ने काली पट्टी बांधकर सत्र में भाग लिया। पहले वे सभी चुप रहे और कुछ देर तक भाषण सुनते रहे, उसके बाद फिर खड़े होकर विरोध करने लगे।

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