इमरान खान ने अब इस राह पर कदम आगे बढ़ाने भी शुरू कर दिए हैं। उन्होंने दुनियाभर में इस्लाम की सही तस्वीर पेश करने की अगुवाई खुद करते हुए रहमतुल लील आलमीन अथॉरिटी के गठन का ऐलान किया। उन्होंने इसका असली मकसद भी साफ कर दिया और कहा कि इस अथॉरिटी का काम पाकिस्तान की शिक्षा व्यवस्था को शरिया के मुताबिक बदलना है। विशेषज्ञों की मानें तो इमरान खान ने देश में एक तरह से तालिबान की नींव रख दी है।
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दरअसल, करीब दो महीने पहले बंदूक के दम पर अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने वाले कट्टरपंथी संगठन तालिबान की शुरुआत भी छात्र संगठन के रूप में हुई थी। यह चरमपंथी संगठन भी खुद को इस्लाम का पैरोकार और शरिया का पालनकर्ता बताते हैं। शरिया के नाम पर क्रूरता करने वाले इस चरमपंथी संगठन की इमरान जिस तरह तारीफ करते हैं, उससे इस आशंका को बल मिलता है कि इमरान भी उसी राह पर चल सकते हैं।
इस्लामाबाद में आयोजित अशरा-ए-रहमतुल लील आलमीन (PBUH) को संबोधित करते हुए इमरान खान ने इसे देश के विकास से जोड़ा। इमरान ने कहा कि अपने नैतिक मूल्यों को कम करके कोई भी देश तरक्की नहीं कर सकता है। कई विद्वान इस अथॉरिटी का हिस्सा होंगे। इस अथॉरिटी का एक काम दुनिया को यह बताना होगा कि असल में इस्लाम क्या है।
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ये विद्वान इस अथॉरिटी का हिस्सा होंगे, जो स्कूलों के पाठ्यक्रम की निगरानी करेंगे। इमरान खान ने कहा, वे हमें बताएंगे कि क्या पाठ्यक्रम को बदलने की जरूरत है। देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में नाकाम रहे इमरान ने यह भी कहा कि दूसरे धर्मों की भी शिक्षा दी जाएगी। इमरान खान ने यह भी साफ किया कि मीडिया और सोशल मीडिया भी शरिया जानकारों के मुताबिक चलना होगा। उन्होंने कहा कि एक विद्वान मीडिया और सोशल मीडिया से जुड़े मुद्दों को देखेगा।
इमरान खान ने कहा कि अथॉरिटी को अपनी संस्कृति के मुताबिक कार्टून भी बनाने का काम दिया जाएगा। उन्होंने कहा, कार्टून हमारे बच्चों को विदेशी संस्कृति दिखा रहे हैं। हम उन्हें रोक नहीं सकते हैं, लेकिन उन्हें विकल्प दे सकते हैं। इमरान खान ने कहा कि अथॉरिटी पाकिस्तानी समाज पर पश्चिमी सभ्यता के फायदे नुकसान का भी आकलन करेगा। उन्होंने कहा, जब आप देश में पश्चिमी सभ्यता लाते हैं, इसका आकलन करने की भी जरूरत है कि इसका हमें क्या नुकसान हो रहा है।