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पीएम मोदी-जिनपिंग की दोस्ती से डरा पाकिस्तान, नवाज शरीफ ने कहा- हमारे लिए खतरे की घंटी

पीएम मोदी और जिनपिंग की बढ़ती दोस्ती पर चिंता जताते हुए नवाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तानी प्रशासन अपनी राजनयिक पकड़ कमजोर करता जा रहा है।

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Siddharth chaurasia

May 01, 2018

PM Modi with xi Jinping

नई दिल्ली। चीन और भारत के बीच बढ़ती दोस्ती से पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है। पाकिस्तान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की गहरी दोस्ती बिल्कुल भी रास नहीं आ रही है। जब पीएम नरेंद्र मोदी अपनी दो दिनों की चीन यात्रा के दौरान वुहान शहर में चहलकदमी करते हुए म्यूजियम तक पहुंचे, तो उनके स्वागत के लिए मुस्कुराते हुए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग खड़े हुए थे। चीन में ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा था। अब तक चीन के किसी भी राष्ट्रपति ने राजधानी बीजिंग के बाहर किसी राष्ट्राध्यक्ष का स्वागत नहीं किया था। लेकिन शी जिनपिंग ने सारे प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए पीएम मोदी का स्वागत किया। लेकिन इस दृश्य को देखकर पाकिस्तान की नींद उड़ गई है। वह काफी बेचैन है और भारत और चीन के बीच बढ़ती करीबी को अपने लिए अच्छी खबर नहीं मान रहा है।

पाकिस्तान की राजनयिक पकड़ कमजोर

पाकिस्तानी मीडिया भारत और चीन की बढ़ती करीबी को अपने देश के लिए खतरे की घंटी के रूप में देख रहा है। पीएम मोदी के वुहान दौरे को लेकर पाकिस्तान के बर्खास्त प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का भी बयान सामने आया है। पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बढ़ती दोस्ती पर चिंता जताते हुए नवाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तानी प्रशासन अपनी राजनयिक पकड़ कमजोर करता जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमने इतिहास से कोई सबक नहीं लिया है। यही वजह है कि आज भारत और चीन दोस्त बनते जा रहे हैं। वहीं मोदी और जिनपिंग की मुलाकात पर पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि भारत और चीन के बीच बेहतर कारोबारी संबंध और सीमा पर तनाव कम होना पाकिस्तान के लिए अच्छी खबर नहीं है। पाकिस्तानी विशेषज्ञ तो चीन को भारत के साथ डोकलाम विवाद की भी याद दिलाकर चेता रहे हैं। इनका कहना है कि चीन पाकिस्तान का सदाबहार दोस्ता था, लेकिन आज वह भारत के करीब जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आतंकवाद पर पाकिस्तान लगातार अलग-थलग पड़ता जा रहा है।

भारत-चीन की बढ़ती दोस्ती से डरा हुआ है पाकिस्तान

सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान को यह डर भी सता रहा है कि अगर भारत और चीन के बीच इसी तरह करीबी बढ़ती रही, तो वो दिन दूर नहीं, जब चीन जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आंतकी सूची में शामिल कराने पर लगाए गए अड़ंगे को हटा लेगा। इसके साथ ही भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता प्राप्त करने के लिए चीन का समर्थन भी हासिल कर लेगा।