
पाकिस्तान में दहशत के साए में सिख समुदाय, पेशावर से देश के अन्य हिस्सों में पलायन
पेशावर। पाकिस्तान के पेशावर में अल्पसंख्यक सिख समुदाय इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा बार-बार होने वाले हमलों के बाद देश के अन्य हिस्सों में पलायन के लिए बाध्य है। खबरों के मुताबिक पेशावर के 30,000 से अधिक सिख पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में चले गए हैं या लगातार खतरे में रहने के लिए मजबूर हैं। बताया जा रहा है कि सिख समुदाय के बहुत सारे लोग भारत में विस्थापित हो गए हैं।
पेशावर में दिन दहाड़े सिखों की हत्या
पाकिस्तान के पेशावर में रोज ब रोज सिख मारे जा रहें है। हाल में ही एक स्थानीय शांति कार्यकर्ता और किराने की दुकान के मालिक चरनजीत सिंह को एक ग्राहक ने गोली मार दी थी।बाबा गुरपाल सिंह नामक समुदाय के प्रवक्ता ने मीडिया को बताया कि यह रोज का किस्सा है। पाकिस्तान सिख परिषद (पीसीएस) के एक सदस्य ने कहा कि उनके समुदाय को मिटा दिया जा रहा था क्योंकि वे "अलग दिखते थे।" पीसीएस के सदस्य बलबीर सिंह ने मीडिया से बात करते हुए अपनी पगड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा, "यह हमें एक आसान लक्ष्य बनाता है।"
हत्याओं में तालिबान का हाथ
2016 में जब से इन हत्याओं का सिलसिला शुरू हुआ, तालिबान का नाम सामने आया। सिखों की हत्याओं के पीछे तालिबान का हाथ बताया जा रहा है। हाल में ही एक हाई प्रोफ़ाइल सिख नेता की हत्या का मामला सामने आया जब पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के सांसद सोरन सिंह की मौत हो गई थी। स्थानीय पुलिस ने एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बुलदेव कुमार को गिरफ्तार किया जो अल्पसंख्यक हिंदू राजनेता था। लेकिन बाद में तालिबान ने हमले की जिम्मेदारी ली।
पहचान छिपाकर जिन्दा हैं सिख
पाकिस्तान के पेशावर में स्थिति ऐसी है कि सिख समुदाय के लोग जान बचाने के लिए बालों को काटने और पगड़ी पहनने से परहेज कर रहे हैं। सिख समुदाय के लिए एक और बड़ी समस्या पेशावर में उनके लिए श्मशान के भूमि न होना है।खैबर पख्तुनख्वा सरकार ने पिछले साल श्मशान के लिए धन आवंटित किया लेकिन अभी तक कोई निर्माण शुरू नहीं हुआ है। स्थानीय मीडिया के अनुसार पाकिस्तानी सरकार यह स्वीकार नहीं कर रही है कि सिख समुदाय को इसके समर्थन और सुरक्षा की आवश्यकता है।
Published on:
13 Jun 2018 09:55 am
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