
नई दिल्ली।
पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने संभवतः अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता दे दी है। तालिबान सरकार ने इस्लामाबाद में एंबेसी चलाने के लिए अपना प्रतिनिधि भेजा है।
तालिबान सरकार को दुनियाभर की तमाम सरकारों ने मान्यता नहीं दी है। लेकिन इस बीच तालिबान के इस कदम ने सबको चौंका दिया है। हालांकि, जिस प्रतिनिधि को तालिबान सरकार ने इस्लामाबाद भेजा गया है उसे आधिकारीक तौर पर राजदूत नहीं बताया गया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान की तरफ से मोहम्मद शोकैब को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एंबेसी चलाने के लिए भेजा गया है। वो यहां एंबेसी के पहले सचिव होंगे।
इस्लमाबाद में राजदूत का पद तब ही से खाली है जब से पिछली अशरफ गनी की सरकार ने अपने राजदूत को वहां से बुलाया था। वहां अफगानिस्तान के राजदूत नजिबुल्लाह अलिखिल की बेटी का अपहरण हुआ था और फिर उन्हें प्रताड़ित भी किये जाने का आरोप लगाया गया था। जिसके बाद नजिबुल्लाह को वहां से वापस बुला लिया गया था। पूर्व अफगानिस्तान सरकार के विदेश मंत्रालय ने इस घटना की उस वक्त कड़ी निंदा भी की थी और अपने राजदूतों के परिवार और दूतावास के कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता भी जाहिर की थी।
पाकिस्तान ने अभी आधिकारिक रूप से तालिबान की सरकार को मान्यता नहीं दी है। लेकिन पाकिस्तान, अफगानिस्तान में सरकार के गठन को लेकर काफी सक्रिय जरुर रहा है। यह भी कहा जाता है कि खूंखार आतंकवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क को अफगानिस्तान की सरकार में मजबूत करने और मुल्ला बरादर को साइडलाइन करने में भी पाकिस्तान की अहम भूमिका रही है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि तालिबान ने हाल ही में इस्लामाबाद में जिस अधिकारी को भेजा है उन्हें दूतावास में संबंधित कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए भेजा गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'पाकिस्तान में लाखों अफगानी रिफ्यूजी हैं जिनके वीजा को लेकर इशु आए हैं।' बताया जा रहा है कि शोकेब के अलावा दो अन्य अधिकारियों को कतर और पेशावर में कॉन्सुलेट चलाने के लिए नियुक्त किया गया है। इनके बारे में भी यहीं कहा गया है कि यह दोनों दूतावास के कामों को फिलहाल देखेंगे।
Published on:
30 Oct 2021 08:12 am
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