9 जुलाई 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

Jawai Dam: पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े जवाई बांध में अभी तक हुई इतनी बारिश, जानिए अन्य बांधों का हाल

पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े जवाई बांध पर अभी केवल 168 एमएम बरसात दर्ज की है। उसके सहायक सेई पर 170 एमएम बरसात हुई है।

पाली

Rakesh Mishra

Jul 06, 2025

Jawai Dam
जवाई बांध। फाइल फोटो- पत्रिका

मारवाड़ में कहावत है ज्येष्ठ व आषाढ़ की गर्मी और श्रावण व भाद्रपद मास में बरसात। इस बार इन्द्र देव ने इस कहावत को बदल दिया। आषाढ़ मास के जून से पानी बरसाना शुरू कर दिया। जिसका क्रम अभी जारी है। बांधों में पानी की आवक शुरू हो गई।

वहीं झरने बह रहे हैं। राजस्थान के पाली जिले की तीन तहसीलों में तो औसत के मुकाबले लगभग आधा पानी बरस चुका है। बरसात के मुख्य माह श्रावण व भाद्रपद अभी शेष है। जिले में भी औसत बरसात 508 एमएम के मुकाबले अभी तक 228 एमएम बरसात हो गई है। जो औसत से आधी बरसात होने से महज 26 एमएम कम है।

बांधों पर इतनी बरसात

पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े जवाई बांध पर अभी केवल 168 एमएम बरसात दर्ज की है। उसके सहायक सेई पर 170 एमएम बरसात हुई है। जवाई नदी में पानी आने से जवाई बांध में थोड़े पानी की आवक हुई है। सिंदरू बांध पर 176 एमएम, खिवांदी पर 120, तखतगढ़ पर 174, मीठड़ी पर 145, सादड़ी पर 212, कंटालिया पर 155 एमएम बरसात हुई।

वहीं सिरियारी पर 209, हेमावास पर 252, बाणियावास पर 298, रायपुर लुणी पर 331, गिरीनंदा पर 204, खारड़ा पर 124, सरदारसमंद पर 204, राजसागर चौपड़ा पर 220, गजनई पर 216, दांतीवाड़ा पर 201, कोट पर 233, मुथाणा पर 235, काणा पर 175, फुलाद 165, जोगड़ावास प्रथम पर 263 एमएम बरसात दर्ज की है। इसके अलावा अन्य बांधों पर बरसात दर्ज नहीं की गई।

यह वीडियो भी देखें

पाली जिले में शनिवार को सुबह से शाम तक बादल छाए रहे। बादलों के कारण कई बार बरसात होने की आस जगी, लेकिन मेघ नहीं बरसे। अधिकतम तापमान 29.4 व न्यूनतम 24.8 डिग्री दर्ज किया गया। मौसम विभाग की ओर से पाली जिले के लिए आने वाले चार दिन तक मेघ गर्जन, वज्रपात व झोंकेदार तेज हवाओं का यलो अलर्ट जारी किया गया।

बांध पर पहुंचते-पहुंचते थक गई नदियां

पाली जिले व अरावली की वादियों में तेज बरसात से नदियों में पानी की आवक हुई। जो कई बांधों तक पहुंची, लेकिन इस बीच बरसात का दौर थमने से नदियों का पानी बांध पर पहुंच कर या उससे पहले कम हो गया या रुक गया। इस कारण अभी तक पाली जिले के अधिकांश बांधों में पानी की आवक ठीक नहीं हो सकी है।