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वेग इतना तेज की लिखनी पड़ी पानी में नहीं उतरने की चेतावनी

चारधाम यात्रा - उत्तराखण्ड की धार्मिक यात्रा यमनोत्री के बाद मां गंगा के चरणों में करते वंदन

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char dham yatra

उत्तराखण्ड की धार्मिक यात्रा यमनोत्री के बाद मां गंगा के चरणों में करते वंदन

पाली. उत्तराखण्ड चारधाम की यात्रा में मां यमनोत्री के दर्शन के बाद पवित्र नदी मां गंगा को नमन किया जाता है। इसके लिए श्रद्धालु यमनोत्री से उत्तरकाशी, हर्षिल व भैरोघाटी होते हुए गंगोत्री धाम पहुंचते है। यहां पहुंचने वाला मार्ग काफी संकरा और कई जगह पर क्षतिग्रस्त है। इस कारण वाहन की रफ्तार भी 20-30 किलोमीटर प्रतिघंटा ही रहती है। श्रद्धालुओं के गंगोत्री धाम पहुंचते ही वहां मां गंगा का बहते पानी की आवाज कानों में पड़ती है। जो किसी मधुर बांसूरी की धुन से कम नहीं लगती और श्रद्धालु थकान भूलकर गंगा का जयकारा लगाते हुए मंदिर व घाट की ओर बढ़ चलते हैं। इस जगह पर मां गंगा गौमुख से निकलकर पहुंचती है, लेकिन उसका वेग इतना अधिक है कि पानी में उतरते ही बहने का खतरा रहता है। इस कारण वहां पानी में उतरने के बजाय जग या लोटे की सहायता से किनारे बैठकर नहाने की चेतावनी तक लिखी गई है।

यमनोत्री से भी बर्फिला पानी

मांग गंगा का पानी यमनोत्री धाम पर बहने वाली यमुना के पानी से भी अधिक बर्फिला है। पानी का वेग भी यमुना से कई गुना अधिक है। इस कारण कई श्रद्धालु तो गंगा माता के जल में डूबकी लगाने के बजाय महज हाथ-पैर धोकर ही माता के दर्शनार्थ मंदिर में जाते हैं। 18 किमी ऊपर गौमुखमां गंगा का उद्गम स्थल यहां से करीब 18 किलोमीटर की ऊंचाई पर बर्फ के ग्लेशियरों के बीच स्थित है। वहां तक बहुत कम लोग ही स्वीकृति मिलने के बाद जाते हैं। यहां जाने का मार्ग भी बहुत कठिन है। इस कारण वहां पानी में उतरने के बजाय जग या लोटे की सहायता से किनारे बैठकर नहाने की चेतावनी तक लिखी गई है।

भैरूजी का है अखण्ड धुणा

माता गंगा के मंदिर के ठीक सामने ही भैरूजी का अखण्ड धुणा बना है। माता गंगा के दर्शनार्थ आने वाले श्रद्धालु इस धुणे पर धोक लगाना नहीं भूलते हैं। इसी के पीछे से होकर गौमुख तक जाने का मार्ग भी नजर आता है।