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World Tourism Day 2023 : ट्यूरिज्म की न्यू डेस्टिनेशन… सुबह छाछ संग देसी खाने का क्रेज, रातें भी सुकूनभरी

World Tourism Day 2023 : गांवों की ओर बढ़ते मेहमानों के कदम, बदलते ट्रेंड से खुले रोजगार के नए अवसर

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पाली

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Suresh Hemnani

Sep 27, 2023

World Tourism Day 2023 : ट्यूरिज्म की न्यू डेस्टिनेशन... सुबह छाछ संग देसी खाने का क्रेज, रातें भी सुकूनभरी

World Tourism Day 2023 : ट्यूरिज्म की न्यू डेस्टिनेशन... सुबह छाछ संग देसी खाने का क्रेज, रातें भी सुकूनभरी

World Tourism Day 2023 : बदलाव के इस दौर में सैर-सपाटे यानी घूमने-फिरने का ट्रेंड बदल गया है। कहां तो सात समंदर पार से आने वाले सैलानियों के मन में सिर्फ ये ही ख्वाहिश रहती थी कब वे स्वर्णिम गौरव की साक्षी ऐतिहासिक इमारतों के साथ ही सांस्कृतिक, धार्मिक व आध्यात्मिक रूप से समृद्ध स्थलों का भ्रमण करें और इन लम्हों को अपने जीवन के यादगार पल बनाएं। लेकिन, वक्त के साथ ट्यूरिज्म अंगड़ाई ले चुका है।

सैलानियाें को ऐतिहासिक इमारतें, कलात्मक मंदिर व कलकल बहते झरने तो मनभावन लग ही रहे हैं, लेकिन इससे भी ज्यादा सैलानियों को अब गांवों की शुद्ध आबोहवा रास आने लगी है। आलम ये है कि सैलानियों को शहरों के हाई क्लास होटलों के महंगे व चटपटे व्यंजनों के बजाय मारवाड़ का देसी जायका ज्यादा भाने लगा है। ये ही कारण है कि पिछले कुछ सालों में सैलानियों, विशेषकर विदेशी मेहमानों की गाडि़यां गांव-ढाणियों के रेतीले धाेरों व हरे-भरे खेतों के पास गुजरती राहों से गुजरती नजर आ रही है। इस बदलाव से जहां सैलानी अपने साथ मीठी यादें संग ले जा रहे हैं, तो बदले में गांवों में भी रोजगार के नए अवसर पैदा रहे हैं।

ये ही कारण है कि ट्यूरिज्म डेस्टिनेशन के बदलते ट्रेंड को भांपते हुए पाली के साथ ही जालोर, सांचौर व सिरोही जिले के गांवों ने भी सैलानियों को ठेठ देसी अंदाज से रूबरू कराने की पूरी तैयारी कर रखी है। यों भी पाली संभाग का एक-एक गांव अपने अंदर एक अलग ही विशेषता लिए हुए हैं। यहां का सांस्कृतिक वैभव, इतिहास के गौरवशाली पन्ने और प्रकृति की अनुपम छटा देसी-विदेशी मेहमानों को खींच लाती है। अब गांवों में पुरातन भवन होटलों में तब्दील हो चुके हैं तो खेत-खलिहानों में सैलानियाें के लिए निवास के लिए टेंट हाउस नजर आने लगे हैं। पाली संभाग में ट्यूरिज्म की अंगड़ाई पर विशेष रिपोर्ट -

स्वाद ऐसा कि भूलाए नहीं भूलता... कढ़ी-सोगरा, मक्के की घाट
सैलानी भले ही जवाई बांध क्षेत्र में लैपर्ड की सवारी करने पहुंच रहे हो, सुंधा माता के रॉप वे का सफर करने या फिर सादड़ी के राणकपुर मंदिर को निहारने, उन्हें खाने में तो देसी जायका ही मन भा रहा है। मारवाड़ के देसी भोजन में शामिल कढ़ी-सोगरा, मक्के की घाट, पचकूटा, केर, सांगरी, बडि़या, राबोड़ी, हरी मैथी और खेतों में देसी खाद से उत्पादित गेहूं की रोटियां उनके इस सफर को और भी ज्यादा रोमांचित कर रही है। इतना ही नहीं, दाल-बाटी और चूरमे का स्वाद तो उन्हें इस सफर की याद वतन लौटने के बाद भी दिलाता रहता है।

यहां अलग ही तस्वीर हरी-भरी वादियां और रेतीले धोरे
पाली के साथ ही जालोर, सांचौर व सिरोही जिले का प्राकृतिक सौंदर्य अनायास ही सैलानियाें को अपनी ओर आकर्षित करता है। पाली जिले में रोहट पहुंचने वाले सैलानियों को यहां का देसी खाना व राजशाही वैभव मन भाता है तो राणकपुर में उन्हें देसी खाना अलग ही अनुभव देता है। जब सैलानी माउंट की वादियाें के साथ ही निमाज और जालोर के सुंधा माता की सैर पर निकलते हैं तो इन्हें वहां का लोकजीवन खासा आनंददायक एहसास दिलाता है। सैलानी भी दिनभर पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के बाद गांवों में रात बिताना और देसी खाना ही पसंद कर रहे हैं।

मन भा रही लोक कलाएं, लुभा रहे देसी परिधान
मारवाड़ की लोक कलाओं का जादू ही ऐसा है कि सैलानी इनके रंग में रंगे बिना नहीं रहते। देर शाम भोजन के बाद लोक नृत्य देख सैलानी फूले नहीं समाते। इतना ही नहीं, वे लोक परिधान पहनकर घूमर नृत्य भी करते हैं और कालबेलिया नृत्य से भी सुकूल के अल्हदा पल ढूंढने की कोशिश करते हैं।

संस्कृति को निहारने गांव-ढाणियों में पहुंच रहे सैलानी
रोहट . कोई भी सैलानी जोधपुर पहुंच रहा है तो रोहट की ओर तो उसके कदम बढ़ने ही बढ़ने हैं। बढ़े भी क्यों ना, यहां सैलानियों को लोक संस्कृति के दर्शन होते हैं तो उन्हें यहां की कलाएं भी मोहित करती है। राजस्थान में भ्रमण पर आते ही सैलानी जोधपुर के बाद सीधे ही रोहटगढ़, मिहिरगढ़ पहुंचते हैं। दरअसल, रोहटगढ़ एवं मिहिरगढ़ में आने वाले विदेशी पर्यटकों को रोहट के गांवों की संस्कृति एवं सफारी खासी लुभाती है। विदेशी पर्यटक रोहटगढ से सफारी करते हुए चिंकारा हरिण को निहारते है। उसके बाद वे आसपास के गांवों में आबाद विश्नोइयों की ढाणियों में भी पहुंचते हैं और उनके कल्चर को नजदीक से फील करते हैं। सैलानियों को यहां का रहन-सहन व पहनावा खासा लुभाता है।

त्योहारी रंगत की मिठास
विदेशों से आने वाले पर्यटकों को राजस्थान के त्योहार बहुत ही अच्छे लगते हैं। कई विदेशी पर्यटक तो दीपावली एवं होली का त्योहार रोहटगढ में मनाने पहुंचते हैं। वे त्योहारों की खुशी यहां के ग्रामीणों के साथ मनाते हैं।

मन मोहती कलाकारी देखने का क्रेज
विदेशी पर्यटकों को कुम्हार के हाथ से तैयार किए जाने वाले मिट्टी के बर्तन खासे पसंद आते हैं। कई बार तो सैलानी गांवों में पहुंचकर अपने हाथ से मिट्टी के चाक पर मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए हाथ आजमाते हैं। वे यहां की संस्कृति को नजदीक से निहारने के लिए ही गांवों की ओर रुख कर रहे हैं।

पाली जिले के पर्यटन स्थल
● जवाई बांध
● जवाई लेपर्ड कंजर्वेशन
● गोरमघाट
● रणकपुर जैन मंदिर
● सिरियारी भिक्षु धाम
● परशुराम महादेव मंदिर
● रणकपुर सूर्य मन्दिर
● रोहट का ग्रामीणांचल
● रोहट गढ़
● मिहिर गढ़
● ओम बन्ना
● मगरमंडी माता मंदिर
● नारलाई
● आउवा
● गाजण माता

ग्रामीण पर्यटन योजना से बदल रही तस्वीर
पाली, जालोर व सिरोही में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। यह क्षेत्र लोक कला और विरासत का खजाना है। बजट घोषणा 2022-23 की पालना में पर्यटन विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान ग्रामीण पर्यटन योजना 2022 तैयार की है।

ग्रामीण पर्यटन से तात्पर्य गांवों के जीवन, कला, संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित कर समृद्ध पर्यटन अनुभव उपलब्ध कराने वाला पर्यटन जो स्थानीय समुदाय को आर्थिक और सामाजिक रूप से समृद्ध बनाए। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित की जाने वाली पर्यटन इकाइयों को यथा गेस्ट हाउस, कृषि पर्यटन इकाई, कैंपिंग साइट, कैरोवेन पार्क की स्थापना से गांवों में रोजगार सृजन, लोक कलाओं को प्रोत्साहन, हस्तशिल्प का संरक्षण एवं ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है। 6 से 10 कमरों को ग्रामीण गेस्ट हाउस के रूप में विकसित किया जा सकता है। होम स्टे के लिए 5 कमरों तक के आवास को पंजीकृत कराकर सैलानियों को ठहराया जा सकता है। कैंपिंग साइट के रूप में ग्रामीण क्षेत्र में कृषि भूमि पर एक् हजार वर्गमीटर एवं अधिकतम 1 हेक्टेयर पर पर्यटन इकाई विकसित की जा सकती है। इसके 10 फीसदी भू भाग पर टैंटों में अस्थाई आवास और भोजन की व्यवस्था सैलानियों के लिए की जा सकती है। विभिन्न पर्यटन इकाइयों के लिए पर्यटन विभाग में पंजीयन कराया जाना अनिवार्य है। ग्रामीण पर्यटन इकाइयों को सौ फीसदी स्टाम्प ड़्यूटी में छूट का प्रावधान है। इकाइयों को भू संपरिवर्तन और बिल्डिंग प्लान के अनुमोदन की भी जरूरत नहीं है। इसके अतिरिक्त ऋण में भी रियायत दी जा रही है। -डॉ. सरिता, अतिरिक्त निदेशक, पर्यटन

हर गांव-ढाणी समृद्ध
पाली जिले का हर गांव-ढाणी लोक जीवन, कला, संस्कृति और विरासत के लिहाज से समृद्ध है। इस कारण सैलानी यहां खींचे आ रहे हैं। सैलानियों के लिए यह क्षेत्र पसंदीदा बन गया है। जवाई बांध क्षेत्र में सेलिब्रिटी भी घूमने आ रहे हैं। ग्रामीण पर्यटन को विकसित करने पर जोर दिए जाए तो रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ेंगे। हमारी कला-संस्कृति का भी संरक्षण होगा। -गजेन्द्रसिंह पैरवा, पर्यटन व्यवसायी