
माघ मास के गुप्त नवरात्र शनिवार से शुरू हो चुके हैं। इसमें साधक माता की दश महाविद्याओं की उपवासना करेंगे। पाली के ज्योतिषाचार्य शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि शनिवार को वरियान योग में घट स्थापना की गई। नवरा 19 फरवरी तक रहेगी। वहीं 17 फरवरी को होमाष्टमी होगी। नवरात्र पर की जाने वाली कलश स्थापना में कलश को सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है।
कलश स्थापना के बिना कोई भी धार्मिक अनुष्ठान पूरा नहीं माना जाता है। कलश को पांच तरह के पत्तों से सजाया जाता है और उसमें हल्दी की गांठ, सुपारी, दुर्वा आदि रखी जाती है। कलश को स्थापित करने के लिए उसके नीचे बालू रेत की वेदी बनाई जाती है और उसमें जौ बोये जाते हैं। कलश के मध्य में सभी मातृ शक्तियां, समस्त सागर, सप्तद्वीपों सहित पृथ्वी, गायत्री, सावित्री, शांतिकारक तत्व, चारों वेद, सभी देव, आदित्य देव, विश्वदेव, सभी पितृदेव एक साथ निवास करते हैं।
अक्षय पुण्य की होती प्राप्ति
नवरात्र में मां दुर्गा के प्रति श्रद्धा भाव से व्रत, उपवास तथा शुद्ध उच्चारण वाले ब्राह्मण से सप्तशती के पाठ, हवन आदि कराने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। सप्तशती के प्रत्येक चरित्र में अलग-अलग सात महासतियों की शक्तियों को गुप्त रूप से बताया गया है। जैसे लक्ष्मी, ललिता, काली, दुर्गा, गायत्री, अरून्धती एवं सरस्वती, साथ ही काली, तारा, छिन्नमस्ता, मातंगी, भुवनेश्वरी, बाला एवं कुब्जिका, नन्दा शताक्षी, शाकंभरी, भीमा, रक्त दंतिका, दुर्गा व भ्रामरी।
जन साधारण के लिए नहीं
गुप्त नवरा नवरात्र साधारण जन के लिए नहीं होते हैं। मुख्य रूप से इनका संबंध साधना और तंत्र के क्षेत्र से जुड़े लोगों से होता है। गुप्त नवरात्रों में मां के सभी रूपों की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्र में साधनाएं बहुत ही गुप्त स्थान पर की जाती हैं।
Published on:
10 Feb 2024 02:22 pm
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