28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

VIDEO : कैसे लोको पायलट की सुझबूझ से टल गया बड़ा हादसा

रेलवे ट्रेक पर पड़े पिलर से टकराया ट्रेन का इंजन, लोको पायलट की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा  

2 min read
Google source verification
railway

रायपुर मारवाड़. (पाली).

दिल्ली अहमदाबाद रेलवे ट्रेक पर कलाली का बाडिया के पास बुधवार रात को जेसीबी चालक की मनमर्जी सैकड़ों रेल यात्रियों की जान ले सकती थी। लेकिन लोको पायलट की सूझबूझ से बड़ा हादसा टल गया। रेलवे पुलिस ने सेंदड़ा थाने में जेसीबी चालक के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराया है। थाना प्रभारी विष्णुदत्त राजपुरोहित ने बताया कि ब्यावर आरपीएफ के पीडब्लूआई रामकिशोर मीणा ने इस घटना को लेकर रिपोर्ट दी है। जिसमें बताया कि अमरपुरा रेलवे स्टेशन से तीन किलोमीटर आगे ब्यावर की तरफ 350/4 कलाली का बाडिय़ा रेलवे फाटक संख्या 28 है। ये फाटक रात को बंद ही रहती है। बुधवार रात करीब आठ बजे अज्ञात जेसीबी चालक ने अपनी जेसीबी को फाटक के पास रेलवे ट्रेक क्रॉस करने के लिए रेलवे लाइन पर सीमेंट के पिलर रख दिए। जेसीबी चालक ने पांच फीट लम्बे एक पिलर को रख जेसीबी निकालने के बाद पिलर हटाए नहीं। हालांकि जेसीबी निकलने के बाद वह पिलर कुछ हद तक ट्रेक से नीचे हो गया, लेकिन पिलर का कुछ हिस्सा ट्रेक पर ही रहा। इस बीच अहमदाबाद से हरिद्वार जाने वाली हरिद्वार मेल गुजरी। पिलर इंजन से टकराने के बाद ट्रेक से दूर जा गिरा। इंजन से टकराने से तेज आवाज हुई। ट्रेन चालक ने नियंत्रण खोए बगैर ट्रेन को रोक दिया। ट्रेन चालक की सूचना पर रेलवे प्रशासन हरकत में आया। रात 11 बजे सेंदड़ा पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने जेसीबी चालक की तलाश शुरू की।

रोकनी पड़ी कई ट्रेनें

हरिद्वार मेल के रास्ते में रुकी रहने से ब्यावर रेलवे स्टेशन व सेंदड़ा स्टेशन पर दूसरी ट्रेनों को रोकना पड़ा। इससे कई ट्रेनें गन्तव्य पर देरी से पहुंची।

रात को फाटक पर नहीं रहता कार्मिक

कलाली बाडिया रेलवे फाटक पर रात में कोई कार्मिक नहीं रहता है। इस फाटक पर सवेरे सात बजे से शाम सात बजे तक एक कार्मिक रहता है। ये कार्मिक शाम सात बजे ड्यूटी खत्म होते ही फाटक बंद कर चला जाता है, जो अगले दिन सुबह ही आता है। ऐसे में रात को फाटक खोलने वाला कोई नहीं रहता। इससे वाहन चालकों को रेलवे ट्रेक से होकर ही गुजरना पड़ता है।