
हेमावास बांध पर चलती चादर। फोटो- पत्रिका
पाली के निकट हेमावास बांध ओवरफ्लो हो गया है। उसका पानी अभी नदी में बह रहा है। इस पानी का उपयोग जलदाय विभाग ने पेयजल के रूप में करने की कवायद शुरू की है। विभाग की ओर से बांध का पानी मंडली तालाब में लेकर शहर के साथ सोजत व जैतारण के गांवों में भी जलापूर्ति की जाएगी।
पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े जवाई बांध में उसके सहायक सेई व बरसात से पानी की आवक हो रही है। उस पानी की हेमावास बांध से ऊपर के भाग में जलापूर्ति की जाएगी। उस पानी को मंडली तालाब में नहीं लिया जाएगा। हेमावास के ओवरफ्लो पानी को नहर से मंडली तालाब में लिया जाएगा। इसके बाद शहर के साथ सोजत व जैतारण क्षेत्र के गांवों व शहरों में जलापूर्ति की जाएगी। इसका लाभ यह मिलेगा कि जवाई बांध में पेयजल के लिए पानी बच जाएगा, जिसका उपयोग बरसात के बाद किया जाएगा। हेमावास बांध से ओवरफ्लो होकर पानी व्यर्थ नहीं बहेगा।
जिले में दो दिन से बरसात का दौर थमा होने के बावजूद जवाई बांध में सहायक सेई बांध से जल आवक हो रही है। बांध का गेज मंगलवार शाम छह बजे 39.40 फीट हो गया। बांध में अभी 2989.40 एमसीएफटी पानी है। जिले के दूसरे सबसे बड़े सरदारसमंद बांध पर चादर चल रही है।
हेमावास बांध से ओवरफ्लो हो रहे पानी का उपयोग जलदाय विभाग अधिक नहीं कर सकेगा। इसका कारण यह है कि नहर से मंडली तालाब में पानी लेने का एक गेट छोटा है। वहां विभाग की ओर से एक और गेट बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन वह कार्य नहीं हो सकता है। इससे विभाग एक गेट से करीब 1 एमसीएफटी पानी ही मंडली तालाब में मिलेगा। वहां दो गेट होने पर दो एमसीएफटी पानी मिल सकता था।
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पेयजल के लिए हेमावास बांध के ओवरफ्लो का पानी नहर से मंडली तालाब में लेकर जलापूर्ति करेंगे। इसके लिए तैयारी पूरी कर ली है। नहर में रोका लगाया जा रहा है।
कानसिंह राणावत, अधिशासी अभियंता, जलदाय विभाग, पाली
Published on:
30 Jul 2025 04:02 pm
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