
NRI Day Special: ये सच ही है कि सात समंदर पार भी लाखों दिलों में हिंदुस्तान बसता है। भले ही विदेशी धरती को कर्मभूमि बना दिया हो, लेकिन सालों बाद भी देश के लाल अपने हिन्दुस्तान की सरजमीं से ऐसे ही जुड़े हुए हैं, जैसे उनका बचपन में नाता था। विदेशों में अलग-अलग जगह होने के बाद ऐसे कई लोग है जो देश में जब भी आपदा आती है, मदद को तैयार रहते हैं। इतना ही नहीं, कई युवा तो विदेशी धरती पर हिन्दी भाषा का अध्ययन करवाकर देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। ऐसे ही चुनिंदा लोगों की कहानी, जो विदेशी धरती पर होने के बाद भी अपने गांव की मिट्टी से गहरा नाता जोड़े हुए हैं।
नवलकिशोर गोदारा : आपदा आई तो सरकार को दिए सवा दो करोड़ रुपए
बाड़मेर के भिंयाड़ गांव के नवलकिशोर गोदारा ने साउथ अफ्रीका के कांगों को अपनी कर्मभूमि बना रखा है। उनका मिट्टी से जुड़ाव इतना गहरा है कि वे करीब पंद्रह साल से लगातार क्षेत्र के विकास के कार्य में अग्रणी है। जब कोविड की आपदा आई थी तो उन्होंने सवा दो करोड़ रुपए राज्य व केन्द्र सरकार को दिए थे। इतना ही नहीं, राम मंदिर में सवा करोड़ रुपए दिए। इसके अलावा वे सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के तहत हॉस्टल, अस्पताल, चौराहे, स्कूल और अन्य कार्यों में भी दिल खोलकर दान दे रहे हैं। ये अन्य प्रवासी व विदेशी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।
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राजेंद्र कंवर : सिंगापुर में करवा रही हिंदी भाषा का अध्ययन
सिरोही जिले के रेवदर तहसील के टोकरा गांव की राजेंद्र कंवर जैतावत विदेशी धरती पर हिंदी मातृभाषा का अध्ययन करवा रही है। उनका ससुराल पाली जिले के सिसरवादा गांव में शिवजीसिंह जैतावत के यहां है। पूर्व में टोक्यो जापान में ग्लोबल इंडियन इंटरनेशनल स्कूल में हिंदी और संस्कृत भाषा की एचओडी रह चुकी राजेंद्र कंवर भारतीय मूल के विद्यार्थियों को हिंदी मातृभाषा का अध्ययन करवाकर उन्हें देश की मिट्टी से जोड़े रखने का प्रयास कर रही है।
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पृथ्वीराजसिंह कोळू : बाड़मेर में बनवाया दो करोड़ से आइसीयू वार्ड
बाड़मेर के कोळू गांव के निवासी पृथ्वीराज दुबई में व्यवसायरत है। इनका भी अपने क्षेत्र की मिट्टी से गहरा जुड़ाव है। 2006 की कवास में जब बाढ़ आई थी, तो उन्होंने दिल खोलकर मदद की थी। जब कोरोना काल की आपदा आई थी तो करीब 2 करेाड़ की लागत से बाड़मेर अस्पताल में अत्याधुनिक आइसीयू वार्ड का निर्माण राजस्थान पत्रिका की प्रेरणा से करवाया था। इतना ही नहीं, तिलवाड़ा मेले में पशु प्रतियोगिताओं के लिए हर साल 5.50 किलोग्राम चांदी का वितरण करते है। अन्य कई सामाजिक कार्य में भी आगे रहते हैं। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में भी इन्होंने एक करोड़ रुपए दिए हैं।
Published on:
09 Jan 2024 02:17 pm
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