22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दिवाली पर कैदी करेंगे हमारे घर रोशन, बाजार में बिक रही उनकी बनाई मेजिकल डिस्को लाइट

- प्रदेश के कारागृहों में लागू होगा पाली मॉडल- कैदियों के हाथों से बनी लाइट्स जयपुर भिजवाई, शहर में भी होगी बिक्री- जेल से छूटने के बाद कैदी जुड़ सकेंगे समाज की मुख्य धारा से, आत्मनिर्भर भी बनेंगे

2 min read
Google source verification

पाली

image

Suresh Hemnani

Nov 02, 2021

दिवाली पर कैदी करेंगे हमारे घर रोशन, बाजार में बिक रही उनकी बनाई मेजिकल डिस्को लाइट

दिवाली पर कैदी करेंगे हमारे घर रोशन, बाजार में बिक रही उनकी बनाई मेजिकल डिस्को लाइट

-राजकमल व्यास
पाली। अपराध की राह पर भटके कैदी इस दिवाली पर हमारे घरों में उजियारा लाएंगे। उनके हाथ की बनीं सजावटी लडिय़ां डिस्को (लाइट्स) घरों को रोशन करेंगी। पाली जेल में सजा काट रहे 30 कैदियों ने आत्मनिर्भरता का गुर सीखा है। कैदियों द्वारा बनाई गई लाइट्स बिक्री के लिए उपलब्ध है। वहीं, जयपुर समेत कई शहरों में ये लाइट्स रोशनी फैलाएंगी।

दरअसल, अपराधियों को समाज अलग ही दृष्टि से देखता है, लेकिन जब कैदी हुनरमंद बनकर जीवन के नए पथ पर आगे बढ़ेंगे तो इस नवाचार का पूरा समाज स्वागत करेगा। इसी मंशा से नाबार्ड पाली की ओर से जिला प्रशासन के सहयोग से जिला कारागृह में नैबस्किल परियोजना के तहत घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मरम्मत और रखरखाव का प्रशिक्षण दिया जाने लगा, जिसमें 30 कैदियों को चयनित किया गया। ये कैदी अगस्त माह से पारंगत हो रहे हैं और अब तो इनके हाथों से दिवाली पर घरों व दुकानों पर लगाई जाने वाली सजावटी लाइट्स भी तैयार हो चुकी है।

राजधानी में छाएगा बंदियों का नवाचार
पाली जिला कारागृह में ‘उजाला’ कार्यक्रम के तहत बंदियों को लाइट्स उपकरणों की मरम्मत के साथ ही मेजिकल डिस्को लाइट व एलइडी बल्ब बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। अब उजाला के ये उत्पाद आइडियल संस्थान के सहयोग से स्पोट्र्स और रिक्रिएशन क्लब जयपुर भिजवाए गए हैं। इसके साथ ही इन कैदियों ने सफेद एलइडी नौ वॉल्ट और 12 वॉल्ट, मेजिकल डिस्को लाइट और लाइटिंग झूमर भी बनाई है।

स्वदेशी को बढ़ावा, जी सकेंगे सम्मानजनक जीवन
इस कार्यक्रम की मंशा स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना भी है। प्रशिक्षण में पारंगत होने के बाद कैदी समाज की मुख्य धारा से जुडऩे के लिए घर लौटने पर उद्यम शुरू कर सकेंगे। कैदियों के बीच उद्यम शुरू करने, घरेलू उपकरणों और बिजली की मरम्मत के क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए पर्याप्त कौशल विकसित करने के लिए ये प्रशिक्षण दिया गया है।

खुलेंगे कैदियों के बैंक खाते
इस योजना की खासियत ये है कि इन बंदियों के हाथों से निर्मित उत्पादों की बिक्री से जो भी आय होगी, उसे बंदियों को दिया जाएगा। चूंकि, अभी कैदी कारागृह में ही है। ऐसे में इन कैदियों के नाबार्ड की ओर से बैंक खाते खुलवाए जाएंगे, इन खातों में उपकरणों की बिक्री से होने वाली आय जमा करवाई जाएगी। जेल से छूटने के बाद इन्हें ये राशि मिल सकेगी, जिससे इन्हें आर्थिक संबल भी मिलेगा।

बंदियों की जीवन की दिशा बदलेगी
ये कार्यक्रम बंदियों के जीवन जीने की दिशा बदल देगा। हमने पाली जेल में 30 कैदियों को प्रशिक्षण के लिए चयनित किया था। पिछले अगस्त माह से इन्हें बिजली उपकरणों की मरम्मत के साथ ही डिस्को लाइट बनाने में पारंगत किया गया। अब तो इनके हाथों से बने उत्पाद बाजार भी पहुंच गए हैं। ऑर्डर मिलने पर 165 डिस्को लाइट जयपुर भिजवाई गई है। पाली शहर में भी एक जगह निर्धारित की जा रही है, जहां ये उत्पाद मिल सकेंगे। - विनोद दाचीच, जिला विकास अधिकारी, नाबार्ड