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राजेंद्रसिंह देणोक/राजीव दवे
Pali News: प्रकृति पाली पर कितनी मेहरबान है इसका अंदाजा शायद हमें नहीं है। यदि ऐसा होता तो प्राकृतिक स्थलों की दुर्दशा नहीं होती। आप जानकार हैरान होंगे कि अकेले पाली जिले में 792 वेटलैंड है। भूमि और जल के बीच के वे स्थल जहां जल, मिट्टी, और जैव विविधता का अनूठा संगम है।
जैव विविधता के लिए बेहद जरूरी वेटलैंड (wetlands) अनदेखी के शिकार है। कहीं अतिक्रमण का बोलबाला तो कहीं जीव-जंतुओं की सुरक्षा पर खतरा। वन विभाग की लापरवाही के कारण वेटलैंड विकसित नहीं हो पाए। अब सुप्रीम कोर्ट ने इनके सीमांकन के आदेश दिए हैं। इससे तस्वीर बदलने की उम्मीद जगी है।
सीमांकन कार्य 31 जनवरी तक पूरा कर सूचना पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को रिपोर्ट सौंपनी है। पाली जिले की बाली तहसील में सबसे अधिक 118 वेटलैंड, बाली में देसूरी में 21, जैतारण में 30, मारवाड़ जंक्शन में 92, पाली में 107, रायपुर 53, रानी में 40, रोहट में 98, सोजत में 76 व सुमेरपुर में 57 वेटलैंड चिहिन्त कर सीमांकन करवाया जा रहा है। इन वैटलैंड में द्वीप, जलमग्न क्षेत्र, टैंक व तालाब, जलाशय व बैराज, नदी या धारा आदि को शामिल किया है।
आर्द्रभूमि में उच्च जैव विविधता पाई जाती है तथा इसमें पारिस्थिति की उत्पादकता भी अधिक होती है। ऐसी भूमि तटीय चक्रवात, सुनामी, बाढ़ और सूखे को कम करती है। इससे भूमिगत जल के स्तर को बनाए रखने में मदद मिलती है और ये प्रवासी पक्षियों के आकर्षण का स्थान होती है। वेटलैंड संरक्षण व संवर्द्धन से पेयजल समस्या का समाधान होने के साथ पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है।
वेटलैंड का मतलब होता है नमी या दलदली क्षेत्र अथवा पानी से संतृप्त भूभाग। अर्थात नमी या दलदली भूमि क्षेत्र। कई जगह सालभर पानी भरा रहता है। वेटलैंड की मिट्टी झील, नदी व तालाब किनारे का हिस्सा होता है। आर्द्रभूमि वह क्षेत्र है, जो सालभर आंशिक या पूर्णत: जल से भरा रहता है। वेटलैंड के बहुत से लाभ है। वेटलैंड जल को प्रदूषण मुक्त बनाते है।
बाली: जवाई नदी, सेला नाडी, मीठड़ी बांध, जवाई बांध, लाटाड़ा बांध, कोट बांध, फुटिया बांध, दांतीवाड़ा बांध, शिवनाथ सागर बांध, सेवाड़ी बांध, पीपला बांध, धणी बांध आदि।
देसूरी: हरिओम सागर बांध, केसूली बांध, घोड़ाधड़ा, काणा, मुथाना, सेली की नाल, राजपुरा, जूना मलारी, कोट की नदी आदि।
जैतारण: लूणी नदी, शिव सागर व छतर सागर आदि।
रायपुर: छतर सागर, लीलड़ी नदी, रायपुर तालाब, सुकड़ी नदी आदि।
रानी: ढारिया बांध, कोट की नदी, सुकड़ी नदी आदि
रोहट: हरि का नाड़ा, वायद आदि।
सोजत: मालपुरिया, राजसागर चौपड़ा, सरदारसमंद, गजनई, गुडिया नदी, लीलड़ी नदी, सुकड़ी नदी आदि।
सुमेरपुर: गलदरा, तखतगढ़ बांध, दुजाणा, सिन्दरू, बांकली खिवांदी, बलवना आदि।
पाली: हेमावास बांध, बाड़िया तालाब, एंदला बांध, लोर्डिया, बाणियावास, साली की ढाणी, बांडी नदी आदि।
मारवाड़ जंक्शन: सिरियारी, सारण, चिरपटिया, सोमेसर, बांडी नदी, फुलाद, कंटालिया, जोगड़ावास आदि।
जैव विविधता का संरक्षण : वैटलैंड अनेक प्रजातियों का निवास स्थान है।
जल शुद्धिकरण: ये गंदे पानी को छानने और शुद्ध करने में मदद करते हैं।
बाढ़ नियंत्रण: वैटलैंड बाढ़ के पानी को अवशोषित करने का काम करते हैं।
कार्बन का भंडारण: ये ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने में मदद करते हैं।
आजीविका: मत्स्य पालन, कृषि, और पर्यटन जैसी गतिविधियों के लिए उपयोगी।
वेटलैंड पर खतरे: अतिक्रमण और शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन, कृषि और औद्योगिक प्रदूषण, अधिक जल निकासी और अवैध खनन।
जिला मुख्यालय पर लोर्डिया तालाब वेटलैंड घोषित है। वन विभाग ने लोर्डिया तालाब की पाळ पर इसका बोर्ड भी लगा है। वन विभाग ने केवल बोर्ड लगाने की औपचारिकता निभाई। न कभी इसकी सार-संभाल की। न अतिक्रमण हटाने के प्रयास किए। तालाब के आसपास बदहाल स्थिति है। कंटीली झाड़ियां और गंदगी तालाब को बदसूरत बना रहे हैं।
शहर का एकमात्र पर्यटन स्थल लाखोटिया तालाब। यहां भी वेडलैंड के नाम पर कुछ भी नहीं। मजे की बात यह कि शहर के अधिकांश लोग वेटलैंड से वाकिफ नहीं है। इस बारे में कभी न प्रचार-प्रसार किया और न नियमों की जानकारी दी गई। जागरुकता और विकास के अभाव में वेटलैंड नाममात्र के घोषित है।
वेटलैंड के संरक्षण और सीमांकन के लिए काम कर रहे हैं। लेकिन विभाग प्राथमिकता के आधार पर बजट जारी करता है। जिस स्थान के लिए बजट मिलता है वहां सीमांकन इत्यादि कराया जाता है। पाली में फिलहाल किसी तरह का टारगेट नहीं मिला है। यदि किसी जगह अतिक्रमण हो रहा है तो दिखवा लेता हूं। वेटलैंड के संरक्षण के हरसंभव प्रयास करेंगे।
- आर के जैन, सीसीएफ, जोधपुर
द्वीप: 45
टैंक/तालाब : 652
जलाशय/बैराज : 55
नदी/धारा : 38
जलमग्न स्थल: 1
झील: 1
Updated on:
02 Jan 2025 10:42 am
Published on:
02 Jan 2025 10:20 am
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