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Weather Update Today: यहां पड़ने वाली है ज्यादा सर्दी, IMD का बड़ा अलर्ट

Weather Update Today: कोहरे के बाद कड़ाके की सर्दी का दौर जारी है। क्षेत्र में मौसम के हाल बदले हुए हैं, या यूं कहें कि मौसम के हाल-बेहाल हैं। शुरूआत में कोहरा गिरा, कई दिन सूर्य देव के दर्शन नहीं हुए और अब सर्दी हाड़कंपाने वाली पड़ रही है।

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पाली

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Santosh Trivedi

Jan 17, 2024

Weather News Today: पाली/निमाज। जहां भी नजर जाए वहां तक घना कोहरा, कंपकंपाती सर्दी, सन्न सन्न करती हवाओं के बीच प्रतिकूल मौसम में बिना कुछ बोले धरतीपुत्र इन दिनों फसलों को सहेजने में लगे हैं। बदलता मौसम का मिजाज भी धरतीपुत्रों की अग्नि परीक्षा ले रहा है।


सर्द हवाओं के झोंकों और कोहरे के बीच करीबन शून्य डिग्री तापमान में जहां मौसम की मार किसी का भी जोश ठंडा कर दे, ऐसे माहौल में किसान पुत्र सब कुछ भूलकर ठंडे पानी में खड़े रहकर फसलों की सिंचाई में जुटे हैं। इनके इस तप की बदौलत ही हम समय पर खाने के लिए फसलें हासिल करते हैं। इनका हौसला मौसम पर भारी पड़ता है।


फल और सब्जियों की फसल को नुकसान


सर्दी बढ़ने से फल और सब्जियों की फसल को नुकसान हो सकता है। टमाटर, बैंगन, आलू, पत्तागोभी, मटर और प्याज जैसी फसलों को नुकसान हो सकता है। इन फसलों को पाले से बचाने के लिए किसानों को विशेष सावधानी बरतनी होगी। दूसरी ओर, सर्दी का मौसम धान की फसलों के बीज के अंकुरण में देरी कर सकता है। इससे धान की फसल के उत्पादन पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा सर्दी से पशुओं के बीमार होने का खतरा भी बढ़ जाता है। किसानों को पशुओं को ठंड से बचाने के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।


पाले से फसलों को होता है नुकसान

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जब दोपहर के समय या उसके पहले शीतलहर चल रही हो और हवा का तापमान जमाव बिंदु से कम हो जाए। दोपहर के बाद अचानक मौसम बिल्कुल साफ हो जाए और हवा चलना बिल्कुल बंद हो जाए तो इस अवस्था में निश्चित रूप से पाले की समस्या देखने को मिलेगी। इस अवस्था में होता क्या है कि बर्फ की जो पतली परत होती है, वह पौधे की कोशिकाओं के अंदर और बाहर की ओर जमा हो जाती हैं। जिसके चलते कोशिकाएं टूट जाती हैं। इसके कारण कार्बन डाईऑक्साइड और प्रकाश संश्लेषण जैसी विभिन्न क्रियाएं पौधों में नहीं होती है। वाष्पीकरण भी रूक जाती है, जिसके चलते पौधे की पत्तियां झुलस जाएंगी और सूखकर गिर जाएंगे। ऐसे में कई फसलों में जो फूल बनने की अवस्था में होते हैं, उनके फूल भी झड़ जाते हैं। इस तरह से फसल का पाले की वजह से अच्छा खासा नुकसान हो जाता है।


घर पर फसल आए तब ही मिलती है शांति

किसान धर्माराम, रतनलाल आदि बताते हैं कि वाकई खेती एक जुआ ही है। फसलों की बुवाई के बाद चार-पांच महीनों तक कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। कभी पाला, कभी बरसात के साथ मौसम भी परीक्षा लेता है। ऐसे में फसलों को इनसे बचाना जरूरी हो जाता। मौसम का मिजाज बदलते ही हमारी सांसें भी फूलने लगती हैं। एक झटके में लाखों की फसलें तबाह हो जाती हैं। फसलें बोने के बाद जब सही सलामत घर पर पहुंचे तब ही शांति मिलती है।


मौसम का हाल है बेहाल

कोहरे के बाद कड़ाके की सर्दी का दौर जारी है। क्षेत्र में मौसम के हाल बदले हुए हैं, या यूं कहें कि मौसम के हाल-बेहाल हैं। शुरूआत में कोहरा गिरा, कई दिन सूर्य देव के दर्शन नहीं हुए और अब सर्दी हाड़कंपाने वाली पड़ रही है। ऐसे में जब कड़ाके की सर्दी पड़ती है तो किसानों को सबसे ज्यादा अपनी फसलों पर पाला पड़ने की आशंका रहती है।


जिसका असर आम लोगों की जिंदगी पर भी पड़ रहा है। सर्दी के दिनों में खेत का काम करना भी मुश्किल हो जाता है। मौसम का मिजाज किसानों के लिए अग्नि परीक्षा से कम नही हैं। कंपकंपाती सर्दी में किसान अलसुबह फसलों को सहेजने में लगे हैं। आने वाले दिनों में कड़ाके की सर्दी की चेतावनी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। कड़ाके की सर्दी के कारण किसानों को विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।


फसलों को पाले से ऐसे बचाएं

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार पाले से फसलों के बचाव के लिए जो उपाय करने चाहिए, उसमें सर्वप्रथम भूमि को हमेशा सिंचित करके रखें। भूमि को बिल्कुल भी सूखा न छोड़ें। भूमि को सिंचित करते हैं और स्प्रिंकलर इरिगेशन से करते हैं तो उसके चलते ये होगा कि भूमि में नमी बनी रहेगी। उससे जो तापमान कम नहीं होता है। उस समय भूमि की खुदाई न करें और न ही कभी जुताई करें। अन्यथा भूमि की जो नमी है, वो ऊपर उठ जाएगी।