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बैल-हल के पुराने दौर पर लौटी खेती, महंगाई से मजबूर किसान

डीजल महंगा होने से ट्रैक्टर से खेत जुताई का खर्च बढ़ा, 900 रुपए प्रति घंटे के दाम पर मिल रहा जुताई के लिए ट्रैक्टर

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पन्‍ना. डीजल के दाम में बढोत्तरी का असर खेती किसानीं पर नजर आने लगा है। छतरपुर में डीजल के दाम प्रति लीटर 102 रुपए 95 पैसे हो गए हैं। डीजल के दाम बढ़ने से जुताई के लिए ट्रैक्टर संचालक 900 रुपए प्रति घंटे की दर से चार्ज वसूल रहे हैं जबकि पहले 600 से 700 रुपए ही लगते थे। जुताई के दाम बढ़ने से छोटे किसानों की लागत बढ़ गई है। खाद-बीज की महंगाई से पहले परेशान किसानों ने ऐसे में इस समस्या का समाधान निकालने के लिए छोटे किसानों ने बैल व हल से खेत जोतना शुरु कर दिया है।

छोटे खेत वाले किसानों के पास ये संसाधन न होने से उन्हें किराए पर ये सामग्रियां लेना पड़ती है। जुताई के लिए वर्तमान में प्रति घंटे 900 रुपए का भुगतान किसानों को करना पड़ रहा है। जिससे डेढ से दो एकड़ खेत की जुताई एक घंटे में होती है। वहीं डीजल के दाम बढ़ने से श्रेसर बैगरह का किराया भी महंगा होने की संभावना से किसान चिंतित हैं। खेती के लिए ट्रैक्टर, कल्टीवेटर, हेरो, श्रेसर और दूसरे उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है।

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खेतों की जुताई के अलावा सिंचाई के लिए भी डीजल की जरुरत होती है। महाराजपुर व राजगनर, नोगांव व हरपालपुर इलाके के छोटे किसानों ने परंपरागत साधन बैल-हल का इस्तेमाल कर जुताई का खर्च तो कम लिया है, लेकिन सिंचाई के लिए महंगा डीजल खरीदने को लेकर किसान अभी भी चिंतित हैं। मौसम की मार से प्रभावित खेती को आगे जारी रखने के लिए किसानों को आधुनिक यंत्रों के साथ अब परंपरागत संसाधन भी अपनाना पड़ रहे हैं।
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बढ़ गया खर्च
किसान प्योरलाल कुशवाहा का कहना है कि डीजल के दाम बढ़ने से खेती की लागत पर असर पड़ा है। जुताई, सिंचाई, फसल की ढुलाई का खर्च बढ़ने से किसानों की परेशानी बढ़ने वाली है। किसान राकेश पटेल का कहना है कि मौसम की मार से पहले ही किसान परेशान हैं, अब डीजल के दाम में बढोत्तरी भारी पड़ रही है। खरीफ की फसल बारिश के चलते खराब हो गई, अब जुताई महंगी होने से मुसीबत बढ़ गई है। इसलिए किसान खर्च कम करने के उपाय पर काम कर रहे हैं।
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