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पितृपक्ष: पितरों की आत्मा की शांति के लिए नदी-तालाबों में दिया अध्र्य

कुछ लोग आज भी शुरू करेंगे तर्पण, श्राद्ध का सिलसिला भी हुआ शुरू

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पन्ना. पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने और उनके आत्मा की शांति के लिए समर्पित १५ दिनी पितृपक्ष १३ सितंबर से शुरू हो गया। पितृपक्ष के पहले दिन से जिला मुख्यालय के धरम सागर तालाब सहित अन्य जल स्रोतों और घरों में लोगों ने तर्पण शुरू कर दिया है। जिलेभर में बड़ी संख्या में लोगों ने अपने पूवजों को तिल, चावल और जौ आदि से नदी तालाबों और विभिन्न जल स्रोतों में पहुंचकर अध्र्य दिया। तर्पण का कार्यक्रम सूर्य निकलने के साथ ही शुरू हो गया।

श्राद्ध का सिलसिला भी हुआ शुरू
धरम सागर में सुबह 5 बजे से लोग तर्पण करने के लिये पहुंचने लगे थे, सुबह करीब 10 बजे तक तर्पण का क्रम चलता रहा। धरम सागर तालाब के बाबा घाट में पंडित योगेंद्र शास्त्री द्वारा मंत्रोच्चार के साथ तर्पण कराया। इसके अलावा विभिन्न घाटों में भी बड़ी संख्या में लोगों ने तालाब के जल में स्नान करके जल के तर्पण किया। जिस तिथि में जिस पूर्वज का स्वर्गवास हुआ हो उसी तिथि को उनका श्राद्ध किया जाता है जिनकी परलोक गमन तिथि ज्ञान न हो उन सबका श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है।

भगवान जुगल किशोर करेंगे तर्पण
मंदिरों की नगरी पन्ना में त्योहार और रस्में भी अलबेले अंदाज में ही मनाए जाते हैं। साक्षात विष्णु के अवतार भगवान श्रीकृष्ण भी यहां इंसान रूप में अपने पितरों के आत्मा की शांति के लिये तर्पण करते हैं। मंदिर के पुजारी अवध बिहारी ने बताया कि भगवान जुगल किशोर पितरों को तर्पण कर अध्र्य देंगे। यह प्रक्रिया मंदिर के गर्भगृह में पंडितों द्वारा पूरी कराई जाती है। जिसे देखना श्रद्धालुओं के लिये निषेध है। श्रद्धा पक्ष के 15 दिनों तक भगवान पितरों को तर्पण करने के साथ ही भगवान दिनभर श्वेत वस्त्र भी धारण करेंगे।

जिलेभर में शुरू हुआ तर्पण
पितृपक्ष शुरू होने के साथ ही जिलेभर में तर्पण शुरू हो गया है। सुबह नदी तालाबों सहित अन्य जल स्रोतों में बड़ी संख्या में लोग पहुंचकर स्नान करने के बाद तर्पण कर रहे हैं। जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में तर्पण के साथ ही श्राद्ध शुरू हो गए हैं। इससे श्राद्ध भोज के लिए पंडितों की पूछ परख बढ़ गई है।