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छत्रसाल कॉलेज का मामला: सीट से अधिक प्रवेश, बीस की जगह में बैठेंगे 80 छात्र, प्रबंधन पशोपेश में

कॉलेज प्रबंधन के लिए मुश्किल होगा नियमित रूप से पीजी की कक्षाओं का संचालन

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More than seat admission, 80 students will sit in place of twenty

More than seat admission, 80 students will sit in place of twenty

पन्ना. जिले के सबसे बड़े छत्रसाल कॉलेज की पीजी कक्षाओं में जहां कॉलेज प्रबंधन के पास 20-20 छात्र-छात्राओं को बैठाने की क्षमता ही है वहां भी 80-80 छात्र-छात्राओं के प्रवेश हो गए हैं। ऐसे हालात में जब कक्षाएं लगनी शुरू होंगी तक कॉलेज प्रबंधन के लिए इन प्रवेशी छात्र-छात्राओं को बैठाने की समुचित व्यवस्था करना बड़ी चुनौती बन सकता है। इसको लेकर कॉलेज प्रबंधन से जुड़े लोग भी खासे चिंतित दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ ही इतने बच्चों के लिए शिक्षकों का समुचित प्रबंध करना भी बड़ी चुनौती बनेगा।

छात्रों के लिए छोटे पडऩे लगेंगे कक्षाओं के कमरे
गौरतलब है कि कॉलेज लेबिल काउंसलिंग (सीएलसी) के द्वितीय चरण के लिए कॉलेज में तीन बार सीटें की संख्या बढ़ाई जा चुकी है। 12 सितंबर शाम 5 बजे तक प्रवेश की अंतिम तिथि थी। तीसरी बार सीटें बढऩे के बाद हालात यह हो गई है कि कॉलेज में जिन कमरों में पीजी की कक्षाएं लगती हैं उनमें 20-20 छात्र-छात्राओं को बैठाने की क्षमता है। इससे कॉलेज प्रबंधन इनमें पूर्व के सालों तक अधिकतम 30 सीटों तक ही प्रवेश लेता था, लेकिन छात्रों के दबाव के कारण इस साल इन कक्षाओं में 80-80 छात्र-छात्राओं के प्रवेश हो गए हैं। इससे कॉलेज प्रबंधन से जुड़े लोगों की सांसें फूलने लगी हैं। इतनी बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं को बैठने की व्यवस्था करना ही मुश्किल होगा, ऐसे हालात में उनके लिए गुणवत्तायुक्त समुचित शैक्षणिक व्यवस्था करना टेढ़ी खीर लग रहा है। कॉलेज में व्यवस्था से जुड़े लोगों को भी समझ नहीं आ रहा है कि आगामी दिनों कॉलेज में पीजी कक्षाओं का व्यवस्थित रूप से संचालन कैसे हो पाएगा।

50 पदों के विरुद्ध 18 ही नियमित शिक्षक
कॉलेज में छात्र-छात्राओं के अध्यापन कार्य के लिए शैक्षणिक व्यवस्था से जुड़े विभिन्न स्तर के 50 पद स्वीकृत हैं। इनमें से सिर्फ 18 पद ही फिलहाल भरे हुए हैं। यहां शिक्षकों के अधिकांश पद पहले से ही रिक्त पड़े हुए हैं। जो वरिष्ठ शिक्षक हैं भी उनके पास कई प्रकार के गैर शिक्षकीय प्रभार भी होते हैं। इससे वे नियमित रूप से क्लासें नहीं ले पाते हैं। ऐसे हालात में कॉलेज की शैक्षणिक व्यवस्था पूरी तरह से अतिथि विद्वानों के भरोसे ही संचालित हो रही है। इन सबके बाद भी कॉलेज में क्षमता से कई गुना अधिक छात्र-छात्राओं का प्रवेश चिंता की बात तो है ही।

कला संकाय के विषयों को लेकर मारामारी
विज्ञान और वाणिज्य संकाय की सीटों में प्रवेश को लेकर उतनी होड़ नहीं थी, जितनी कि पीजी में आर्ट के विषयों को लेकर थी। इसका प्रमुख कारण जिले के अधिकांश कॉलेजों में पीजी की कक्षाओं का संचालित नहीं होना भी है। इसके कारण जिलेभर के छात्र-छात्राओं को प्रवेश लेेने के लिए छत्रसाल कॉलेज ही आना पड़ता है। यहां भीड़ के कारण उन्हें काफी परेशानी भी उठानी पड़ती है। सीएलसी लेबिल की काउंसलिंग के अंतिम दिन भी आर्ट संकाय के विषयों में ही प्रवेश केा लेकर बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं पहुंचे हुए थे।