
बिहार में 2015-2024 के बीच अपराध में 80% की बढ़ोतरी - फोटो : पत्रिका
Bihar Crime: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले बढ़ती हत्या और अपराध की घटनाओं ने राज्य की कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। हाल ही में पटना के एक अस्पताल में पांच हमलावरों द्वारा एक कुख्यात अपराधी की दिनदहाड़े हत्या के बाद विपक्ष और सत्ताधारी गठबंधन के अंदर से भी सवाल उठने लगे हैं। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार में अराजकता की स्थिति बन गई है और प्रदेश एक बेहोश मुख्यमंत्री के हाथ में है। वहीं, एनडीए के सहयोगी और एलजेपी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने भी कहा कि हाल की हत्याएं राज्य में कानून व्यवस्था के पूरी तरह ध्वस्त होने का संकेत दे रही हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) और बिहार पुलिस के राज्य स्तरीय आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में अपराध में तेजी से वृद्धि हुई है। 2015 से 2024 तक बिहार में अपराध के मामलों में 80.2% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि इसी अवधि में राष्ट्रीय औसत केवल 23.7% बढ़ा।
2015 से लेकर अब तक बिहार में हर साल अपराध के मामले बढ़े हैं, सिर्फ 2016, 2020 (कोविड महामारी के दौरान) और 2024 में मामूली गिरावट देखी गई। 2017 में अपराध में सबसे अधिक 24.4% की वृद्धि हुई। 2022 में बिहार में 3.5 लाख अपराध दर्ज हुए, जो 2021 से 23.3% अधिक था। वहीं, 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 3.54 लाख तक पहुंचा और 2024 में मामूली गिरकर 3.52 लाख पर आ गया। 2025 में जून तक ही 1.91 लाख अपराध दर्ज हो चुके हैं, जो 2024 की तुलना में आधे से अधिक है।
हालांकि, आबादी के अनुपात में अपराध की दर राष्ट्रीय औसत से कम रही है। 2022 में बिहार में प्रति लाख 277 अपराध दर्ज हुए, जबकि राष्ट्रीय औसत 422 था। 2015 के बाद दिल्ली और केरल में सबसे अधिक अपराध दर दर्ज की गई, जिसका एक कारण इन राज्यों में मामलों के पंजीकरण की दर अधिक होना भी माना जाता है।
हालांकि, बिहार में हिंसक अपराधों की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही है। हत्या के मामलों की बात करें तो 2015 में 3,178 हत्या के मामलों की तुलना में 2022 में यह संख्या घटकर 2,930 हो गई, फिर भी उत्तर प्रदेश के बाद बिहार हर साल हत्या के मामलों में दूसरे नंबर पर रहा।
हत्या के प्रयास के मामलों में स्थिति और गंभीर है। 2015 में जहां 5,981 हत्या के प्रयास के मामले दर्ज हुए थे, 2022 में यह संख्या बढ़कर 8,667 तक पहुंच गई। 2022 में बिहार में प्रति लाख 2.3 हत्या और 6.9 हत्या के प्रयास के मामले दर्ज हुए, जो राष्ट्रीय औसत (2.1 और 4.1 क्रमशः) से अधिक है।
पिछले एक दशक में बिहार में हत्या की दर 2015 में 3.1 के उच्चतम स्तर पर पहुंची थी, जबकि हत्या के प्रयास की दर 2017 में 9.1 रही। 2017 में बिहार हत्या के प्रयास में दूसरी सबसे अधिक दर वाले राज्य के रूप में सामने आया था।
2015-2022 के बीच संपत्ति विवाद बिहार में हत्या का सबसे प्रमुख कारण रहा है। 2018 में संपत्ति विवाद से जुड़ी 1,016 हत्याएं दर्ज की गईं, जो इस अवधि में सर्वाधिक थी।
बिहार में बढ़ते अपराध को लेकर विपक्ष ने राज्य सरकार को घेरा है। तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार ने जिस जंगलराज को खत्म करने की बात कही थी, आज वही जंगलराज फिर लौट आया है। वहीं, चिराग पासवान ने कहा कि “राज्य में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। हालांकि, नीतीश कुमार का दावा है कि उन्होंने बिहार को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में कई कड़े कदम उठाए हैं। लेकिन बढ़ते अपराध के आंकड़े उनके दावों पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
चुनाव से पहले बिहार में बढ़ते अपराध के आंकड़े और विपक्ष के तीखे हमले राज्य में कानून व्यवस्था को चुनावी मुद्दा बना सकते हैं। एक ओर जहां राज्य की प्रति लाख आबादी पर अपराध दर राष्ट्रीय औसत से कम है, वहीं हत्या और हिंसक अपराधों में राज्य की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। आगामी चुनावों में यह मुद्दा बिहार की राजनीति की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
राजधानी पटना सहित बिहार के अलग-अलग जिलों में जुलाई महीने के दौरान हुई दर्जनभर हत्या और गोलीबारी की वारदातों ने प्रदेश में सनसनी फैला दी थी। इन घटनाओं में गोपाल खेमका हत्याकांड और पारस हॉस्पिटल गोलीकांड जैसी चर्चित घटनाएं भी शामिल रहीं। हालांकि, बिहार पुलिस ने पुलिस मुख्यालय की निगरानी में तेजी से कार्रवाई करते हुए इनमें से 11 संगीन अपराधों का सफलतापूर्वक उद्भेदन कर लिया और मुख्य शूटरों समेत लगभग सभी नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस मुख्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सिर्फ एक मामला ऐसा है जिसमें आरोपी अभी फरार है। यह मामला पटना के रामकृष्ण नगर थाना क्षेत्र में मिनी मार्ट संचालक विक्रम कुमार झा की दुकान में घुसकर की गई हत्या का है। इस मामले में पुलिस की तकनीकी जांच जारी है और जल्द गिरफ्तारी की संभावना जताई जा रही है।
पटना के गांधी मैदान थाना क्षेत्र में व्यवसायी गोपाल खेमका की हत्या के मुख्य शूटर उमेश यादव समेत साजिशकर्ता अशोक साव और अन्य नामजद अपराधियों को पुलिस ने घटना के कुछ ही दिनों में गिरफ्तार कर लिया। इस हत्याकांड ने राजधानी में व्यापारियों और आम लोगों में दहशत पैदा कर दी थी।
इसी तरह, पटना के राजाबाजार क्षेत्र स्थित पारस हॉस्पिटल में कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा की हत्या में शामिल मुख्य शूटर समेत सभी आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए। अपराधियों ने अस्पताल में घुसकर गोलियां चलाई थीं, जिससे शहर में भय का माहौल बना था।
- मसौढ़ी थाना क्षेत्र में क्रिकेट मैच के दौरान अम्पायर के फैसले पर विवाद में सत्येंद्र कुमार की हत्या के मामले में सभी नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी कर ली गई।
- खगौल थाना क्षेत्र में संपत्ति विवाद में हत्या के मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
- बख्तियारपुर थाना क्षेत्र में प्रेम प्रसंग और अवैध संबंध को लेकर हुई हत्या में सभी आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं।
- पटना सिटी के रानीतलाब थाना क्षेत्र में बालू घाट के वर्चस्व को लेकर हुई गोलीबारी में कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी हुई, शेष की तलाश जारी है।
- पिपरा थाना क्षेत्र में चुनावी रंजिश में सुरेंद्र प्रसाद की हत्या और सुल्तानगंज थाना क्षेत्र में प्रेम प्रसंग में जितेंद्र मेहता की हत्या मामले में भी पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर मुख्य आरोपियों को हिरासत में ले लिया है।
इन त्वरित कार्रवाइयों से राज्य में अपराध नियंत्रण और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई को लेकर जनता में पुलिस प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है। पुलिस मुख्यालय ने स्पष्ट किया है कि शेष फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीमें गठित कर लगातार छापेमारी की जा रही है और जल्द ही उन्हें भी कानून के कटघरे में लाया जाएगा।
प्रदेश में जुलाई में हुए इन संगीन अपराधों का तेजी से उद्भेदन बिहार पुलिस की तत्परता और मजबूत खुफिया नेटवर्क का प्रमाण है। पुलिस ने साफ किया है कि अपराधियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा और कानून का राज कायम रखने के लिए कठोरतम कार्रवाई जारी रहेगी।
Updated on:
21 Jul 2025 07:31 pm
Published on:
21 Jul 2025 06:16 pm
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