
ias sanjeev hans (photo - FB @DistrictCollectors)
इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक महिला वकील ने 1997 बैच के IAS अधिकारी संजीव हंस और झंझारपुर के पूर्व विधायक गुलाब यादव पर गैंगरेप का आरोप लगाते हुए कहा था कि दोनों (संजीव हंस और गुलाब यादव) ने धमकी देकर और नशे की दवा खिलाकर गैंगरेप किया, कई बार गर्भपात कराया, महिला ने कहा कि इसके बाद भी मैंने एक बच्चे का जन्म दिया। जो कि संजीव हंस का है। महिला ने आरोप लगाया कि दोनों ने उनका मुंह बंद करने के लिए रेप का लाइव वीडियो भी बनाया था। महिला ने तीन FIR दर्ज कर दोनों पर यह आरोप लगाया था।
हाईकोर्ट में मामला पहुंचने के बाद संजीव हंस गिरफ्तार हुए, लेकिन बाद में कोर्ट ने केस रद्द कर दिया यानी उन्हें बरी कर दिया। महिला के आरोप के बाद बिहार पुलिस ने FIR दर्ज कर मामले जांच शुरू की, महिला की मेडिकल जांच हुई, लेकिन घटना पुरानी होने से साक्ष्य नहीं मिले। पुलिस ने हंस और यादव से पूछताछ की, पर दोनों ने आरोपों से इनकार किया।
संजीव हंस ने महिला पर साजिश का आरोप लगाते हुए पटना कोर्ट में FIR रद्द करने की याचिका दायर करते हुए अपील किया कि महिला से मेरी कोई जान-पहचान नहीं, पुलिस को भी मेरे खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले। अत: मेरे खिलाफ FIR को रद्द किया जाए। वकीलों ने भी कोर्ट में तर्क दिया कि शिकायत 2017 की घटना पर 2023 में की गई, मामला राजनीतिक दुश्मनी से प्रेरित है। 6 अगस्त 2024 को कोर्ट ने हंस के पक्ष में फैसला दिया और केस रद्द कर दिया गया। कोर्ट बोला सबूत कमजोर, देरी से शिकायत पर संदेह है इसलिए हंस को बरी किया जा सकता है, पर गुलाब यादव पर केस जारी।
इसी केस की जांच में मनी लॉन्ड्रिंग का भी खुलासा हुआ। इसके बाद इस केस में ED की एंट्री हुई, लेकिन एक साल तक जांच एजेंसी की ओर से चार्ज फ्रेम किया गया और ना ही ट्रायल करा सकी। नतीजा यह हुआ कि 18 अक्टूबर 2025 को संजीव हंस को पटना हाईकोर्ट से जमानत मिल गई।
पटना हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद 15 दिसंबर को संजीव हंस का सस्पेंशन भी खत्म हो गया। इसके बाद सरकार ने 30 दिसबंर को उनकी नई पोस्टिंग हो गई। संजीव हंस पर रेप का तो केस खत्म हो गया है, लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग में इडी की जांच चल रही है।
पटना हाईकोर्ट ने संजीव हंस को बेल देते हुए कहा कि अधिकतम 7 साल की सजा वाले मामले में किसी भी व्यक्ति को 1 साल तक जेल में रखना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इसी आधार पर सभी आरोपियों को जमानत दी गई। संजीव हंस 18 अक्टूबर 2024 से न्यायिक हिरासत में थे, चार्जशीट दाखिल है, पर आरोप तय नहीं। इसको देखते हुए कोर्ट ने संजीव हंस को 16 अक्टूबर 2025 को जमानत दे दी। संजीव हंस के जेल से बाहर आने पर बिहार सरकार ने उनका सस्पेंशन वापस ले लिया। इसके बाद 15 दिसंबर 2025 को सामान्य प्रशासन इससे जुड़ा आदेश जारी कर दिया। 30 दिसंबर को उन्हें नई पोस्टिंग मिल गई।
Updated on:
31 Dec 2025 09:58 pm
Published on:
31 Dec 2025 09:56 pm
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