
बिहार में सर के बाद 65 लाख वोटरों के नाम लिस्ट से हट गए हैं। (फोटो सोर्स : पत्रिका)
बिहार में Special Intensive revision (SIR) के बाद जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 3 बड़े जिलों में जिन वोटरों के नाम सबसे ज्यादा कटे हैं, उनमें महिलाओं की संख्या सर्वाधिक है। केंद्रीय चुनाव आयोग (ECI) के 18 अगस्त को जारी आंकड़े बताते हैं कि 3 जिले- पटना, मधुबनी और पूर्वी चंपारण में 10.63 लाख वोटरों के नाम कटे हैं। यानी पूरे राज्य में जिन 65 लाख वोटरों के नाम हटाए गए हैं, उनमें इतने वोटर इन 3 जिलों से आते हैं। चौकाने वाली बात यह है कि इन 36 विधानसभा सीटों पर महिलाओं के नाम सबसे ज्यादा कटे हैं, जबकि इन सीटों पर पुरुषों का मतदान का प्रतिशत महिलाओं से हमेशा ज्यादा रहा है।
डेटा के मुताबिक, 3 जिलों में कुल 5.67 लाख महिलाएं वोटर ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर हुई हैं, जबकि पुरुषों की संख्या 4.96 लाख रही। यानी कटे वोटरों में 53.35% महिलाएं शामिल हैं। राजनीतिक पंडित इस आंकड़े को अहम इसलिए मानते हैं क्योंकि पारंपरिक तौर पर महिलाएं एनडीए को ज्यादा वोट करती आई हैं। महिलाएं एनडीए की साइलेंट वोट बैंक मानी जाती रही हैं।
निर्वाचन आयोग ने SIR के बाद 65 लाख वोटरों का नाम हटाने के 4 कारण गिनाए थे। इनमें स्थायी रूप से दूसरी जगह जा चुके, जिनकी तादाद 36.74%, मृतक 32.23%, अनुपस्थित 21.2% और कहीं और नाम दर्ज वाले 9.82% वोटर थे। महिला वोटरों में सबसे आम कारण स्थायी रूप से दूसरी जगह ट्रांसफर है। विशेषज्ञों का कहना है कि यहां ट्रांसफर का सबसे बड़ा कारण विवाह है। दूसरी तरफ, पुरुषों में सबसे ज्यादा कटौती का कारण मृतक दर्ज किया गया।
पटना, मधुबनी और पूर्वी चंपारण में कुल 36 विधानसभा सीट आती हैं। इनमें पटना में 14, मधुबनी में 10 और पूर्वी चंपारण में 12 सीट शामिल हैं। इनमें से 25 सीटों पर कटे वोटरों की संख्या पिछली बार के विजेता उम्मीदवार की जीत के अंतर से भी अधिक है। सबसे अहम बात यह कि इन 25 सीटों में से 18 सीटें एनडीए के पास हैं। बता दें कि ये वे जिले हैं जिनमें 22 सीटें एनडीए के पास हैं बाकी 14 सीट महागठबंधन के पास।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पटना में 14 सीटें आती हैं। यहां 2 लाख से ज्यादा महिलाएं लिस्ट से बाहर हुईं। सबसे ज्यादा कटौती शहरी सीट दीघा और बंकीपुर में हुई, जहां महिलाओं का अनुपात औसतन 55% तक पहुंचा। मधुबनी की 10 सीटों में महिलाओं की कटौती का अनुपात और भी बड़ा है। बिस्फी सीट पर महिलाओं के नाम कटने का प्रतिशत 56.5% रहा। पूर्वी चंपारण की 12 सीटों में Harsidhi Seat सबसे चर्चित है, जहां 60% से अधिक हटाए गए वोटर महिलाएं हैं। इन तीनों जिलों में हर विधानसभा क्षेत्र में पुरुष मतदाता महिलाओं से अधिक रहे हैं।
बिहार में महिलाओं का मतदान प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में 59.7% महिलाओं ने वोट डाला था, जो पुरुषों से तकरीबन 4% ज्यादा था। ऐसे में महिला वोटरों की कटौती चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि महिलाओं का बड़ा वर्ग शराब बंदी, उज्ज्वला जैसी सामाजिक योजनाओं से प्रभावित होकर एनडीए का समर्थन करता रहा है। अगर उनकी संख्या में इतनी बड़ी कमी आती है, तो एनडीए को झटका लग सकता है।
2020 के विधानसभा चुनाव में इन 3 जिलों की 36 सीटों पर BJP-JDU ने 22 सीटें जीती थीं, जबकि महागठबंधन को 14 सीटें मिलीं। वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इन जिलों में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन अब जब 25 सीटों पर वोटरों का नाम कटने संख्या जीत के मार्जिन से ज्यादा है तो समीकरण बदलना तय माना जा रहा है।
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Updated on:
27 Aug 2025 09:53 am
Published on:
26 Aug 2025 06:23 pm
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