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CBSE Open Book Exam: कक्षा 9 के लिए ओपन बुक परीक्षा को मंजूरी, जानें कैसे होती है ये परीक्षा और कैसे रोकी जाती है चीटिंग

CBSE: ओपन-बुक परीक्षा में छात्र परीक्षा के दौरान अपनी किताबें या नोट्स लेकर आ सकते हैं। हालांकि, इसका मतलब केवल किताब से उत्तर नकल करना नहीं है, बल्कि उसमें दी गई जानकारी को समझकर और विश्लेषण करके उत्तर लिखना होगा।

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भारत

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Anurag Animesh

Aug 11, 2025

CBSE

CBSE (image: Patrika)

CBSE Open Book Exam: CBSE राष्ट्रीय शिक्षा निति के तहत कई बड़े बदलाव भारतीय शिक्षा पद्धति में कर रहा है। साथ ही कई नए प्रयोग भी कर रहा है। इसी कड़ी में CBSE ने शैक्षणिक सत्र 2026-27 से कक्षा 9 में ओपन-बुक परीक्षा लागू करने का निर्णय लिया है। यह फैसला शिक्षकों के समर्थन और जून 2025 में हुई बोर्ड की शासी निकाय की बैठक में प्रस्ताव पारित होने के बाद लिया गया। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCFSE) 2023 के तहत किया गया है, जिसका उद्देश्य छात्रों में रटने की बजाय समझ और विश्लेषण की क्षमता विकसित करना है।

क्या है CBSE Open Book Exam?

ओपन-बुक परीक्षा में छात्र परीक्षा के दौरान अपनी किताबें या नोट्स लेकर आ सकते हैं। हालांकि, इसका मतलब केवल किताब से उत्तर नकल करना नहीं है, बल्कि उसमें दी गई जानकारी को समझकर और विश्लेषण करके उत्तर लिखना होगा।
कक्षा 9 के लिए प्रत्येक सत्र में तीन पेन-पेपर टेस्ट भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान, ओपन-बुक फॉर्मेट में होंगे। ये परीक्षाएं स्कूल में ही आयोजित की जाएंगी और छात्रों को विषय से संबंधित पुस्तकें या स्वयं तैयार किए नोट्स लाने की अनुमति होगी।

CBSE Open Book Exam: ओपन-बुक परीक्षा के तरीके

ऑफलाइन मोड– छात्र निर्धारित परीक्षा केंद्र (स्कूल या विश्वविद्यालय कैंपस) में बैठकर उत्तर लिखते हैं और परीक्षा के दौरान स्वीकृत किताबों या नोट्स की मदद ले सकते हैं। ऑनलाइन मोड– प्रश्नपत्र छात्रों को ऑनलाइन भेजे जाते हैं और निर्धारित समय में पोर्टल पर लॉगिन करके परीक्षा देनी होती है। समय समाप्त होने पर सिस्टम अपने आप लॉग आउट कर देता है। इसके कई लाभ माने गए हैं। जैसे, रटने के दबाव में कमी, सोचने-समझने की क्षमता में वृद्धि, जानकारी खोजने की आदत विकसित होना, परीक्षा संबंधी तनाव कम होना

CBSE: पायलट टेस्ट का अनुभव

CBSE ने इसे लागू करने से पहले कुछ छात्रों पर पायलट प्रोजेक्ट चलाया। इसमें छात्रों के अंक 12% से 47% के बीच रहे, जो दर्शाता है कि कई छात्र उपलब्ध सामग्री का सही उपयोग करने और विभिन्न विषयों के कॉन्सेप्ट को जोड़ने में कठिनाई महसूस करते हैं। इसके बावजूद शिक्षकों का मानना है कि अभ्यास के साथ छात्र इस पद्धति में बेहतर हो जाएंगे। फीडबैक में यह भी सामने आया कि कक्षाओं में छात्रों को सिखाना जरूरी है कि किताबों और नोट्स से सही जानकारी कैसे चुनी जाए और उसे आंसर में कैसे लिखा जाए। इसके लिए CBSE अलग तरह के सैंपल पेपर्स तैयार करेगा, जिनमें प्रश्न सीधे उत्तर न देकर सोचने-समझने पर मजबूर करेंगे।

पहले का अनुभव

यह सिस्टम बोर्ड के लिए पूरी तरह नई नहीं है। 2014 में CBSE ने ओपन टेक्स्ट बेस्ड असेसमेंट (OTBA) शुरू किया था, जिसका उद्देश्य रटने की आदत को कम करना था। इसमें कक्षा 9 के लिए हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान तथा कक्षा 11 के लिए इकोनॉमिक्स, बायोलॉजी और जियोग्रफी में प्रयोग किया गया। छात्रों को संदर्भ मटेरियल चार महीने पहले दी जाती थी। हालांकि, 2017-18 में इसे बंद कर दिया गया। CBSE शिक्षा से संबंधी अलग-अलग प्रयोग करता रहता है। जिसे समय-समय पर लागू किया जाता है।