
धमतरी बना ग्रीन क्रांति का प्रतीक (फोटो सोर्स- पत्रिका)
Diwali 2025: त्योहारों का रंग-रूप बदल रहा है और बदलते दौर में अब पर्यावरण संरक्षण व स्वास्थ्य सुरक्षा की चिंता भी केंद्र में आ गई है। इसी दिशा में छत्तीसगढ़ का धमतरी जिला पूरे प्रदेश और देश के लिए प्रेरणा का केंद्र बनता दिख रहा है। यहां की पहल सिर्फ दिवाली के उत्सव को सुरक्षित और स्वच्छ बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण महिलाओं के जीवन में आत्मनिर्भरता और रोजगार का नया अध्याय भी जोड़ रही है।
धमतरी जिले के ग्राम चटोद में ग्रामीण महिलाएं अब परंपरागत पटाखों की जगह पर्यावरण अनुकूल ग्रीन पटाखों के निर्माण में जुटी हैं। ये ग्रीन पटाखे कम धुआँ, कम शोर और कम प्रदूषण फैलाते हैं। न केवल बच्चों और बुजुर्गों के लिए ये सुरक्षित हैं, बल्कि इनसे वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में भी भारी कमी आती है।
कलेक्टर धमतरी ने गणेशा फायरवर्क्स यूनिट का निरीक्षण किया। उन्होंने महिलाओं से संवाद कर उत्पादन प्रक्रिया और गुणवत्ता की जानकारी ली तथा मौके पर ग्रीन पटाखा चलाकर उसकी सुरक्षा और प्रभाव का अनुभव भी किया। इस यूनिट को पाँच एकड़ भूमि लीज पर उपलब्ध कराई गई है। निरीक्षण के दौरान उन्होंने प्रबंधन को कड़े निर्देश दिए कि परिसर में अग्नि शमन की ठोस व्यवस्था, समय-समय पर मॉक ड्रिल और ज्वलनशील पदार्थों पर पूर्ण प्रतिबंध सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने कहा कि चटोद में स्थापित यह यूनिट ‘लोकल से वोकल’ और महिला सशक्तिकरण की सशक्त मिसाल है। इससे ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिल रहा है, वहीं समाज को स्वच्छ और सुरक्षित विकल्प प्राप्त हो रहा है।
यूनिट के सेल्स हेड आशीष सिंह ने बताया कि ग्रीन पटाखों में बारूद का प्रयोग नहीं होता, जिससे यह पूरी तरह सुरक्षित रहते हैं और प्रदूषण भी नहीं फैलाते। वर्तमान में यहां लगभग 100 से अधिक महिलाएं कार्यरत हैं, जिन्हें स्थायी रोजगार प्राप्त हुआ है। आने वाले समय में विवाह समारोहों और अन्य आयोजनों के लिए भी ग्रीन पटाखों की विभिन्न किस्में उपलब्ध कराई जाएंगी।
इस पहल की सबसे बड़ी विशेषता है कि इसका संचालन और उत्पादन ग्रामीण महिलाओं के हाथों में है। इससे न केवल उन्हें स्थायी रोजगार मिला है, बल्कि आत्मनिर्भरता की राह भी खुली है। महिलाएँ अब घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं।
ग्रीन पटाखों का प्रयोग न केवल दिवाली को प्रदूषण रहित बनाएगा बल्कि पूरे समाज को यह संदेश भी देगा कि उत्सव की खुशी प्रकृति को नुकसान पहुँचाए बिना भी मनाई जा सकती है। यह पहल बच्चों में भी जागरूकता फैला रही है और आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित भविष्य देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
धमतरी की यह पहल अब एक आदर्श मॉडल के रूप में देखी जा रही है। जिस तरह गांव की महिलाएं मिलकर ग्रीन पटाखों का निर्माण कर रही हैं, वह अन्य जिलों और राज्यों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है। रोजगार, आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण का यह संगम न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में एक नई दिशा दिखाने वाला है।
Updated on:
03 Sept 2025 05:25 pm
Published on:
03 Sept 2025 05:24 pm
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