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ADR Report: एमपी की सियासत में ‘परिवारों का दबदबा’, 57 सांसद-विधायक ‘राजनीतिक विरासत के वारिस’

ADR Report on Madhya Pradesh Politicians: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की रिपोर्ट में सामने आया है कि मध्यप्रदेश के 57 नेता राजनीतिक परिवारों से आते हैं।

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ADR Report on Madhya Pradesh Politicians: मध्यप्रदेश की राजनीतिक गलियारों में अक्सर परिवारवाद और वंशवाद की चर्चाएं जोरों-शोरों से होती रहती हैं। इसी खींचातानी के बीच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर ने राज्य के 270 सांसद-विधायक की पारिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि का विश्लेषण किया है। जिसमें 230 विधायक, 29 लोकसभा सांसद और 11 राज्यसभा सांसद शामिल हैं। विस्तार से पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट....

4 राज्यसभा सांसद राजनीतिक परिवारों से

मध्यप्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटें हैं। इसमें 8 सदस्य भाजपा के तो 3 सदस्य कांग्रेस से हैं। राज्यसभा के 4 सांसद अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। इसमें सबसे पहला नाम है दिग्विजय सिंह का। जो कि 10 साल तक मुख्यमंत्री रहे और वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं। उनके पिता पिता बलभद्र सिंह राघोगढ़ के शासक रहे।

दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश की राजनीति ही नहीं देश की राजनीति में भी प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं। राघोगढ़ सीट से दिग्विजय सिंह, भाई लक्ष्मण सिंह और अब उनके पुत्र जयवर्धन सिंह चुनाव जीतते आ रहे हैं। वहीं, अशोक सिंह कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हैं। उनके पिता राजेंद्र सिंह मध्यप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। सुमेर सिंह सोलंकी भाजपा के राज्यसभा सांसद हैं। उनके चाचा माखन सिंह सोलंकी 1996 से 2004 तक खंडवा-बड़वानी से सांसद रहे। ऐसे ही बीजेपी की राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार के पिता भेरूलाल पाटीदार चार बार विधायक रहे और 1993 से 1998 तक मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष के पद पर भी रहे।

5 लोकसभा सांसद वंशवादी पृष्ठभूमि से

मध्यप्रदेश में लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं। साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी सीटों पर जीत हासिल की है। इसमें 5 सांसद अपने परिवार की राजनीति को आगे बढ़ रहे हैं। चार महिला सांसद और तो एक ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया और दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी सांसद रह चुकी हैं। बुआ यशोधरा राजे सिंधिया और वसुंधरा राजे सिंधिया भी राजनीति में सक्रिय हैं। सिंधिया राजघराने की चौथी पीढ़ी के तौर पर महानआर्यमन सिंधिया ने राजनीतिक पिच पर कदम रख दिया है। वह मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के तौर पर कमान संभाल रहे हैं। ऐसे ही बालाघाट से भारती पारधी, रतलाम सांसद अनिता नागर सिंह चौहान, सागर सांसद लता वानखेड़े और शहडोल सांसद हिमाद्री सिंह भी अपने परिवार की राजनीति आगे बढ़ा रही हैं।

28 भाजपा विधायकों का पॉलिटिकल बैकग्राउंड

मध्यप्रदेश के 230 विधायकों में से 48 विधायकों को राजनीति विरासत में मिली है। बीजेपी के 163 विधायकों में से 28 विधायक अपने परिवार की राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं। प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग के पिता कैलाश सारंग भाजपा के संस्थापक सदस्य राज्यसभा सांसद रहे चुके हैं। पूर्व सीएम रह चुके बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर गोविंदपुरा सीट से बीजेपी विधायक हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल बैतूल से विधायक हैं। उनके पिता विजय खंडेलवाल सांसद रह चुके हैं।

त्योंथर से भाजपा विधायक सिद्धार्थ तिवारी के पिता सुंदरलाल तिवारी सांसद और वाइट टाइगर के नाम से मशहूर दादा श्रीनिवास तिवारी मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। सुरेंद्र पटवा अपने चाचा पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा की राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं।

ऐसे ही विक्रम सिंह वर्तमान में रामपुर बाघेलान से विधायक हैं। उनके परबाबा अवधेश प्रताप सिंह विंध्य प्रदेश के प्रथम प्रधानमंत्री थे। दादा गोविन्द नारायण सिंह मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री रह चुके हैं। बड़े चाचा अशोक नारायण सिंह कृषि उपज मण्डी सतना के अध्यक्ष और छोटे चाचा ध्रुव नारायण सिंह भोपाल मध्यक्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। पिता हर्ष नारायण सिंह चार बार विधायक और पूर्व मंत्री रह चुके हैं।

ठीक इसी तरह मालिनी गौड़, उमाकांत शर्मा और प्रतिमा बागरी, अशोक रोहाणी, संजय पाठक, ओमप्रकाश सकलेचा, दिव्यराज सिंह, मनोज पटेल, गोलू शुक्ला, महेंद्र यादव, जितेंद्र सिंह पंड्या, अशीष शर्मा, प्रणय पांडे, गज्जन सिंह उइके, सरला रावत, राधा सिंह, अर्चना चिटनिस, मंजू दादू, गायत्री राजे पंवार, नीना वर्मा, निर्मला भूरिया भी राजनीतिक पृष्ठभूमि से आती हैं।

कांग्रेस भी वंशवाद में पीछे नहीं...

मध्यप्रदेश कांग्रेस के 63 में से 20 विधायक पॉलिटिकल बैकग्राउंड से आते हैं। राघोगढ़ से विधायक जयवर्धन सिंह तीसरी पीढ़ी की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। वह प्रदेश में इन दिनों कांग्रेस के सबसे एक्टिव नेताओं में से एक हैं। चुरहट विधायक अजय सिंह कांग्रेस के सीनियर लीडर और नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। वह पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता रहे अर्जुन सिंह के बेटे हैं। अर्जुन सिंह 2 बार राज्य के सीएम और दो बार केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की चाची जमुना देवी उपमुख्यमंत्री रह चुकी हैं।

पूर्व मंत्री कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया, सत्यदेव कटारे के बेटे हेमंत कटारे, सुखलाल कुशवाहा के बेटे सिद्धार्थ कुशवाह अपने राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। सचिव यादव, नितेंद्र राठौर, रजनीश सिंह, सज्जन उइके, आरिफ अकील, राजेंद्र भारती, सुरेंद्र सिंह हनी, रिषी अग्रवाल, अभीजीत शाह, विजय छोरे, राजेंद्र सिंह, सेना पटेल और झूमा सोलंकी पारिवारिक राजनीतिक को आगे बढ़ा रही हैं।