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लबालब नदियां, कुएं बने काल, हर पांच दिन में दो लोगों की जा रही जान, पत्रिका पड़ताल में खुलासा

MP News: एमपी के इस जिले में नदियां, कुएं और तालाब में डूबने से मौत का ग्राफ चढ़ा, जरा सी लापरवाही में टूटा मौतों का पिछले साल का रिकॉर्ड, पत्रिका पड़ताल में बड़ा खुलासा...

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MP News (फोटो: सोशल मीडिया)

MP News: नदियों व जलाशयों में लापरवाही लोगों की मौत का कारण बन रही है। स्थिति यह है कि जिले में हर पांच दिन में कम से कम दो लोग नदियों, जलाशयों व कुओं में डूबकर मौत का शिकार बन रहे हैं। इससे जिले में मौतों का ग्राफ बढ़ गया है और इन मौतों के आंकड़ों ने पिछले वर्षों के सभी रेकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

पत्रिका की पड़ताल में खुलासा

जिले में आए दिन लोगों के नदियों, तालाबों व कुओं में डूबने से मौत के मामले सामने आ रहे हैं। बढ़ते ग्राफ को देखते हुए पत्रिका ने पड़ताल की तो इस वर्ष 29 जून से 22 सितंबर 86 दिन में जिले में 33 लोग इस तरह से डूबकर मौत का शिकार बन चुके हैं। मौतों का यह आंकड़ा पिछले वर्षों की तुलना में सबसे ज्यादा है। पिछले वर्ष बारिश के मौसम में जिले में 24 लोगों की पानी में डूबने से मौत हुई थी। यानी इस बार मौतों का आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में 37 फीसदी से अधिक बढ़ गया है। लेकिन बढ़ते आंकड़ों और आए दिन सामने आ रही घटनाओं के बावजूद जहां आमजन तो सजगता बरत ही नहीं रहे हें, वहीं जिम्मेदार भी इसे रोकने कोई गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।


आंकड़े: डूबने वालों में सबसे ज्यादा युवा व नाबालिगों की संख्या-

अशोकनगर जिले में पानी में डूबकर मौत का शिकार बने इन लोगों में तीन साल की उम्र के बच्चे से लेकर 90 वर्ष तक की उम्र के लोग शामिल हैं। जिनमें सबसे ज्यादा संख्या युवाओं व नाबालिगों की है। मृतकों में 18 से 35 वर्ष तक की उम्र के 11 युवा शामिल हैं, वहीं चार साल की उम्र के नौनिहाल से लेकर 17 साल तक की उम्र के आठ आठ नाबालिग भी शामिल हैं। वहीं 60 से 90 वर्ष की उम्र के छह वृद्ध भी डूबने से मौत का शिकार बन चुके हैं। इन 33 लोगों में 25 पुरुष और आठ महिलाएं शामिल हैं।

कच्चे घाट व तैरना न जानना मुख्य कारण

होमगार्ड कमांडेंट राघवेंद्र शर्मा के मुताबिक डूबने से मौतें तो हर साल होती हैं, लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष संख्या बढ़ी है। इस बढ़ते आंकड़ों का मुख्य कारण लापरवाही है। जहां जगह-जगह कुआ, कुंड और तालाब खुदवा लिए हैं, जो गहरे हैं और घाट कच्चे हैं। वहीं नदियों व जलाशयों के पास भी पेड़ों के कटने से किनारों पर मिट्टी का कटाव होने लगा है। इसके अलावा ज्यादातर लोग तैरना भी नहीं जानते हैं, इसके बावजूद पानी पीने या नहाने जलाशयों में पहुंच जाते हैं, जो गहरे पानी में जाने या फिसलने की वजह से डूब जाते हैं। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सजग होने की जरूरत है, ताकि लोग लापरवाही बरतना बंद कर सकें।

ऐसे भी हुईं घटनाएं

  • दियाधरी निवासी 11 वर्षीय आयुषी साहू और 15 वर्षीय सौरभ लोधी परिजनों के साथ 21 जुलाई को तूमेन नदी पर कांवड़ भरने गए थे, जहां नदी में डूबने से दोनों की मौत हो गई थी।
  • उप्र के आगरा के बांकलपुर निवासी महिला अपने तीन साल के पुत्र गोलू आदिवासी को लेकर मुंगावली के सोनाखेड़ी गांव में मायके में आई थी, जहां 24 जुलाई को नाले में बहने से गोलू की मौत हो गई थी।
  • शाढ़ौरा के भरका गांव निवासी 53 वर्षीय सावित्रीबाई वंशकार 24 जुलाई को दूसरी तरफ जाने के लिए नाला पार कर रह रही थी और पानी के तेज बहाव में बहकर वह डूब गई, जिससे उसकी मौत हो गई।
  • गुना के हड्डी मिल निवासी 10 वर्षीय आयुष पुत्र गजानंद जाटव शाढ़ौरा क्षेत्र में आया था, जहां तीन अगस्त को खेलते समय वह घर के पीछे बने पानी के टैंक में गिर गया और डूबने से उसकी मौत हो गई।

सतर्कता बरतने की जरूरत

  • आज के समय को देखते हुए हर व्यक्ति को आपदा प्रबंधन के तरीके सीखने की जरूरत है और स्वीमिंग सीखना चाहिए।
  • यदि कोई व्यक्ति फिसलकर जलाशय में गिरता है और तैरना जानता है तो कुछ समय तक वह डूबने से खुद को बचा सकता है।
  • जहां जलाशयों के पास कच्चे घाट हैं और फिसलन भरी जगह है, तो वहां पानी पीने या पानी भरते समय सतर्कता बरतें।
  • एसडीआरएफ जिले में जगह-जगह आपदा प्रबंधन व बाढ़ से बचाने के तरीके सिखाती है, जिनमें लोगों को शामिल होना चाहिए।