
पंजाब में बाढ़ से तबाही। (फोटो- IANS)
भारी बारिश से पंजाब में तबाही मच गई है। अब तक 30 लोगों की जान जा चुकी है। कृषि प्रधान प्रदेश में बड़े पैमाने पर खेती को भी नुकसान पहुंचा है। 3 लाख से अधिक एकड़ जमीन की फसलें तबाह हो चुकी हैं।
ऐसे में कीर्ति किसान यूनियन जैसे किसान संगठन सरकार से नुकसान के बराबर मुआवजा देने के सिद्धांत पर आधारित बीमा योजना लागू करने का आग्रह कर रहे हैं।
बता दें कि बार बार घोषणाओं के बावजूद पंजाब सरकार अपने राज्य में किसानों के लिए अब तक फसल बीमा योजना लागू करने में विफल रही है।
केंद्र सरकार द्वारा 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और बीमारियों के खिलाफ व्यापक बीमा प्रदान करती है।
इस बीमा के लिए किसान मामूली प्रीमियम का भुगतान करते हैं। जिससे आपदा के समय उन्हें बड़े नुकसान से राहत मिलती है।
हालांकि, पंजाब सरकार ने राज्य के खजाने पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ और क्लेम सेटलमेंट में पारदर्शिता की चिंताओं का हवाला देते हुए इस योजना को कभी लागू नहीं किया।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि राज्य सरकार की तरफ से इस योजना में कुछ त्रुटियों का हवाला दिया गया था, जिसपर गौर करते हुए केंद्र सरकार ने साल 2020 में संशोधन भी किया। इसके बावजूद पंजाब ने इस योजना को अपने किसानों के लिए लागू नहीं किया।
बता दें कि जब 2016 में पीएमएफबीवाई की शुरुआत हुई थी, तब पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और भाजपा गठबंधन की सरकार थी। इसके बावजूद, तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इस योजना को अस्वीकार कर दिया था।
2017 में, पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनी। उन्होंने एक फसल बीमा योजना का मसौदा तैयार करने की कोशिश की, लेकिन धन की कमी और नीति पर स्पष्टता के कारण इसे लागू नहीं कर पाए।
नवंबर 2022 में, आम आदमी पार्टी सरकार ने घोषणा की थी कि पंजाब अगले फसल चक्र (2023-25) से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में शामिल हो जाएगा, लेकिन मार्च 2023 में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपना फैसला पलट दिया। उन्होंने फंड की कमी का हवाला दिया।
पंजाब पहले भी अस्थायी पैकेजों पर निर्भर रहा है। 2019 में जब लगभग 1.72 लाख एकड़ खेतों को नुकसान हुआ था, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 12,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की घोषणा की थी।
2021 में, मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने गुलाबी सुंडी कीटों के कारण कपास की फसल को हुए नुकसान के लिए 17,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की घोषणा की थी।
वहीं, 2023 में आप सरकार ने बाढ़ प्रभावित किसानों को बहुत कम 6,800 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया था। बता दें कि मुआवजे में उतार चढाव को लेकर किसानों को हमेशा भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है।
इस बीच, कीर्ति किसान यूनियन के महासचिव राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला ने कहा कि लोगों को पहले ही भारी नुकसान हो चुका है और अगले एक हफ्ते तक भारी बारिश की चेतावनी के साथ, स्थिति और भी खराब हो सकती है।
उन्होंने आगे कहा कि फिलहाल एक त्रुटिपूर्ण मुआवजा नीति मौजूद है। नुकसान के बराबर मुआवजा देने के सिद्धांत पर आधारित नुकसान की पूरी भरपाई सुनिश्चित करने के लिए एक नए ढांचे की आवश्यकता है।
Published on:
03 Sept 2025 02:49 pm
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