
शिक्षकों से चर्चा करती छात्राएं (फोटो: नीरज गौतम पत्रिका)
कोटा। देश में शिक्षा की काशी के नाम से विख्यात कोटा शहर कोचिंग स्टूडेंट्स की बदौलत ही 'मिनी इंडिया' बन गया है। शिक्षा नगरी में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक से हर साल हजारों विद्यार्थी इंजीनियर और डॉक्टर की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए आते हैं। मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रतियोगी परीक्षा के लिए विद्यार्थियों की कोटा पहली पसंद है। विद्यार्थी ही इस शहर की धड़कन हैं। उन्हीं के कारण कोटा देश के शिक्षा मानचित्र पर एक चमकते सितारे की तरह स्थापित हुआ है।
देशभर के लाखों विद्यार्थियों की पसंद बन चुका कोटा न केवल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का हब है, बल्कि एक ऐसी जगह भी है जहां विविधता, संस्कृति और सपनों का अनोखा संगम देखने को मिलता है। देशभर से आने वाले विद्यार्थी न केवल इसे कोचिंग कैपिटल बनाते हैं, बल्कि बहुभाषीय, बहुसांस्कृतिक माहौल के कारण कोटा आज 'मिनी इंडिया' के रूप में पहचाना जाता है।
हर साल एक लाख से अधिक छात्र देशभर से यहां जेईई, नीट और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए पहुंचते हैं, जिससे शहर हर समय ऊर्जा और सपनों से भरपूर रहता है। आइआइटीयन या डॉक्टर बनने का सपना कोटा साकार करता है। कोटा कोचिंग का हर चौथा स्टूडेंट्स आइआइटीयन है। कोटा में वो सब कुछ है जो एक विद्यार्थी को चाहिए। यहां उसे राष्ट्रीय स्तर की स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा के साथ अच्छी फैकल्टीज का मार्गदर्शन मिलता है। ऐसे में कोटा अभिभावकों व विद्यार्थियों की पहली पसंद बना हुआ है। ऐसा लगता है मानो पूरा भारत कोटा में बस गया हो।
विद्यार्थियों की इस बड़ी आबादी का शहर की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ता है। कोटा की इकोनॉमी का एक बड़ा हिस्सा छात्रों से जुड़ी सेवाओं पर आधारित है। कोचिंग संस्थान, हॉस्टल, पीजी, मेस, कैफे, ट्रांसपोर्ट, स्टेशनरी, किराना, मेडिकल स्टोर्स और अन्य व्यापार छात्रों के कारण फल-फूल रहे हैं। हर साल करीब 600 करोड़ तक का टर्नओवर रहता है। हजारों स्थानीय लोग चाहे वह हॉस्टल संचालक हों, रसोइए, दुकानदार, बस-ऑटो चालक या अन्य सेवा प्रदाता रोजगार के विभिन्न अवसरों से जुड़े हैं।
कोटा आने वाले छात्रों का कहना है कि कोचिंग की अकादमिक क्वालिटी, अनुभवी फैकल्टी और प्रतिस्पर्धी माहौल उन्हें उत्कृष्ट बनने की प्रेरणा देता है। अलग-अलग यूपी, बिहार, अरूणाचलप्रदेश, कश्मीर, मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों से आए विद्यार्थी आपसी संस्कृति, भाषा और परंपराओं का आदान-प्रदान कर एक दूसरे के साथ जुड़ते हैं। इस तरह कोटा सिर्फ पढ़ाई का केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक मेलजोल का भी महत्वपूर्ण स्थान बन गया है। सबसे खास बात यह है कि कोटा में सभी राज्यों के प्रमुख आयोजन भी होते हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि कोटा का विकास विद्यार्थियों के कारण ही संभव हुआ है। शहर में नए बाजार, मल्टीस्टोरी हॉस्टल, सड़कें, स्वास्थ्य सुविधाएं और परिवहन सेवाओं का विस्तार छात्रों की बढ़ती संख्या का ही परिणाम है। यहां हर वो सुविधा है जो एक विद्यार्थी को चाहिए। इसकी वजह से अभिभावक भी निश्चिंत होकर यहां छोड़ जाते हैं। कोटा में पहले सिर्फ नए कोटा में कोचिंग होती थी लेकिन वर्तमान में शहर के नदीपार क्षेत्र में लैंडमार्क सिटी तथा अब बारां रोड क्षेत्र में सुपथ कैम्पस और कोरल पार्क सिटी में कोचिंग दी जा रही है।
'गंभीरता के साथ पढ़ाई के लिए जो माहौल चाहिए वह कोटा में हमेशा बना रहता है। पढ़ाई से जुड़े सभी बेहतर संसाधन कोटा में मौजूद हैं, ऐसे में छात्रों को कोटा से अच्छा विकल्प नहीं मिल पाता है।' -मोक्षिता चौधरी, नीट की तैयारी कर रही छात्रा
'वैसे तो देश के सभी बड़े शहरों में कोचिंग संस्थान खुल गए हैं, लेकिन आज भी कोटा में एक्सपर्ट अध्यापकों की संख्या अधिक है। कोटा में बेहतर तैयारी के लिए आसानी से कंटेंट उपलब्ध हैं। छात्रों की संख्या अधिक होने से पूरे शहर का माहौल प्रतियोगी है, ऐसे में अभिभावक कोटा में बच्चों को पढ़ने के लिए भेजते हैं। हालांकि, यदि प्राइवेट हॉस्टल्स में बच्चों को छोड़ते हैं तो निगरानी जरूरी है।' -अभिषेक मिश्रा, प्राइवेट कोचिंग अध्यापक
'कोटा शिक्षा की काशी के नाम से जाना जाता है। कोटा की इकोनॉमी में छात्रों का 60-70% तक योगदान है, जो इसे अनोखा शहरी मॉडल बनाता है। राष्ट्रीय स्तर की फैकल्टी, प्रतिस्पर्धी माहौल और उन्नत शिक्षण प्रणाली कोटा को विद्यार्थियों की पहली पसंद बनाते हैं। देशभर से छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग का सपना लेकर कोटा आते हैं और यहां का माहौल उन्हें यह सपना साकार करने में सक्षम बनाता है। छात्रों की बड़ी संख्या ने कोटा में आधुनिक शिक्षण तकनीकों और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को नई दिशा दी है। कोटा में अब काउंसलिंग और सपोर्ट सिस्टम पहले से मजबूत हुआ है, जिससे छात्र अधिक संतुलित माहौल में पढ़ाई कर पा रहे हैं।' -प्रो. बीपी सारस्वत, कुलगुरु, कोटा विश्वविद्यालय
Updated on:
19 Nov 2025 07:51 am
Published on:
19 Nov 2025 07:00 am
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