
डिजिटल क्रांति में शिक्षक की नई भूमिका (फोटो सोर्स- पत्रिका)
Teacher's Day 2025: आज का समय डिजिटल क्रांति का है। शिक्षा भी अब केवल किताबों और ब्लैकबोर्ड तक सीमित नहीं रही। स्मार्टफोन, इंटरनेट और डिजिटल टूल्स ने शिक्षण पद्धति को पूरी तरह बदल दिया है। इस बदलाव के केंद्र में हैं इनोवेटिव शिक्षक, जो बच्चों को केवल पढ़ा ही नहीं रहे, बल्कि तकनीक की सही राह भी दिखा रहे हैं। आज शिक्षक दिवस है। आज उन गुरुओं का दिन है जो अपने छात्र-छात्राओं को आगे बढ़ाने और उनके भविष्य को संवारने में लगे हुए हैं।
रायपुर में संचालित नेशनल इंस्टीट्यूट और विश्वविद्यालयों में भी कई ऐसे प्रोफेसर्स कार्यरत हैं जो अपने इनोवेशन से स्टूडेंट्स के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं। इनमें से प्रोफेसर्स ने विद्यार्थियों को समझाने के लिए किताबें लिख दी तो कई स्टूडेंट्स के इनोवेशन को बढ़ाने के लिए नई सुविधाओं का विकास कार्य में लगे हुए है।
पहले व्यक्ति जिन्होंने शुरू किया कंप्यूटर का कोर्स
ट्रिपलआईटी के डायरेक्टर डॉ ओपी व्यास ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके कारण ही आज हम राजधानी में कंप्यूटर का कोर्स कर रहे हैं। डॉ. व्यास ने 1990 के दौरान पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर में कंप्यूटर विज्ञान स्कूल की सफलतापूर्वक स्थापना करके और विश्वविद्यालय और संबद्ध कॉलेजों में कई कंप्यूटर पाठ्यक्रम शुरू करवाया था। साथ ही छत्तीसगढ़ क्षेत्र में कंप्यूटर विज्ञान और आईटी शिक्षा का बढ़ावा मिला। वे डेटा विज्ञान, सॉटवेयर इंजीनियरिंग और प्रक्रिया विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षक और शोधकर्ता हैं।
आयुर्वेद कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजेश सिंह कॉलेज में अलग तरह से पढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। 17 साल से शिक्षण के क्षेत्र में काम रहे डॉ. राजेश सिंह स्टूडेंट्स को रिसर्च बेस्ड एजुकेशन दे रहे हैं। उन्होंने बच्चों को विषय के टॉपिक को समझाने के लिए 7 किताबें भी प्रकाशित की हैं। डॉ. सिंह उसे डिटेल करके पढ़ाते हैं। अभी वे ब्रेस्ट और यूटराइन कैंसर पर भी रिसर्च कर रहे हैं। उन्होंने मोरेंगा, नाग लिंगम, ढूहर जैसे 7 से ज्यादा पौधों में कैंसर रोधक क्षमता का पता लगाया है और कई रिसर्च पर काम भी कर रहे हैं।
इंदिरा गांधी कृषि विवि के सीनियर साइंटिस्ट व प्रोफेसर डॉ. दीपक शर्मा पिछले 37 वर्षों से कृषि के क्षेत्र में कार्य रहे हैं। इसमें वे कृषि जैव विविधता संरक्षण, संवर्धन, उपयोग, सुधार एवं पंजीकरण के क्षेत्र में कार्य रहे हैं। उनके गाइडेंस में 10 वर्षों में 100 से अधिक धान की ऊंची भू-प्रजातियों में सुधार कार्य किया है, जिनमें से 7 उन्नत किस्मों का किसानों के लिए भारत सरकार द्वारा विमोचन किया जा चुका है। साथ ही छत्तीसगढ़ की 2000 से अधिक भू-प्रजातियों को पौध किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार प्राधिकरण दिल्ली में पंजीकरण के लिए जमा किया है।
पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में कैमेस्ट्री विभाग के प्रोफेसर डॉ. कल्लोल घोष 37 साल से शिक्षण कार्य कर रहे हैं। वे मूल विज्ञान केंद्र के निर्देशक भी है। उन्होंने कीटनाशक, टॉक्सिक केमिकल को खत्म करने कई विधियां विकसित की हैं। उन्होंने अपने गाइडेंस में अब तक 33 से ज्यादा रिसर्च स्कॉलर्स को पीएचडी कराई है। जिसमें से ज्यादातर शिक्षक ही हैं। वहीं दो तो उनके साथ विभाग में ही काम कर रहे हैं। उनके नाम से 240 से ज्यादा शोध पत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं। युग प्रैक्टिकल नॉलेज देने का है।
इसलिए पढ़ाई के लिए रिसर्च ओरियंटेड टीचिंग पर फोकस करता हूं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के वेबसाइट में सभी प्रोफेसर्स ने अपने लेक्चर वीडियो अपलोड किए हैं। डिपार्टमेंट में सबसे ज्यादा 85 लेक्चर वीडियो मेरे ही हैं। इन वीडियो को दुनिया में कहीं से भी देखा जा सकता हैं।
ट्रिपलआईटी के असोसिएट प्रोफेसर डॉ संतोष कुमार ने 10 से ज्यादा पेटेंट फाइल कर चुके हैं। इसमें से उन्हें लगभग 5 पेटेंट भी मिल चुके हैं। कप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के फैकल्टी डॉ संतोष कप्यूटर विजन, डिवाइज डिजाइन, एप्लीकेशन डेवलपमेंट जैसे विषय पर काम करते हैं। अभी हाल ही में उन्होंने एक ऐसा ऐप डेवलप किया है, जिससे गोंडी और कई अन्य जनजातीय भाषाओं के बीच अनुवाद करने की सुविधा देता है।
जिसे राज्य सरकार द्वारा लॉन्च भी किया गया है। इस एआई संचालित एप को आदि वाणी नाम दिया गया है। इसके साथ ही वे कई भाषाओं पर भी अभी काम कर रहे हैं। अभी वे एस के साथ मिलकर बीमारियों के अर्ली डायग्नोसिस के लिए भी एआई टूल बना रहे हैं। जिससे सिटी स्कैन, चेस्ट स्कैन, लग्स साउंड आदि की जांच की जा सकती है। ये भी एंड्रॉयड ऐप होगा, जिसकी मदद से डेटा लेकर बीमारी के बारे में जान सकते है साथ ही डॉक्टर के हेल्प ले सकेंगे। साथ ही चैटजीपीटी की तरह ही लॉर्ज लैंग्वेज मॉडल तैयार कर रहे हैं। रिसर्च करने के साथ वे अपने पढ़ाने के दौरान भी रिसर्च पर फोकस करते हैं। उन्होंने बताया कि क्लास में पहले प्रैक्टिकल फिर थ्योरी होती है। हर स्टूडेंट्स को प्रोजेक्ट देते है। ताकि स्टूडेंट्स की पढ़ाई अच्छी हो और उन्हें अच्छा प्लेसमेंट भी मिलें।
ट्रिपलआईटी के एसोेसिएट प्रोफेसर डॉ. पीपी पल्तानी पिछले 15 सालों से शिक्षण क्षेत्र में हैं। वे बच्चों को पढ़ाने के लिए पारंपरिक तरीकों के साथ इनोवेटिव और प्रैक्टिकल अप्रोच अपनाते हैं। उन्होंने बताया कि मेरा मानना है कि सीखना केवल किताबों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि अनुभव, प्रयोग और खोज के माध्यम से होना चाहिए। इसलिए मैं हर विषय को बच्चों के आस-पास की दुनिया और उनके अनुभवों से जोड़ने की कोशिश करता हूं।
ताकि उन्हें लगे कि यह केवल थ्योरी नहीं बल्कि उनकी ज़दिंगी का हिस्सा है। साथ ही डिस्कशन् क्विज़ और ग्रुप एक्टिविटीज़ कराता हूं ताकि बच्चे खुद सोचें और जवाब ढूंढें। वहीं पढ़ाई के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी करता हूं। इसमें सिमुलेशन टूल्स, मल्टीमीडिया प्रेजेंटेशन और इंटरेक्टिव प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके बच्चों की समझ को गहराई और विजुअल सपोर्ट देता हूं। मेरे नाम पर 4 पेटेंट हैं।
मैं रिसर्च और पढ़ाई को एक-दूसरे का पूरक मानता हूं। रिसर्च से जो भी नई जानकारी या इनोवेशन निकलते हैं, उन्हें मैं अपने लेक्चर्स और प्रोजेक्ट्स के माध्यम से विद्यार्थियों तक पहुंचाता हूं। छात्रों को छोटे रिसर्च प्रॉब्लस और इनोवेशन चैलेंज देता हूं, जिससे उनमें क्रिटिकल थिंकिंग, इन्वेस्टिगेशन और प्रैक्टिकल अप्रोच विकसित हो। अभी नए और किफायती मैटेरियल्स पर रिसर्च कर रहे हैं। जो सेमीकंडक्टर और सोलर सेल्स की एफिशिएंसी बढ़ाने और लागत कम करने में मदद कर सकते हैं।
एनआईटी में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सौरभ गुप्ता स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी में लगभग 20 वर्षों से काम कर रहे हैं। वे हेल्थकेयर, इनोवेशन और नए प्रौद्योगिकियों पर काम करते हैं। उन्होंने एनआईटी में मेकर स्पेस , इन्क्यूबेशन सेंटर, आंत्रप्रैन्यार कोर्स शुरू कराया। मेकर स्पेस राज्य का पहला था। उन्होंने बताया कि मेरा फोकस इनोवेशन ईको सिस्टम बनाने में रहता है। स्टूडेंट्स के लिए फैसिलिटी डेवलप करने में रहता है।
एनआईटी मेकर स्पेस, इन्क्यूबेशन सेंटर, आंत्रप्रैन्यार कोर्स शुरू किया। अभी राज्य में बायोडिजाइन पर काम शुरू कर रहे हैं। इसमें बायोडिजाइन फिलोसॉफी नीड फाइडिंग पर काम करेंगे। साथ ही इसमें हेल्थकेयर और स्पेस टेक से संबंधित कोर्स कराने के साथ ही फैसिलिटी भी डेवलप करेंगे। ताकि इस फील्ड में ज्यादा से ज्यादा इनोवेशन हो सकें। उन्होंने बताया, मेरे क्लास में एक्सपेरियंस लर्निंग पर फोकस होता है। बच्चे करके सीखते हैं। उनके टॉपिक से संबंधित दुनिया में जो भी काम हो रहा है, उसकी जानकारी स्टूडेंट्स को देता हूं। ताकि स्टूडेंट्स लेटेस्ट टैक्नोलॉजी से अपग्रेड रहें।
वहीं स्टूडेंट्स को हर क्लास की पांच मिनट की वीडियो बनाने भी कहता हूं। हर स्टूडेंट्स 1 घंटे की क्लास का पांच मिनट का वीडियो बनाते हैं, जिसमें जो पढ़ाया गया उसकी रिकॉर्डिंग वे करते है। इससे उनमें कॉन्फिडेंस भी बढ़ता और वे फोकस रहते हैं। वहीं अभी स्टूडेंट्स में आंत्रप्रेन्योर और इनोवेटर माइंड सेट डेवलप करने के लिए प्रोग्राम भी कर रहे हैं। हाल ही में कैप्टन अजीत कृष्णन स्टूडेंट्स को मोटिवेट करने पहुंचे थे। वे हेल्थकेयर इनोवेशन इन इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज लैब में दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के लिए लागत प्रभावी, पोर्टेबल चिकित्सा उपकरण विकसित कर रहे हैं।
Published on:
05 Sept 2025 01:17 pm
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