
यह एआई जेनरेटेड सांकेतिक तस्वीर है
Social Change Story:सामाजिक बदलाव कई तरह के प्रयासों से आते हैं। इन बदलावों में समाज और सरकारों का हाथ होता है लेकिन व्यक्तिगत तौर पर की गई कोशिशें भी कामयाबी दिलाती हैं। इस रिपोर्ट में हम राज्य सड़क परिवहन निगम के तीन लोगों की कहानी बताने जा रहे हैं जिनके प्रयासों से बहुत कुछ बदल रहा है और लोग उनकी कहानियों से प्रेरणा भी पा रहे हैं।
तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम (TGSRTC) के इन तीन कर्मचारियों के चलते परिवहन का कद भी बढ़ा है। राज्य परिवहन निगम में टिकटों, औज़ारों और स्टीयरिंग व्हील के पीछे ऐसे लोग भी काम कर रहे हैं जो अपनी ड्यूटी तो निष्ठा से पूरा करते ही हैं लेकिन उसके बाद अपने व्यक्तिगत जीवन से समय निकाल कर सामाजिक बदलाव की कहानियों में अपने को बड़े किरदार के रूप में शामिल करा चुके हैं। कौन हैं ये तीन कर्मचारी? एक बस कंडक्टर है दूसरा स्टोर अटेंडेंट और तीसरा ड्राइवर। इन तीनों कर्मचारियों को उनकी कर्तव्यपरायणता के साथ मानवता की सेवा के लिए उन्हें सम्मानित किया गया है।
पोद्दुतुरी अनीता जिसे लोग प्यार से कंडक्टरअम्मा बुलाते हैं। वह तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम में खम्मम डिपो में कंडक्टर के बतौर कार्यरत हैं। 48 वर्षीय पोद्दुतुरी अनीता की एक बच्चे की मौत ने उन्हें भीतर तक हिला दिया। करीब दो दशक पहले उनके एक युवा रिश्तेदार की थैलेसीमिया से संघर्ष करते हुए मौत हो गई। अनीता ने उनके परिवार को इलाज के लिए भारी संघर्ष करते देखा तब उन्होंने तय किया कि वह समाज के ऐसे लाचार परिवारों के लिए ढाल बनने की कोशिश करेगी। उसके बाद उन्होंने अपने प्रयासों से इतिहास रच दिया।
अनीता ने वर्ष 2010 में संकल्प नाम से एक एनजीओ की शुरुआत की। यह संस्था नियमित तौर पर ब्लड कैंप का आयोजन करता है और थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को मुफ़्त दवाइयां मुहैया कराता है। इस काम में उनके पति रविचंद्र, ससुराल के सदस्य भी हरसंभव मदद करते हैं। अनीता ने अपने मुहिम से डॉक्टरों का एक नेटवर्क तैयार कर लिया है जो संस्था की मुहिम में साथ खड़े हैं। आज की तारीख में 248 बच्चे उनके प्रयासों पर निर्भर हैं। वह जरूरतमंदों के लिए कम लागत पर इलाज हो सके इसके लिए अस्पताल से भी बातचीत करती हैं। इस काम में पैसों की कमी होती है तो वह अपनी तनख्वाह से खर्च करने में कभी पीछे नहीं हटती। कंडक्टरम्मा" के नाम से प्यार से जानी जाने वाली अनीता को पांच बार सर्वश्रेष्ठ स्वयंसेवी पुरस्कार और एक बार सर्वश्रेष्ठ एनजीओ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
राज्य परिवहन के दूसरे कर्मचारी पुल्ले सत्यनारायण (Pulle Satyanarayana) की कहानी भी कम प्रेरणादायी नहीं है। करीमनगर की सड़कों पर 60 वर्षीय सत्यनारायण को साइकिल या मोपेड पर लाउडस्पीकर लगाकर लोगों से हरियाली बचाने की अपील करते हुए अक्सर देखा जा सकता है। उन्होंने अकेले दम पर पिछले 10 वर्षों में एक लाख से ज्यादा पेड़ लगाकर करीमनगर को हराभरा कर दिया। वह पौधे लगाने के साथ ही साथ लोगों को पेड़ों की महिमा समझाते हैं। पौधे लगाने के बाद उन्हें ज़िंदा रखने के लिए वह खुद के पैसे खर्च करते हैं। वह तपती गर्मी में भी पेड़ों की प्यास बुझाने के लिए घर से बाहर निकल जाते हैं। उनका कहना है कि पेड़ हमें सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं देते बल्कि वे हमें जीवन भी देते हैं। उनके इस भागीरथी प्रयासों के लिए तेलंगाना हरिता मित्र पुरस्कार Telangana Haritha Mitra Award से उन्हें सम्मानित किया।
तीसरी कहानी तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम के एक बस ड्राइवर की है। सिकंदराबाद के कैंटोनमेंट डिपो में ड्राइवर एम रामुलु (M Ramulu) सुबह बस चलाते हैं और शाम को खुद के देखे गए सपने को पूरा करने में लगाते हैं। वह साहित्य प्रेमी हैं। उन्होंने वर्ष 2019 में महाकवि सी नारायण रेड्डी कलापीठम की स्थापना की। यह संस्था महाकवि सी नारायण रेड्डी के नाम पर बनाई गई है। इसके जरिए उन्होंने कला प्रेमियों को एक सूत्र में बांधने की कोशिश की। इस संगठन के जरिए वह समाजसेवा भी करते हैं। इस संगठन के बैनरत तले हर साल सिकंदराबाद जिले के 10 कवियों को सम्मानित किया जाता है। रामुलु हर साल आरटीसी के उन ड्राइवरों को भी सम्मानित करते हैं जो अपनी सेवा दुर्घटना-मुक्त पूरी करते हैं। इस साल उन्होंने सिकंदराबाद क्षेत्र के 11 ड्राइवरों को रवींद्र भारती सम्मान से सम्मानित किया।
रामुलु ने वर्ष 2001 में नागरकुरनूल ज़िले के खुद के गृहनगर राचलपल्ले के सरकारी स्कूल को गोद लिया। इस स्कूल में वह साल में दो बार कपड़े बांटने और गरीब व अनाथ छात्रों की फीस भरने के लिए आते हैं। अब तक उन्होंने 55 कवियों को सम्मानित कर चुके हैं। तेलुगु के बड़े कवि और लेखक सी नारायण रेड्डी (C. Narayana Reddy) की 2031 में 100वीं जयंती (100th birth anniversary of C Narayana Reddy) तक वह 100 कवियों को सम्मानित करने की योजना बना चुके हैं। रेड्डी तेलुगु विश्वविद्यालय के कुलपति और राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं।
Updated on:
30 Aug 2025 01:44 pm
Published on:
30 Aug 2025 01:43 pm
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