13 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

World’s Shortest War: इन दो देशों के बीच लड़ा गया दुनिया का सबसे छोटा युद्ध, इतने समय में जयपुर से दिल्ली भी नहीं पहुंचा जा सकता

Shortest War in World History: 27 अगस्त 1896 को दुनिया के दो मुल्कों के बीच सबसे कम समय का युद्ध लड़ा गया। हालांकि 129 वर्ष पहले लड़े गए इस युद्ध में 500 से ज्यादा लोग मारे गए थे।

3 min read
Google source verification
Shortest war of World History

ब्रिटेन और जांजीबार के बीच सबसे कम समय का युद्ध लड़ा गया। (Photo: AI Generated)

World's Shortest War: दुनिया में दो देशों के बीच लंबे खींचे युद्धों के बारे में बहुत बातें होती हैं। रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine War) के बीच साढ़े तीन साल से ज्यादा समय से खतरनाक स्तर पर युद्ध जारी है। ईरान और इजरायल में भी लगातार जंग जारी है। यहां हम दुनिया के दो मुल्कों के बीच सबसे छोटे युद्ध के बार में बताने जा रहे हैं। यह युद्ध इतनी देर भी नहीं चला जितने समय में हवाई जहाज के जरिए जयपुर से दिल्ली (Jaipur to Delhi) पहुंचा जा सकता हो।

सिर्फ 38 मिनट में मारे गए 500 लोग

Uk zanzibar War: 27 अगस्त 1896 को ब्रिटेन और जांजीबार के बीच एक घंटे से भी कम समय तक युद्ध चला, जिसमें 500 लोग मारे गए और बहुत से लोग घायल हुए। ब्रिटेन की रॉयल नेवी ने जांजीबार पर हमला किया और सिर्फ 38 मिनटों में सैकड़ों लोगों को मार गिराया। इस युद्ध में ब्रिटेन का एक नाविक घायल हुआ था और बाद में इलाज पाकर ठीक भी हो गया। मतलब ​इस युद्ध में ब्रिटेन का एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई। आइए अब यहां यह जानते हैं कि आखिर युद्ध हुआ तो सिर्फ 38 मिनट ही क्यों चला था?

ब्रिटेन ने दिया था महल छोड़ने का अल्टीमेटम

25 अगस्त 1896 को जब ब्रिटिश समर्थक सुल्तान हमूद बिन मोहम्मद की मृत्यु हो गई तब उसके चचेरे भाई खालिद बिन बरघाश ने ब्रिटिश सहमति के बिना ही सत्ता हथिया ली। अंग्रेजों ने खालिद बिन बरघाश को 27 अगस्त 1896 की सुबह 9 बजे तक महल छोड़ने का अल्टीमेटम दिया। खालिद ने महल छोड़ने से साफ इनकार कर दिया। ब्रिटिश रॉयल नेवी से अल्टीमेटम का समय खत्म होते ही सुबह 9 बजकर 2 बजे मिनट पर महल पर बम बरसाना शुरू कर दिया। सुबह 9:40 बजे तक बमबारी बंद हो गई और 38 मिनट में युद्ध समाप्त हो गया। खालिद की सेना शीघ्र ही ब्रिटिश रॉयल नेवी के आगे पराजित हो गई। इसके बाद खालिद शरण के लिए जर्मन वाणिज्य दूतावास भाग गया।

क्यों छिड़ा था दोनों देशों के बीच युद्ध

ब्रिटेन ने समझौते के तहत 1890 में हमूद बिन मोहम्मद को जांजीबार का नया सल्तनत नियुक्त किया था। वह ब्रिटिश हितों को सर्वोपरि रखता था। लेकिन उनकी 25 अगस्त 1896 को मौत हो गई थी और उनके चचेरे भाई खालिद बिन बरघाश ने अंग्रेजों की सहमति के बगैर खुद को सल्तनत घोषित कर दिया।

जांजीबार ने इतनी जल्दी क्यों टेक दिए घुटने?

अंग्रेजों के पास शक्तिशाली आधुनिक युद्धपोत और नौसैनिक तोपखाने थे जबकि सुल्तान खालिद की सेना कम उन्नत राइफलों और बंदूकों से सुसज्जित थी। जांजीबार की सेना में लगभग 2,800 सैनिक थे लेकिन उनके पास वास्तविक सैन्य अनुभवों और उनकी युद्ध को लेकर कोई तैयारी नहीं थी। एक और बात यह कि महल में केन्द्रीय कमान और रक्षा केन्द्र था लेकिन उसको नौसैनिक बमबारी को झेलने के लिए नहीं बनाया गया था। इन वजहों के चलते वह आक्रमण को लेकर बेहद असुरक्षित था। ब्रिटेन ने 1890 में ज़ांज़ीबार पर एक संरक्षक राज्य स्थापित किया था, जिसका एक प्रमुख हिस्सा नए सुल्तान को मंजूरी देने की शक्ति थी।

जांजीबार में 1891 में दास प्रथा समाप्त होने की घोषणा

ब्रिटेन की सहमति से जंजीबार के सल्तनत बनाए गए महमूद बिन मोहम्मद ने एक वर्ष के भीतर ही जांजीबार में दास प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया।