
मुंबई मायानगरी पूरे भारत खासतौर पर उत्तरभारतीय लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती रही है। खासतौर पर यूपी, बिहार, झारखंड के लोगों ने कई उपनगर बसाए। इन उपनगरों में छोटे-छोटे रोजगार भी उत्तर भारतीयों के बलबूते पर चलते रहे।

जिसमें खास योगदान है कि उत्तर भारतीय करीब दो लाख ऑटो चालक लेकिन यह ऑटो चालक महाराष्ट्र सरकार की बेरुखी के चलते अपने गांव ऑटो से ही लौट रहे हैं। इस समय महाराष्ट्र से लेकर यूपी, बिहारी और झारखंड जाने वाली सड़कों पर डेढ़ लाख से अधिक ऑटो पुलिस के डंडे सहते हुए मुंबई छोड़ चुके हैं। करीब तीन लाख ऑटो मुंबई पुलिस ने कांच फोड़कर वापस कर दिए हैं।

हमें मुंबईकर ने ठुकराया मुंबई के सांताक्रूज इलाके में ऑटो चलाने वाले कमला प्रसाद गुप्ता यूपी के मिर्जापुर के रहने वाले हैं। वह अपने ऑटो के साथ अपने साथी ऑटो चालकों के साथ वापस लौट रहे हैं। जबलपुर नाका बायपास के पास एक पेड़ के नीचे भोजन के लिए रुके थे।

जिन्होंने कहानी बताई उससे मुंबईकर ने उन ऑटो चालकों को भी ठुकराया है। जिन्हें मुसीबत के समय चाहे भारी बारिश हो या किसी की तबियत खराब हो या किसी की ट्रेन छूटने वाली है उसे समय पर पहुंचाया। लेकिन जब हमारा समय खराब आया तो स्थानीय निवासियों के साथ सरकार ने भी अपनी बेरुखी दिखाकर हमें अपने हाल पर छोड़ दिया। पुलिस के डंडे से मर जाएंगे या गांव पहुंच जाएंगे मिर्जापुर जा रहे ऑटो चालक संतोष गुप्ता बताते हैं कि मुंबई से निकलने पर मुरुंड व दहिसर नाके पर पुलिस डंडे मार रही है हमारे साथ 6 ऑटो निकले थे, नाके पर पुलिस डंडे मारकर कांच फोड़ रही थी, उनके साथ वाले 5 ऑटो के कांच फोड़कर वापस कर दिया। हमने तत्काल संकल्प लिया कि आज या तो पुलिस के डंडे से मर जाएंगे या अपने गांव पहुंच जाएंगे। ऑटो की स्पीड बड़ा दी पुलिस वाला का डंडा कांच पर लगा लेकिन चिंता नहीं कि और आज मप्र के दमोह पहुंच गए है। यह लोग शनिवार की शाम 6 बजे मुंबई से निकले थे, मंगलवार की शाम तक मिर्जापुर पहुंचने की उम्मीद है।

मोबाइल हो गए बंद, ऑटो में नहीं चार्ज मिर्जापुर के गुप्ता परिवार के 6 सदस्य अपने-अपने ऑटो चलाते हैं, जिनमें से 5 ऑटो में से दो में मोबाइल चार्ज की व्यवस्था थी, लेकिन वह ऑटो वापस चले जाने से यही लोग वापस आ गए हैं। मोबाइल बंद हो गए हैं, अब कहीं आगे ढाबे पर चार्जिंग की व्यवस्था होगी तो कर लेंगे।

मुंबई से मिर्जापुर तक 10 हजार का खर्च जितने भी ऑटो गुजर रहे थे, वह स्वयं के ऑटो थे वह मुंबई में ऑटो चलाते थे, जिससे उनका 8 से 10 हजार रुपए का खर्च आ रहा है।

फिर भी वापस लौंटेंगे खर्च भी ज्यादा पड़ेगा ऑटो चालकों का कहना है कि भले ही उन्हें महाराष्ट्र सरकार व लोगों की बेरुखी का सामना करना पड़ा है, लेकिन वह कोरोना का खतरा दूर होने पर ऑटो से ही वापस लौटेंगे, लेकिन लॉकडाउन खुलने पर ट्रैफिक बढऩे से 4 हजार का अतिरिक्त खर्च बढ़ जाएगा। शौचालय से बढ़ रहा कोरोना का खतरा मुंबई के ऑटो चालकों के वापस लौटने के पीछे का कारण यह है कि वह जिन चालों में रहते हैं, वहां पर सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग करते हैं, एक ही डिब्बा व एक ही नल यूज करने से खतरा ज्यादा बढ़ रहा है, इसलिए भी मुंबई छोड़ रहे हैं। जिनके खुद के फ्लेट हैं, वह मुंबई में ही रुके हैं। वापस आने वालों में चालों में रहने वालों की संख्या ज्यादा है। 20 हजार किराया लगा, सीमा से भगा दिया जबलपुर नाका पर पाइंट ड्यूटी कर रहे एक पुलिसकर्मी ने बताया कि रविवार की रात एक ऑटो में एक महिला अपने बेटे के साथ ऑटो से मुंबई लौट रही थी। जिसे खाना उपलब्ध कराया गया। पुलिसकर्मियों ने पूछा कि जब सब मुंबई से वापस आ रहे हैं तो आप क्यों वापस जा रही हैं तो उसने अपनी आपबीती बताई कि वह 20 हजार रुपए किराया देकर झारखंड गई थी, लेकिन उसे झारखंड की सीमा में प्रवेश नहीं दिया गया, जिससे खाली ऑटो जा रहा था तो उसने 7 हजा रुपए अतिरिक्त लेकर मुंबई छोडऩे के लिए तैयार हो गया, जिससे मायूस मां बेटे अपने प्रदेश की बेरुखी का शिकार हो गए थे।