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जैन मुनि तरूण सागर का संल्लेखना से लेकर पंचतत्व में विलीन होने तक का सफर, तस्वीरों के जरिए

तरुण सागर जी महाराज की अंतिम यात्रा दिल्ली से सुबह 7:30 बजे शुरू की गई थी जो कि पैदल ही गाजियाबाद होते हुए मुरादनगर स्थित तरुण सागर धाम पहुंची।

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jain muni tarun sagar

बताया जा रहा है कि जैन मुनि पीलिया से पीड़ित थे। इसलिए उन्हें दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन जब उन्हें सुधार नजर नहीं आया तो उन्होंने इलाज कराना बंद कर दिया था।

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इसके बाद उन्होंने कृष्णानगर स्थित राधापुरी जैन मंदिर चातुर्मास स्थल पर जाने का निर्णय लिया था, जहां उन्होंने शनिवार को सुबह अंतिम सांस ली। जैन मुनि तरुण सागर के निधन के बाद से पूरे जैन समाज में शोक की लहर दौड़ गई।

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जैन मुनि की अंतिम यात्रा दिल्ली की राधेपुरी से निकाली गई, जो गाजियाबाद होते हुए मुरादनगर पहुंची। सुबह से हो रही बारिश के बीच जैन मुनि के अनुयायी अंतिम दर्शन करने के लिए सड़कों पर जगह-जगह खड़े नजर आए।

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जैन मुनि तरुण सागर की अंतिम यात्रा दिल्ली से मुरादनगर तक पैदल ही निकाली गई। महाराज का पार्थिव शरीर उनके सिंहासन पर रखा हुआ था, जिसे अनुयाईयों ने अपने कंधों पर ही दिल्ली से मुरादनगर तक ले जाकर अन्य अनुयाईयों को दर्शन कराए। इस दौरान भारी बारिश के बीच लोग छतरी लगाकर अंतिम दर्शन के लिए उमड़े।

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बता दें कि गत शुक्रवार की रात करीब एक बजे महाराज का स्वास्थ्य काफी बिगड़ गया था, वह डॉक्टरों की देखरेख में थे। लेकिन महाराज ने पहले ही कि वह किसी भी प्रकार औषधि नहीं लेंगे और अंत में 3 बजकर 18 मिनट पर उन्होंने देह त्याग दी।

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इससे पहले तरुण क्रांति मंच की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें यह तय किया गया कि महाराज का अंतिम संस्कार मुरादनगर के तरुण सागरम तीर्थस्थल पर किया जाएगा। महाराज ने अपने जीवन का अंतिम चातुर्मास राधेपुरी में जैन मंदिर के पास बने जैन समुदाय के घर में किया।

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जानकारी के अनुसार महाराज का गत 27 जुलाई से राधेपुरी में चातुर्मास चल रहा था। गत 13 अगस्त को उनके स्वास्थ्य का हाल चाल लेने के लिए योग गुरु बाबा रामदेव भी पहुंचे थे। गत वर्ष महाराज ने चातुर्मास राजस्थान के सीकर में किया था।

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जैन समाज के अरूण कुमार जैन ने बताया कि जैन मुनि तरूण सागर को पीलिया हो गया था। पुष्पदंत महाराज ने तरूण सागर महाराज को समाधि मरण की तैयारी के लिए कहा था। जिसकी तैयारी महाराज ने शुरू कर दी थी।

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अरूण कुमार जैन ने कहा कि मुनिश्री एक क्रांतिकारी संत थे। जिन्होंने महावीर को मन्दिर से निकालकर चौराहे पर लाने का नारा दिया। जिन्होंने जिनधर्म की शान का डंका बजाया।