
विश्वनाथ मंदिर के महंत ने बताया कि मान्यता के मुताबिक देवलोक के सारे देवी-देवता इस दिन स्वर्गलोक से बाबा के ऊपर गुलाल फेंकते हैं।

बाबा विश्वनाथ का बसंत पंचमी को तिलक, शिवरात्रि को शादी और रंगभरी एकादशी को गौना होता है।

रंग एकादशी पर मंदिर परिसर डमरुओं की आवाज से गुंजायमान हो जाता है। यह परंपरा को 200 साल पहले से चली आ रही है।

बाबा विश्वनाथ और मां पार्वती की प्रतिमा बनारस की संकरी गलियों में गुलाल के साथ घुमाते हैं। रंगभरी एकादशी के दिन रंग और गुलालों से काशी मानों नहा उठती है।