पीलीभीत। बारिश की शुरुआत ने ही बाढ़ बचाव कार्यों की पोल खोलकर रख दी है। एक दो दिन की कुछ देर को हुई बारिश से बढ़े शारदा नदी के जलस्तर से प्लास्टिक के कट्टों में रेत भर कर बनाये गये स्टॉपर नदी में डूबने लगे हैं। वहीं जिम्मेदार अधिकारी बाढ़ कटान को रोकने के पुख्ता दावे कर रहे हैं। फिलहाल बचाव कार्य सही न होने की वजह से ग्रामीणों में काफी रोष देखा जा रहा है।
बाढ़ बचाव के नाम पर खेल
तहसील कलीनगर क्षेत्र के ग्राम रमनगरा, बारी बुझिया आदि में प्रत्येक वर्ष कटान रोकने के नाम पर शासन के लाखों करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिए जाते हैं। बरसात शुरु होने से पहले बाढ़ खण्ड, सिंचाई विभाग व प्रशासनिक अधिकारी बरसात में बाढ़ से होने वाले कटान को रोकने के लिए वृहद पैमाने पर योजनाएं बनाते हैं लेकिन जमीनी तौर पर काम नहीं दिखता।
ट्रांस शारदा क्षेत्र अन्तर्गत आने वाले बाढ़ को झेलने वाले ग्रामों को सुरक्षित रखने की शासन की मंशा हर बार प्रशासनिक भ्रष्ट नीतियों के चलते दम तोड़ देती हैं। ऐसा ही इस बार भी किया जा रहा है ग्राम रमनगरा व बारी बुझिया आदि में कटान रोकने के नाम पर एक बड़ा खेल खेला जा रहा है। जिसके चलते ग्रामीणों को बाढ़ आने पर राहत नहीं मिल सकेगी। ग्रामीणों का आरोप है कि शारदा नदी का जलस्तर बढ़ने से होने वाले कटान को रोकने के लिए कराये जा रहे कार्यों में महज खानापूरी की जा रही है। प्लास्टिक के कट्टों को रेत से आधा भर कर स्टॉपर बनाये जा रहे हैं जोकि बीते दिन हुई बारिश से ही शारदा नदी में डूब गये हैं। वहीं जब जिम्मेदार अधिकारियों से बात की गई तो वह बाढ़ कटान को रोकने के पुख्ता दावे कर रहे हैं।