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नोटबंदी के बाद इस पिता पर जो बीती है उसे जानकर आप रो पड़ेंगे

इलाज के अभाव में छोटे बेटे की मौत, बड़ा बेटा है बीमार, बेबस पिता लगा रहा गुहार। 

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Mukesh Kumar

Dec 21, 2016

farmer bahoran lal

farmer bahoran lal

पीलीभीत।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से नोटबंदी का फैसला लिया है, तब से बैंकों में भीड़ कम नहीं हुई है। आम जनता कामधंधा छोड़कर कैश के लिए बैंक में धक्के खाने को मजबूर है। फिर भी उसे रुपए नहीं मिल पा रहे हैं। हालात ये हो गए हैं कि रुपए न मिल पाने की वजह से गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति और बिगड़ती जा रही है। कोई बीमारी से तड़प रहा है तो कोई इलाज के अभाव में दम तोड़ रहा है। ऐसा ही हुआ पीलीभीत के एक किसान के साथ। नोटबंदी के बाद बैंकों से रुपए न मिल पाने पर उसके एक बेटे की इलाज के अभाव में मौत हो गयी। दूसरा जवान बेटा बीमार पड़ा है। लाचार पिता अपने ही रुपयों के बैंक में धक्के खाने को मजबूर है।


इलाज के अभाव में एक बेटे की मौत

बिलसंडा थाना क्षेत्र के कनपरा गांव निवासी बुजुर्ग बहोरन लाल किसान हैं। खेतों में दिन-रात मेहनत कर परिवार को पालते हैं। नोटबंदी के बाद उनका सात साल का पुत्र अमरपाल अचानक बीमार हो गया था। बहोरन लाल के पास अपने पुत्र का इलाज कराने के लिए रुपए नहीं थे। वो रुपयों के लिए बिलसंडा की बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक गए मगर वो बैंक की लाइन में ही लगे रह गए। उधर, इलाज के अभाव में बेटे ने दम तोड़ दिया।


किसान का बड़ा बेटा भी बीमार

किसान परिवार छोटे बेटे की मौत से उभर नहीं पाया कि 18 वर्षीय दूसरा बेटा ओमपाल भी बीमार हो गया। उसके इलाज के लिए रुपयों की जरूरत है। इसके लिए पिता बहोरन लाल रोज बैंक के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें रुपए नहीं मिल पाते। बैंक की लाइन में लगे बहोरन लाल का कहना है कि बैंक दो हजार रुपए भी नहीं दे पा रही है। जिससे बेटे का इलाज कराना तो दूर परिवार का खर्च चलाना भी मुश्किल हा रहा है। और ना ही खेती का काम हो पा रहा है।

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पीएम मोदी से लगाई गुहार

बेबस और लाचार पिता बहोरन लाल का कहना है कि वो रुपए निकालने के लिए रोज बैंक आते हैं। कभी ये कह दिया जाता है कि कैश नहीं है तो कभी हजार-पांच सौ रुपए दे दिए जाते हैं। इतने कम रुपयों में वो क्या क्या करें। बहोरन लाल ने रुआंसी आवाज में पीएम नरेंद्र मोदी से अपील की है कि अभी भी उन्हें बैंक से उनके रुपए मिल जाएं तो वो वक्त से अपने बेटे का इलाज करा सकें और परिवार को पाल सकें।

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सभी लोगों का एक ही दर्द

बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक की लाइन में सिर्फ बहोरनलाल भी नहीं खड़े थे बल्कि कई ऐसे लोग थे जो अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए रुपए निकालने आए थे। लेकिन सबका एक ही दर्द है पर्याप्त रुपए न मिल पाना। इन लोगों का कहना है कि अपने ही रुपयों के लिए उन्हें रोज बैंक के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। उधर बैंक मैनेजर मनोज कुमार का कहना है कि क्षेत्रीय कार्यालय से ही रुपए कम मिल रहे हैं। अगर कोई इमरजेंसी समस्या आती है तो उसका हल किया जाएगा।



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