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स्पेशल स्टोरी वीडियो- यहां गौवंश खाते रहे प्लास्टिक, जिम्मेदार अधिकारी उड़ा रहे मौज

आवारा जानवरों की तरह पूरे जिले में घूम रहे गौवंश कई गांवो में किसानों की फसलें उजाड़ चुके गौवंश जिम्मेदार कागज़ों में कर बचाव कार्य

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पीलीभीत। एक तरफ योगी सरकार ने सड़कों पर आवारा घूम रहे गौवंश पशुओं को आसरा देने के लिए प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी किए है। इसी क्रम में जिलाधिकारी पीलीभीत ने भी गौवंश पशुओं की रक्षा के लिए गौशालाएं और गौरक्षा समिति बनाने के आदेश जारी किए है। लेकिन वास्तविक्ता में कुछ और ही है। हालाकिं पीलीभीत जिला अंर्तराष्ट्रीय पशु प्रेमिका मेनका संजय गांधी का संसदीय क्षेत्र है लेकिन गौरक्षा व उनके संरक्षण के लिए सिर्फ जुबानी बाते ही होती है। यहां आपको सड़कों पर लाचार, बेबस, बीमार व ज़ख्मी गौवंश पशु रोज़ाना देखने को मिलेगें। इतना ही नहीं जब उन्हें खाने को कुछ नहीं मिलता तो अब इन पशुओं का आहार सड़क पर पड़ा कूडा-कचरा और प्लासटिक बन चुका है। वहीं बीसलपुर तहसील क्षेत्र के कुछ गांवों में तो हालात ऐसे है कि यहां हज़ारों की संख्या में गौवंश पशु रह रहे है जो किसानों की फसलें बरबाद कर चुके है और किसान परेशान है।

जिलाधिकारी आवास के पास गौवंश खाते प्लास्टिक
देखिए सड़क पर कूड़ा-कचरा खाते इन गौवंश पशुओं को यह नज़ारा कहीं और का नहीं बल्कि जिलाधिकारी आवास के सामने का है। यहां वैसे तो जिलाधिकारी डा. अखिलेश कुमार मिश्र गौवंश रक्षा व संरक्षण के लिए बात कर रहे है। गौवंश पशुओं को गौशालाओं में छोड़ने की बात कर रहे है। लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है। उन्ही के आवास के सामने यह पशु रोज़ाना दर्जनों की संख्या में कूड़ा-कचरा व प्लासटिक खाते नज़र आ रहे है।

यहां के कई गांवो के ग्रामीण परेशान हैं गौवंश से
दूसरा मामला बीसलपुर तहसील क्षेत्र के करीब आधा दर्जन गांव का है। यहां के लोग काफी समय से इन गौवंश पशुओं से परेशान है और मुख्यमंत्री योगी से इन पशुओं से निजात दिलवाने की मांग कर रहे है। यहां के गांव मोहम्मदपुर भजा, रसूला मंडरा, सुमन बढेपुरा, धारम बिहारीपुर, कुमिरखा, अमिताखास, व नागीपुर भंडरिया आदि कई गांव गैर पालतू गौवंशीय पशुओं से परेशान है। साथ ही उन्हे दुख भी है कि गौवंश की बहुत बुरी दशा है जिसे देखकर उन्हे रोना आता है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से कोई मदद नहीं मिलने पर जिला प्रशासन के खिलाफ खूब नारेबाजी की और अब योगी सरकार से गुहार लगायी है। उनका कहना है कि उनके गांवों में गैर पालतू गौवंशीय पशु, नीलगाय व सुअरों का आतंक बना हुआ है। यहां करीब 2 हजार गौवंश पशु है, जिनकी कोई देखभाल भी नहीं है। यह गौवंश पशु उनकी धान, गेहॅू, गन्ना आदि की फसले नष्ट कर रहे है। फसल नष्ट होने से उन्हे आर्थिक नुकसान हो रहा है। ग्रामीणों ने अपनी फसलों की सुरक्षा के लिये खेतों में तारों की फेन्सिंग करा दी तो अब उससे गौवंश पशु घायल हो रहे है। उनकी मांग है कि यहॉ से जंगल करीब 20 किलो मीटर की दूरी पर है, इन पशुओं को वहा छुडवा दिया जाये ताकि यह सुरक्षित रहे या फिर इन्हे किसी गौशाला में। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि उनके क्षेत्र में अवैध कब्जे है जो ज़मीने चारागाह व तालाबों के नाम पर है उनपर लोगो के अवैध कब्जे है अब ऐसे में यह गाये जाये तो जाये कहॉ अगर चारागाह और तालाब दोबारा से आबाद हो जाये तो इन गायों को उनका खाना पानी मिलने लगेगा और उन्हे नुकसान नहीं होगा। प्रशासन की उदासीनता के चलते ग्रामीण अब जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे है।

जिलाधिकारी समाधान निकालने की कर रहे बात
यूॅ तो पीलीभीत में सबसे बड़ी गौशाला पीलीभीत-उत्तराखण्ड बार्डर पर बरेली गौशाला सोसायटी के नाम से चल रही है जिसमें 470 एकड़ भूमि पर गौशाला चलती है, लेकिन वहां संसाधनों की कमी के चलते नाम मात्र को गौवंश पशु रह रहे है। वहीं दूसरी एक और गौशाला पशु आश्रय गृह (एसपीसीए) के नाम से चल रहा है। यह आश्रय गृह केंद्रीय मंत्री मेनका संजय गांधी के प्रयासों से बना लेकिन इस आश्रय गृह को उनके प्रतिनिधियों द्वारा संचालित किया जा रहा था, लेकिन इसके पदेन अध्यक्ष एक्ट बदलने के बाद अध्यक्ष पद पर जिलाधिकारी है। लेकिन जिलाधिकारी के अध्यक्ष बनने के बाद भी यहां कोई खास कार्य नहीं हो पा रहे है। जिलाधिकारी ने बताया कि प्रथम चरण में हम न्याय पंचायत और नगर पंचायत स्तर पर गौरक्षा समिति बनाने का काम करेगें। जो गौशालाएं चल रहीं है उनको हम और बढ़ावा देने का काम कर रहे है।