क्या कहा मेनका गांधी ने अब इस मामले पर सफाई देते हुए मेनका गांधी ने कहा कि पिछले 25 सालों से वो गन्ना किसानों की मदद कर रही हैं। गन्ना सेन्टर लगवाने, उनकी पर्चियां दिलवाने के लिये हर वक्त 24 घन्टे काम करती हूं। असल बात यह है कि पीलीभीत में पांच चीनी मिले हैंं जिसमें से एक 10 सालों से बंद है। एक का बॉयलर अभी ब्लास्ट हुआ है, एक ने तीन सालों से भुगतान नहीं किया है। एक ने एक साल से पैसा नहीं दिया है। केवल एक ही मिल है प्राइवेट में जो काम कर रही है। केवल मैं ही एक ऐसी हूं जिसने ठान लिया है कि किसानों का सारा गन्ना खरीदा जाये। अभी जब एक मिल का बॉयलर ब्लास्ट हुआ था तो मैंने ही रातों रात सारे किसानों का गन्ना दूसरी मिल में ट्रांसफर करवाया। उस दिन बहुत सारे लोग थे कुछ किसानों ने मुझसे आकर शिकायत की कि उनकी पर्चियां नहीं काटी जा रही थीं उनका गन्ना नहीं लिया जा रहा था और उनको दिक्कत हो रही थी। मैंने वहीं से उस मिल के जीएम को फोन लगाया और किसानों की समस्या का निस्तारण करवाया, किसानों का गन्ना खरीदा जाये तो जीएम ने वादा किया कि वो सारी पर्चियां देकर गन्ना खरीदेंगे। इसके बाद जाते वक्त मैंने उनको बोला कि इतना गन्ना क्यों उगाते हो, जब हर साल मिलों के साथ यही तमाशा होता है। कोई पर्ची नहीं देता किसी का कुछ और हो जाता है तो क्योंं न कुछ और सोचा जाये। जिससे किसानों को गन्ने से ज्यादा पैसा मिले। इसी दिन सुबह कृषि विज्ञान केन्द्र जाकर भी मैंने कहा कि हमारे किसानोंं को कुछ तो सिखाओ जिससे उनको तकलीफ न हो, यह है असली बात बाकी आगे आप खुद परख लें कि सच्चाई क्या है।