तहसील कलीनगर क्षेत्र के शारदा पार के लग्गा-बग्गा का इलाका नेपाल से जुढ़ा हुआ है। नेपाल की रायल सुक्ला-फांटा सेन्चुरी के जंगल जनपद की सीमा से जुढे़ होने की वजह से यहॉ अक्सर नेपाली हाथी व गेंढे आ जाते है और किसानो की फसले बर्बाद कर जाते है। इस बार बीते एक सप्ताह से जनपद के गांव भूडा गोरखडिब्बी, ढकिया तालुके महाराजपुर, गुनहान क्षेत्र में नेपाल से आया हाथियों का झुंड तबाही मचाए हुए हैं। हाथियों के झुंड ने दो दर्जन से अधिक किसानों की धान व गन्ने की 25 एकड फसल रौंद दी है। ग्रामीण भी हाथियों को खदेड़ने के लिए अब पटाखों का प्रयोग कर रहे है और आज उन्हे सफलता भी मिली।
वन विभाग की रही लचर कार्यशैली लगभग एक सप्ताह से आतंक फैलाये इन हाथियों की सूचना मिलने बाद भी वन विभाग के कर्मचारी ने मौके पर जाकर हाथियों का भगाने का कोई इंतजाम नहीं किया, हॉ इतना जरूर कि उन्होने ग्रामीणों को हाथी भगाने के लिये पटाखे बांटकर इतिश्री कर ली। हाथियों द्वारा फसल खराब करने से ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ा, मामले की सूचना लग्गा भग्गा वन चौकी पहुंचकर दी। इसके बावजूद वनकर्मियों ने मौके पर पहुंचकर जांच पड़ताल की जहमत नहीं उठाई। ग्रामीणों का कहना है कि यदि नेपाली हाथी इसी तरह फसल खराब करते रहे तो उनके आगे रोजी-रोटी का संकट हो जाएगा। वन दरोगा ओम प्रकाश ने शारदापार थारू बस्ती तथा गोरखडिब्बी में किसानों को गोला वितरित किए। किसानों का कहना है कि विभाग पहले से ही कोई सही इंतजाम करता तो हाथी भगाने में मदद हो सकती थी। हाथियों की आमद से किसान भयभीत हैं।
आज मिली सफलता बीते दो दिन से चल रहे हाथी भगाओ आप्रेशन में आखिरकार ग्रामीणो की जीत हुयी। ग्रामीणों ने ढोल-पटाखे बजाकर इन नेपाली हाथी के झुण्ड को वापस उनके देश भगा दिया है। किसान अब राहत की सांस ले रहे है। लेकिन दिलो में डर अभी भी है।
किसान अब खुद कर रहे पहरेदारी हाथियो से अपनी फसले बचाने के लिये ग्रामीणो ने चौपल लगाकर तय किया है कि हाथियों से निपटने के लिए गांव में दो व्यक्ति बारी-बारी से फसलो की पहरेदारी करेंगे। खेतों में हाथियों के घुसने की सूचना पर ग्रामीण एकजुट होकर उन्हें भगाने में सहयोग करेंगे।