पीएम से तीन सवाल
1- आपने ये ठेका अनिल अंबानी को ही क्यों दिलवाया, और किसी को क्यों नहीं?
2 अनिल अंबानी ने कहा है कि उनके आपके साथ व्यक्तिगत संबंध हैं। क्या ये संबंध व्यवसायिक भी हैं?
3- रफाल घोटाले का पैसा किसकी जेब में गया- आपकी, बीजेपी की या किसी अन्य की?
रफाल सौदा : फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान से हड़कंप, राहुल बोले- पीएम ने दिया देश को धोखा
फ्रांसीसी विमानन कंपनी ने दी सफाई
फ्रांसुआ ओलांद के बयान के बाद फ्रांसीसी विमानन कंपनी दसॉ ने भी रफाल लड़ाकू विमान के सौदे पर अपनी बयान जारी किया है। कंपनी ने कहा कि उसने ही खुद इस सौदे के लिए भारत की कंपनी रिलांयस को चुना है। बयान में बताया गया है कि रिलायंस का चयन रक्षा प्रकिया 2016 के नियमों के मुताबिक हुआ है।
पीएम ने दिया देश को धोखा: राहुल गांधी
कांग्रेस ने कहा है कि रफाल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर लगातार झूठ बोल रही मोदी सरकार की पोल फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद ने यह कहते हुए खोल दी है कि अनिल अंबानी की कंपनी के नाम का प्रस्ताव भारत सरकार की ओर से ही किया गया था। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा कि रफाल सौदे की प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से बातचीत की और बंद दरवाजों के पीछे सौदे को बदल दिया। फ्रांसुआ ओलांद को धन्यवाद, अब हम जान चुके हैं कि उन्होंने दिवालिया अनिल अंबानी को बिलियन डॉलर्स का सौदा व्यक्तिगत रूप से किया था। प्रधानमंत्री ने भारत को धोखा दिया है, उन्होंने हमारे सैनिकों की शहादत का अपमान किया है।
विवाद बढ़ा तो रक्षा मंत्रालय ने दी सफाई
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने विवाद बढ़ने पर सफाई दी है। मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद के बयान संबंधी रपट में कहा गया है कि भारत सरकार ने राफेल में डसॉल्ट एविएशन के ऑफसेट पार्टनर के रूप में किसी खास निजी कंपनी की तरफदारी की। इसकी जांच की जा रही है। यह दोहराया गया है कि व्यावसायिक फैसले से न तो भारत सरकार का कोई लेना-देना है और न ही फ्रांस की सरकार का।
इसी खुलासे पर मचा हड़कंप
फ्रेंच वेबसाइट ‘मीडियापार्ट’ में प्रकाशित एक आलेख में फ्रांसुआ ओलांद के हवाले से कहा गया है कि भारत सरकार ने फ्रांस सरकार से राफेल जेट ऑफसेट सौदे में रिलायंस डिफेंस को भारतीय साझेदार नियुक्त करने के लिए कहा था। वेबसाइट ने ओलांद के हवाले से कहा है कि हमारा इससे कुछ लेना-देना नहीं था। भारत सरकार ने इस सर्विस ग्रुप को प्रस्तावित किया था और अंबानी ने दसॉ के साथ बातचीत की और समझौता किया।