
नई दिल्ली। कर्नाटक चुनाव परिणाम आने के दो दिन बाद भी सरकार गठन हो लेकर सियासी हंगामा जारी है। बुधवार रात को गुजरात के राज्यपाल ने जैसे ही येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया, कांग्रेस तत्काल बाद सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंच गई। पूरी रात बहस हुई और गुरुवार तड़के सुप्रीम कोर्ट ने शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत के इस निर्णय से कर्नाटक के राज्यपाल का पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा से पुराना हिसाब-किताब भी बराबर हो गया।
कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई कल
इससे पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे मंगलवार को आ गए थे, लेकिन किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने से सरकार गठन को लेकर मामला हॉर्स ट्रेडिंग तक पहुंच गया था। फिलहाल शीर्ष अदालत के निर्णय से यह विवाद आंशिक तौर पर थम गया है। इसके साथ येदियुरप्पा के सीएम बनने का रास्ता भी साफ हो गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अभी कांग्रेस की याचिका को पूरी तरह से खारिज नहीं किया है। शुक्रवार सुबह इस मुद्दे पर फिर से सुनवाई होगी।
देवेगौड़ा ने दी थी भाजपा सरकार बर्खास्त करने की अनुमति
आपको बता दें कि कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई का राजनीतिक तौर पर पूर्व पीएम और जेडीएस के प्रमुख एचडी देवेगौड़ा और कांग्रेस से 22 सालों से छत्तीस का आंकड़ा है। इस खींचतान को 22 साल बाद भाजपा नेता राष्ट्रीय महासचिव राममाधव ने वॉट्सऐप पर एक मैसेज शेयर कर खुलासा किया है। इस मैसेज को उन्होंने अपनी फेसबुक वॉल पर भी शेयर किया है। उन्होंने वाट्सऐप मैसेज में बताया है कि 22 साल बाद पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा और राज्यपाल वजुभाई वाला फिर से आमने-सामने हैं। राममाधव के मुताबिक कांग्रेस के कर्म उसका पीछा करते हुए 22 साल बाद कर्नाटक पहुंच गया है। ये बात 1996 की है जब गुजरात की भाजपा सरकार को राज्यपाल कृष्णपाल सिंह की सिफारिश के बाद हटा दिया गया था।
गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष थे वजुभाई वाला
उस वक्त गुजरात में भाजपा की सरकार थी। उस समय भाजपा नेता शंकर सिंह वाघेला ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया था। इसके बाद भाजपा की सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना पड़ा था। विश्वासमत के दौरान विधानसभा में बहुत हंगाम हुआ। इस पर स्पीकर ने पूरे विपक्ष को एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया। इसके बाद तत्कालीन राज्यपाल कृष्णपाल सिंह ने विधानसभा को भंग करने की सिफारिश राष्ट्रपति से की थी। राष्ट्रपति ने इस सिफारिश पर तत्कालीन प्रधानमंत्री देवेगौड़ा से राय ली मांगी थी। उन्होंने विधानसभा भंग करने का आदेश दे दिया। यह फैसला 22 साल पहले देवगौड़ा ने लिया था। उस समय गुजरात में सरकार को बचाने को लेकर राज्यपाल वजुभाई वाला सक्रिय थे और गुजरात भाजपा के अध्यक्ष थे। देवेगौड़ा के इस फैसले से भाजपा को सत्ता गवानी पड़ी थी। अब एक बार फिर कर्नाटक में ऐसी स्थिति बनी है कि देवेगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी के पास मुख्यमंत्री बनने का मौका है। लेकिन इसका फैसला वजुभाई वाला को करना है। इस वजह से सोशल मीडिया में ऐसा कहा जा रहा कि 22 साल बाद कांग्रेस के कर्म उसका पीछा करते हुए कर्नाटक में आ गए हैं।
Published on:
17 May 2018 12:18 pm
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