
बांद्रा की घटना से महाराष्ट्र की राजनीति में उबाल, अमित शाह ने उद्धव को मिलाया फोन
नई दिल्ली। मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर मंगलवार शाम को अचानक इकठ्ठा हुई हजारों मजदूरों की भीड़ ने पूरे देश को चिंता में डाल दिया।
कोरोना वायरस के प्रकोप बीच एक साथ इकठ्ठा हुए इतने लोगों ने लॉकडाउन की धज्जियां उड़ा दीं दरअसल, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के रहने वाले इन मजदूरों को भरोसा था कि आज लॉकडाउन खत्म हो जाएगा और वे पहली ट्रेन से ही अपने गांव वापस जाएंगे।
वहीं, बांद्रा की इस घटना के बाद महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर गरम हो गई।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को फोन किया और बांद्रा की सभा पर चिंता व्यक्त की।
अमित शाह ने जोर देकर कहा कि इस तरह की घटनाओं से भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को कमजोर पड़ती है। इसलिए इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए सजग रहने की जरूरत है।
वहीं, मुंबई पुलिस के पीआरओ डीसीपी प्रणय अशोक ने बताया कि शाम करीब चार बजे, बांद्रा रेलवे स्टेशन परिसर में लगभग 1500 लोग इकट्ठा हुए।
उनमें से कई प्रवासी मजदूर थे। वे लॉकडाउन के बढ़ने से काफी नाराज थे और अपने घरों में वापस जाना चाहते थे। पुलिस पीआरओ ने बताया कि स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने मौके पर जाकर उनसे बात की और उन्हें समझाने की कोशिश की।
इस दौरान भीड़ हिंसक हो गई। इसलिए उन्हें नियंत्रण में लाने के लिए हल्के बल का इस्तेमाल करना पड़ा। जिसके बाद भीड़ तितर-बितर हो गई। फिलहाल स्थिति सामान्य और शांतिपूर्ण है।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने कहा कि केंद्र ने इस मुद्दे (बांद्रा सभा) पर तत्काल संज्ञान लिया है और राज्य की हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है।
हम कैच-22 की स्थिति है। इसलिए हमारी स्थिति को समझने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के अभारी हैं।
केंद्र और राज्यों को समझते हैं। वहीं, महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने इस लॉकडाउन के बढ़ाए जाने का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि मुंबई में फंसे लोग उम्मीद कर रहे थे कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन खत्म हो जाएगा और उन्हें घर जाने दिया जाएगा लेकिन वे आज पीएम के संबोधन से निराश थे और बांद्रा की सड़कों पर उनका गुस्सा फूट पड़ा।
वहीं, भाजपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने बांद्रा की घटना को बेहद चिंताजनक बताया है। उन्होंने कहा कि हम पहले दिन से सरकार से कह रहे थे कि वे उन मजदूरों के लिए कुछ व्यवस्था करें जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं।
राज्य सरकार को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि वे सभी को भोजन और राशन कैसे प्रदान करें। फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार मजदूरों की व्यवस्था करने में विफल रही।
इसीलिए हमें आज इतनी शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा।
Updated on:
15 Apr 2020 07:27 am
Published on:
14 Apr 2020 09:12 pm
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