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बसवराज बोम्मई बने कर्नाटक के 23वें मुख्यमंत्री, राज्यपाल थांवर चंद गहलोत ने दिलाई पद और गोपनीयता की शपथ

बेंलगूरु स्थित राजभवन में बसवराज बोम्मई ने ली कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ, पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा समेत अन्य दिग्गज नेता भी रहे मौजूद

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नई दिल्ली। बसवराज बोम्मई ( Basavaraj Bommai ) ने कर्नाटक के 23वें मुख्यमंत्री ( Karnataka CM ) के रूप में शपथ ली। राज्यपाल थांवरचंद गहलोत ने बेंगलूरु स्थित राजभवन में बसवराज को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। बसवराज की ताजपोशी के वक्त पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा समेत तमाम दिग्गज नेता मौजूद रहे।

बसवराज के शपथ लेने से पहले ही उनके समर्थकों में खासा उत्साह नजर आया। बड़े नेताओं समेत पार्टी समर्थकों ने भी बसवराज को नए मुख्यमंत्री के बनाए जाने पर बधाइयां दीं। बता दें कि बसवराज के नाम की सिफारिश खुद बीएस येदियुरप्पा ने की थी। यही वजह है कि उनके नाम पर मुहर लगने के साथ ही मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने तक येदियुरप्पा बसवराज के साथ ही नजर आए।

यह भी पढ़ेंः कर्नाटक: जानिए कौन हैं नवनियुक्त सीएम बसवराज बोम्मई? BJP ने क्यों जताया भरोसा?

सीएम बनते ही एक्शन मोड में नजर आएंगे बोम्मई
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही बसवराज एक्शन मोड में नजर आए। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि, बुधवार को ही हम एक कैबिनेट बैठक करेंगे। इसके बाद एक वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की जाएगी इस बैठक में राज्य में कोविड और बाढ़ की स्थिति की समीक्षा होगी।

शपथ लेने से पहले लिया भगवान का आशीर्वाद
कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले बसवराज बोम्मई ने बेंगलुरु में भगवान श्री मारुति मंदिर में पूजा अर्चना की।

11वें सीएम बने थे पिता

बसवराज ने जहां कर्नाटक के 23वें सीएम के तौर पर शपथ ली। वहीं उनके पिता भी कर्नाटक की कमान संभाल चुके हैं। बसवराज के पिता कर्नाटक के 11वें मुख्यमंत्री बने थे।

इसलिए बसवराज पर बीजेपी ने लगाई मुहर

कर्नाटक की राजनीति में टिके रहने के लिए लिंगायत फेक्टर को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। बीएस येदियुरप्पा भी इस समुदाय से आते थे और बोम्मई का भी लिंगायत समुदाय से गहरा नाता है। यही वजह है कि बीजेपी येदियुरप्पा के प्रस्ताव को ठुकरा नहीं सकी। बीजेपी 2013 में लिंगायत समुदाय को नजरअंदाज करने का खामियाजा भुगतत चुकी है।

येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद बीजेपी के लिए बहुत जरूरी था कि लिंगायत समुदाय को साध कर रखे। बसवराज बोम्मई भी लिंगायत समुदाय से आते हैं, इनके पिता एसआर बोम्मई 1988 में 281 दिन के लिए मुख्यमंत्री रहे थे।

12 वर्ष पहले बीजेपी का दामन थामा
बसवराज पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं। खेती से जुडे़ होने के नाते कर्नाटक के सिंचाई मामलों का जानकार माना जाता है। बोम्मई ने 12 वर्ष पहले जेडीयू छोड़ बीजेपी का दामन थामा। उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र में भारत की पहली 100 फीसदी पाइप सिंचाई परियोजना लागू करने का श्रेय भी दिया जाता है। महज 12 वर्षों में बसवराज में बीजेपी में अपनी एक अलग जगह बनाई और सीएम पद तक का सफर तय कर डाला।