
AAP को दो मामलों में बड़ी राहत, लेकिन बगैर कोर्ट की अनुमित देश नहीं छोड़ सकते सीएम केजरीवाल
नई दिल्ली। देश की राजधानी में सत्तासीन आम आदमी पार्टी के लिए गुरुवार को दिन बेहद राहत भरा रहा। आप के विधायकों और खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चल रहे दो मामलों में पार्टी को बड़ी मुश्किल हल हो गई। पहला मामले में आप के 27 विधायकों के अयोग्य ठहराने की याचिका खारिज हुई, तो दूसरी ओर मुख्य सचिव अंशुल प्रकाश मारपीट मामले में भी सीएम केजरीवाल की जमानत मंजूर हो गई है।
मुख्य सचिव मारपीट मामले में सीएम समेत 12 नेताओं को राहत
दिल्ली की अदालत ने मुख्य सचिव अंशुल प्रकाश मारपीट मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और आप के 11 अन्य विधायकों को गुरुवार को जमानत मंजूर कर ली। ये सभी इस मामले में वांछित थे। दिल्ली पुलिस ने अंशुल प्रकाश की शिकायत पर आप नेताओं और विधायकों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। उनकी शिकायत थी कि 19 और 20 फरवरी की रात केजरीवाल के आवास पर उनके साथ उस समय मारपीट की गई थी जब उन्हें एक बैठक के सिलसिले में बुलाया गया था। पुलिस ने इस मामले में जांच के बाद विभिन्न धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किए थे।
50-50 हजार के मुचलके पर जमानत
एडीशनल मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समीर विशाल ने दिल्ली पुलिस की तरफ से दायर आरोप पत्र का संज्ञान लेते हुए केजरीवाल और सिसोदिया के अलावा 11 अन्य विधायकों को अदालत में पेश होने के लिए समन जारी किए थे। आज इन सभी की इस शर्त पर जमानत मंजूर की गई कि वे कोर्ट में 50-50 हजार रुपए का मुचलका भरेंगे।
बैगर इजाजत दिल्ली नहीं छोड़ सकेंगे केजरीवाल
कोर्ट ने कहा कि सभी आरोपियों को हर मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित होने होगा। इसके साथ ही सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने और गवाहों को नहीं धमकाने संबंधी अदालती निर्देशों का भी पालन करना होगा। इन सभी को अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोडऩे के भी आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा केजरीवाल और सिसोदिया को दिल्ली से बाहर जाने से पहले अदालत की अनुमति लेनी होगी मामले की अगली सुनवाई सात दिसंबर को होगी।
आप के 27 विधायकों के अयोग्य ठहराने की याचिका खारिज
दूसरी ओर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की राय के आधार पर आप के 27 विधायकों को अयोग्य ठहराने करने की याचिका को खारिज कर दिया। विभोर आनंद ने इस आधार पर उन्हें आयोग्य घोषित करने की मांग की थी कि वे दिल्ली में सरकारी अस्पतालों में रोगी कल्याण समिति के चेयरपर्सन होने के नाते लाभ के पद पर बने हुए हैं। राष्ट्रपति ने इस याचिका को 'अनुरक्षणीय' नहीं मानते हुए खारिज कर दिया। इससे पहले, चुनाव आयोग ने अपनी राय में कहा था कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में रोगी कल्याण समिति के चेयरपर्सन का कार्यालय दिल्ली के विधानसभा सदस्य (अयोग्यता को हटाने) विधेयक, 1997 के अंतर्गत छूट की श्रेणी के अंतर्गत आता है और इसलिए विधायकों को लाभ का पद धारण करने के मामले में अयोग्य घोषित नहीं किया जाएगा।
इन विधायकों की सदस्यता पर लटकी थी तलवार
जिन विधायकों के विरुद्ध यह याचिका दाखिल की गई थी, वे अलका लांबा (चांदनी चौक), शिव चरण गोयल (मोती नगर), जगदीप सिंह (हरि नगर), बंदना कुमारी (शालीमार बाग), अजेश यादव (बादली), एस.के. बग्गा(कृष्णा नगर), जितेंद्र सिंह तोमर (त्रिनगर), राजेश ऋषि (जनकपुरी), राजेश गुप्ता (वजीरपुर), राम निवास गोयल (शहादरा), विशेष रवि (करोल बाग), जरनैल सिंह (रजौरी गार्डन), नरेश यादव (महरौली), नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर), वेद प्रकाश(बवाना), सोमनाथ भारती (मालवीय नगर), पंकज पुष्कर (तिमारपुर), राजेंद्र पाल गौतम (सीमापुरी), कैलाश गहलोत (नजफगढ़), हजारीलाम चौहान (पटेल नगर), शरद कुमार चौहान (नरेला), मदन लाल (कस्तूरबा गांधी), राखी बिरला (मंगोलपुरी), मोहम्मद इशारक (सीलमपुर), अनिल कुमार बाजपेयी (गांधी नगर), सुरेंद्र सिंह (दिल्ली छावनी) और मोहिंदर गोयल (रिठाला) हैं।
Published on:
25 Oct 2018 08:31 pm
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