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Bihar Election: पिछड़ी और अति-पिछड़ी जातियों के वोट पर सभी पार्टियों की नजर, सरकार बनाने में अहम भूमिका

Bihar Election: बिहार में काफी मायने रखता है जातिगत वोट ( Cast Vote ) राज्य में पिछड़ों का दबदबा, NDA का पलड़ा भारी!

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Bihar Election: Cast Vote Bank is Important in Bihar

बिहार में जातिगत वोट पर सभी पार्टियों की नजर।

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar Vidhan Sabha Chunav ) की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। राज्य में तीन चरणों में वोटिंग कराई जाएगी। दूसरे चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया जारी है, जबकि पहले चरण ताबड़तोड़ प्रचार जारी है। विधानसभा चुनाव ( Bihar Election ) को लेकर सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। वहीं, अब स्टार प्रचारकों की लिस्ट भी जारी होने लगी है। लेकिन, बिहार चुनाव में जातिगत वोट ( Cast Vote) काफी मायने रखती है। लिहाजा, विकास का मुद्दा के साथ-साथ सभी पार्टियों की नजर जातिगत वोटों पर है। क्योंकि, सरकार बनाने में जातिगत वोट काफी मायने रखती है।

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बिहार में जाति समीकरण

दरअसल, एक समय था जब बिहार में सवर्णों का दबदबा था। हालांकि, आज भी राज्य में सवर्णों का वर्चस्व जरूर है। लेकिन, राजनीति में पिछड़ों का दबदबा है। जिस भी पार्टी की सरकार बने, इनकी भूमिका काफी अहम होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में आधी आबादी ओबीसी की है। इसके अलावा मुसलमान और दलित भी काफी संख्या में हैं। राज्य में 15 फीसदी यादव हैं। वहीं, कोइरी जाति की आबादी आठ फीसदी है। कुर्मी की आबादी चार फीसदी है। जबकि, 16 फीसदी मुसलमान हैं। मुसहर की बात की जाए तो राज्य में इनकी आबादी पांच प्रतिशत है। पिछले चुनाव की बात की जाए तो कुल 61 यादव उम्मीदवार जीते थे। वहीं, कोइरी जाति के 19 विधायक को जीत मिली थी। जबकि, कुर्मी जाति से 16 लोग विधायक बने थे। वहीं, 24 मुसलमान उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। लेकिन, मुसहर जाति से कोई भी उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर सका।

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जातिगत वोट पर पार्टियों की नजर

अगर बात जातिगत वोट की हो तो इस समय बीजेपी, राजद और जेडीयू का पलरा भारी है। सरकार बनाने में इन तीन पार्टियों की भूमिका काफी अहम है। इस साल जातिगत वोट को लेकर NDA पलड़ा भारी नजर आ रहा है। जानकारों का कहना है कि इस समय जो माहौल है और नेताओं की लोकप्रियता है, उसके हिसाब से जाति समीकरण एनडीए की तरफ है। लेकिन, राजद का भी अपना एक अलग दबदबा है। लिहाजा, जातिगत वोट पर उसका भी कब्जा हो सकता है। ऐसे में सभी पार्टियों के लिए जातिगत वोट को साधना सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि जो भी पार्टी इस में कामयाब हो गई है। राज्य में उसी पार्टी की सरकार बनना तय है।