
कोरोना महामारी को देखते हुए Opposition Parties ने ईसी से कहा कि विधानसभा चुनाव को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है।
नई दिल्ली। एक तरफ देशभर में कोरोना वायरस ( Coronavirus Pandemic ) का कहर जारी है तो दूसरी तरफ बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Election ) को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस बीच आरजेडी, कांग्रेस, हम, आरएलएसपी, वीआईपी, लोकतांत्रिक जनता दल, सीपीआई सहित अन्य दलों का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग के अधिकारियों से मिला। प्रतिनिधिमंडल में बिहार में निष्पक्ष एंव हिंसारहित चुनाव कराने की मांग की।
विपक्षी दलों ( Opposition Parties ) ने चुनाव आयोग ( Election Commission ) को आगाह करते हुए कहा कि यह आयोग की जिम्मेदारी है कि विधानसभा चुनाव सही तरीके से संपन्न हो। प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं ने कहा कि बिहार में कोरोना वायरस महामारी की वजह से स्थित नाजुक दौर में है। 31 जुलाई तक संपूर्ण बिहार में लॉकडाउन ( Lockdown ) लागू है। कई नेताओं ने कहा कि इस स्थिति में बिहार में चुनाव कराना कितना मुफीद है। कहीं ऐसा न हो कि चुनाव के चक्कर में बिहार कोरोना स्प्रेड ( Corona spread ) की चपेट में आ जाए। अगर ऐसा हुआ तो इसकी जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होगी।
मुख्य विपक्षी दल आरजेडी के नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजश्वी यादव ( RJD Leader Tejashwi Yadav ) ने भी ईसी से चुनाव को आगे बढ़ाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़े तो बिहार में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए। जबकि वाम दालों ने भी चुनाव को आगे बढ़ाने की बात कही है।
विपक्ष ने संयुक्त रूप से चुनाव आयोग ( EC ) से यह मांग की इस बात की क्या गारंटी है कि चुनाव की वजह से कोरोना संक्रमण का विस्तार नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग यह बताए कि जिस राज्य में महज 37 प्रतिशत इंटरनेट सेवा की उपलब्धता है, वहां वर्चुअल तरीके से चुनाव कैसे हो सकता है? जाहिर है कि इसमें बड़ा भाग शहरों का ही है।
इसके साथ विपक्ष ने धनबल के दुरुपयोग पर भी रोक लगाने की बात कही और कहा कि बीजेपी ( BJP ) और जेडीयू ( JDU ) अभी से वर्चुअल प्रचार में उतर चुके हैं। इसपर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
अभीतक बिहार में बीजेपी ने कई वर्चुअल रैलियां ( Virtual rally ) की हैं। अमित शाह की पहली रैली के लिए तो दावा किया गया था कि पूरे बिहार में लगभग 72 हज़ार एलईडी स्क्रीन लगाई गई थी।
विपक्ष ने पोस्टल बैलेट ( Postal Ballet ) के दायरे को बढ़ाने पर भी सवाल किया और कहा कि चुनाव की पारदर्शिता-विश्वसनीयता की रक्षा होनी चाहिए। पोस्टल बैलेट का दायरा बढ़ाने से चुनाव की पारदर्शिता खत्म हो जाएगी। बुजुर्गों के लिए पोस्टल बैलेट की बजाए प्राथमिकता के आधार पर अलग से बूथ बनाए जाएं।
सभी विपक्षी दलों की मांग है कि चुनाव आयोग ( Election Commission ) पारंपरिक तरीके से प्रचार व चुनाव कराने की व्यवस्था करे। प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि सभी लोग मास्क या गमछा लगाकर और आपस में पर्याप्त दूरी बनाकर सभाओं में हिस्सा लें।
हमारी राय है कि 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए हर बूथ पर अलग लाइन की व्यवस्था की जाए और भौतिक दूरी सुनिश्चित करते हुए प्राथमिकता के आधार पर उनकी वोटिंग कराई जाए।
Updated on:
17 Jul 2020 04:52 pm
Published on:
17 Jul 2020 04:41 pm
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