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Lok Sabha 2024: लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन कर सकती है बसपा! मायावती के घर हुए बैठक में मिले संकेत

Lok Sabha 2024: बसपा के कई सीनियर नेताओं ने बताया कि बसपा प्रमुख लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन को लेकर जल्द ही फैसला कर सकती है। वह अपनी पार्टी के भविष्य को लेकर काफी चिंतित दिखाई दे रही हैं।

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बसपा प्रमुख मायावती

कहते है कि राजनीति में पर्दे पर जो दिखता है, वह सब सच नहीं होता है। कुछ खेल पर्दे के पीछे भी खेले जाते है। ऐसा ही खेल इस समय बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती खेल रही हैं। वह जब भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करती है कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोलती है। लेकिन अगर हम बसपा प्रमुख के हाल के बयानों पर ध्यान दे तो वह भाजपा से ज्यादा कांग्रेस पर हमलावर है। इसके पीछे कारण कुछ भी हो सकता है लेकिन एक बात साफ है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अगर बसपा बिना गठबंधन के चुनाव में उतरती है तो उसको नुकसान होना तय है। ऐसे में पार्टी प्रमुख मायावती अपने साथ अपनी पार्टी के भविष्य को लेकर चिंतित है और वह गठबंधन के लिए नए साथी की तलाश कर रही हैं।

बसपा प्रमुख के घर हुई बैठक
बीते सप्ताह लगातार तीन दिनों तक मायावती के घर में मैराथन मीटिंग हुई। इसमें बीएसपी के 10 नेताओं को बुलाया गया। इनमें पार्टी अध्यक्ष मायावती समेत परिवार के तीन लोग थे। वहीं, बाकी के नेताओं में सेंट्रल कॉर्डिनेटर और यूपी के इकलौते विधायक शामिल हैं। इस मीटिंग में पार्टी के सांसदों को भी नहीं बुलाया गया, जबकि लोकसभा में नौ सांसद हैं। हालांकि इकलौते राज्यसभा सांसद रामजी गौतम मौजूद थे। बता दें कि इसी साल राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में चुनाव होने हैं। इन राज्यों में पार्टी के प्रभारी भी बैठक में मौजूद रहे। मायावती ने पहले सभी नेताओं से अकेले में मुलाकात की। फिर आखिर में सभी नेताओं के साथ मायावती ने संयुक्त मीटिंग की।

14 में 0 तो 19 में जीती थी 10 सीटें
2014 के लोकसभा चुनाव में जब बसपा ने बिना गठबंधन के चुनाव लड़ा था तब उसे यूपी सहित पूरे देश में एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से गठबंधन के कारण पार्टी लोकसभा की दस सीटें पार्टी जीतने में कामयाब रही। लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी प्रमुख ने सपा से अपना गठबंधन तोड़ लिया था। जिसके बाद 2022 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी जमीन पर आ गई।पार्टी बड़ी मुश्किल से एक सीट के साथ अपना खाता खोल पाई थी। बसपा का वोट शेयर 22 से घटकर 12 फीसदी हो गया।

बसपा का टिकट भाजपा ऑफिस से जारी होती है- अखिलेश
2022 में चल रहे विधानसभा चुनाव के दौरान सपा मुखिया अखिलेश यादव के एक बयान से बसपा को काफी नुकसान हुआ था। एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि बीएसपी के टिकट की लिस्ट बीजेपी आफिस से जारी होती है। ये बात बार बार कह कर अखिलेश यादव ने भी मायावती का काफी नुकसान किया था। ऐसे में पार्टी के नेता अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। मायावती से मुलाकात में पार्टी के तीन नेताओं ने कांग्रेस से चुनावी गठबंधन की वकालत की।

बीएसपी चीफ को बताया गया कि ऐसा होने पर पार्टी में नई जान आ सकती है. कांग्रेस से गठबंधन होने पर यूपी के अलावा राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के चुनावों में भी फायदा हो सकता है. गठबंधन होने पर मुस्लिम वोटों का बंटवारा नहीं हो पाएगा।

1996 में पहली बार कांग्रेस से किया था गठबंधन
बता दें कि कुछ महीने पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे तो बसपा से समझौता करना चाहते थे। लेकिन मायावती जी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। इसे पहले 1989 के लोकसभा चुनाव में तब के प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी बीएसपी से गठबंधन करना चाहते थे। जयंत मल्होत्रा की मदद से वे कांशीराम से मिले और उन्हें ये प्रस्ताव दिया। दोनों नेताओं के बीच कई दौर की बैठकें भी हुई, लेकिन बात नहीं बनी। कांग्रेस वो चुनाव हार गई।

इसके बाद जब राजीव की कांशीराम से मुलाक़ात हुई तो उन्होंने कहा आपके कारण हम कई सीटें हार गए। राजीव गांधी के निधन के सालों बाद बीएसपी और कांग्रेस में 1996 में यूपी चुनाव दोनों पार्टियां मिल कर लड़ीं। कांशीराम ने बड़ा दिल दिखाते हुए कांग्रेस को फार्मूले से अधिक सीटें दीं. ये बात अलग है कि गठबंधन सरकार नहीं बना पाई।

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लगातार घट रहा जनाधार
इस समय बसपा न सिर्फ लगातार चुनाव हारने से ही नहीं, बल्कि लगातार कम हो रहे जनाधार को लेकर भी परेशान है। सूबे में एक वक्त ऐसा था जब बसपा के दखल के बिना सरकार भी नहीं बनती थी। खुद बसपा प्रमुख मायावती 4 बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन कभी प्रदेश की 22 प्रतिशत से ज्यादा वोटों पर अपना मजबूत पकड़ रखने वाली बसपा का वोट बैंक गिरकर 12 प्रतिशत हो गया है। अगड़ी और पिछड़ी जातियां बीएसपी से मुंह मोड़ चुकी हैं।

दलितों में भी सिर्फ जाटव वोट ही बीएसपी के साथ हैं, वाल्मीकि, पासी और खटीक जैसी एससी जातियां या तो बीजेपी के साथ हैं या फिर समाजवादी पार्टी के साथ। चंद्रशेखर आजाद के कारण पश्चिमी यूपी में नौजवान जाटव भी मायावती से दूर होते जा रहे हैं। बसपा के कई सीनियर नेताओं ने बताया कि जब उन्होंने देश में होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन की बात की तो पार्टी प्रमुख ने कुछ नहीं कहा, लेकिन वह मान कर चल रहे है कि वह भी कांग्रेस के साथ गठबंधन करने पर विचार कर रही है।